नई दिल्ली : दिल्ली की रोहिणी अदालत ने पांच साल की बच्ची से बलात्कार के दोषी एक व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई. कहा गया है कि दोषी ने बच्ची के साथ जानवरों जैसी क्रूरता की है. बच्चों के खिलाफ अपराधों की बढ़ती दर पर दुख और पीड़ा व्यक्त करते हुए अदालत ने कहा कि सजा जघन्य कृत्य की गंभीरता के अनुसार होनी चाहिए ताकि यह एक प्रभावी निवारक के रूप में काम करे और एक नजीर बन सके.
रोहिणी जिला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर रेप के आरोपी के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसे पहले यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन हमला) के तहत दोषी ठहराया गया था. 28 वर्षीय व्यक्ति को अपहरण, गंभीर चोट पहुंचाने और बलात्कार के दंडनीय अपराधों का भी दोषी ठहराया गया था. उसने कहा कि बच्ची का अपहरण करते समय उस व्यक्ति ने उसके गालों को काटा और उसके चेहरे पर इतनी जोर से मुक्का मारा कि उसके दांत टूट गए.
11 जुलाई को पारित आदेश में न्यायाधीश ने कहा, यह अदालत बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों से काफी दुखी है. पांच साल की बच्ची, जो भाई दूज के त्योहार के लिए अपने नाना-नानी के घर गई थी. उसको खुशी-खुशी समय बिताना चाहिए था. लेकिन दोषी के हाथों उसके साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया गया. यह कहना कि बच्चा समाज के लिए एक उपहार है, दोषी जैसे व्यक्ति के कारण बेतुका लगता है और पीड़िता को बिना किसी गलती के ऐसी पीड़ा सहनी पड़ी. अदालत ने कहा कि यौन अपराध ने बच्ची के जीवन को गहराई से प्रभावित किया है और इसलिए सजा "जघन्य कृत्य की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिए ताकि यह समान विचारधारा वाले व्यक्तियों के लिए एक प्रभावी निवारक के रूप में काम करे.
अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता, बच्चे और दोषी की उम्र, दोषी और पीड़ित बच्चे की पारिवारिक स्थिति और उन्हें नियंत्रित करने वाले सामाजिक और आर्थिक कारकों सहित गंभीर और कम करने वाली परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए दोषी को POCSO अधिनियम की धारा 6 के तहत दंडनीय अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है. अदालत ने अपहरण और गंभीर चोट पहुंचाने के अपराध के लिए उसे सात साल के कठोर कारावास की सजा भी सुनाई.
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मुआवजे के पहलू के बारे में कोर्ट ने कहा कि घटना के परिणामस्वरूप, न केवल पीड़िता बल्कि उसके पूरे परिवार के सदस्यों को समाज द्वारा अपमान का सामना करना पड़ा है और इस घटना ने बच्चे की मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक विकास पर गंभीर प्रभाव डाला है. इसके लिए उसे वित्तीय सहायता की आवश्यकता है. इस लिए इस के बाद उसे 10.5 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए.
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