नई दिल्ली: पिछले दिनों विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव से पहले जाति जनगणना का मुद्दा तेजी से उछला था. कांग्रेस समेत विपक्षी दल जाति जनगणना के मुद्दे को जोर शोर से उठा रहे हैं. वहीं अब दिल्ली में व्यापारिक संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) ने जाति जनगणना से संबंधित एक अलग मांग उठाई है. CTI चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि जातिगत सर्वे के साथ यह डेटा भी इकट्ठा किया जाए कि किस जाति के लोग कितना टैक्स सरकार को देते हैं? इसे लेकर सीटीआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. सीटीआई की तरफ से सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजा जाएगा.
अर्थव्यवस्था चलाने में किस जाति के लोगों की अहम भूमिकाः इस मांग के पीछे सीटीआई का मकसद है कि आखिर लोगों को पता चलना चाहिए कि अर्थव्यवस्था चलाने में किस जाति के लोगों की अहम भूमिका है? कौन सबसे अधिक टैक्स देता है? क्या सरकार उनके हितों को ध्यान में रखकर कोई नीति बनाती है? सरकार की आयकर नीति से लेकर स्वास्थ्य बीमा और लोगों को मिलने वाली सारी सरकारी सुविधाओं में किस जाति द्वारा सबसे ज्यादा राजस्व दिया जा रहा है और कौन सी जाति सबसे ज्यादा सुविधा का लाभ उठा रही है?
जारी हो करदाताओं की जाति आधारित सूचीः सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव और गुरमीत अरोड़ा ने बताया कि सरकार के पास इनकम टैक्स और जीएसटी संबंधी सभी तरह का डेटा है. करदाताओं की सूची भी जाति आधारित जारी हो. आज तक यह पता नहीं चल पाया कि कौन सी जाति सरकार को कितना राजस्व देती है? जो भी जाति सबसे अधिक राजस्व देती है. उसके लिए भी नीतियां, बीमा, पेंशन, मेडिकल सुविधाएं होनी चाहिए.
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हजारों व्यापारियों ने CTI की मांग पर जताई सहमतिः बृजेश गोयल ने कहा कि व्यापारिक संगठन होने के नाते हम ऐसी मांग कर रहे हैं. ट्रेडर्स कम्युनिटी में इस पर कई दिनों से जोरों की चर्चा चल रही है. हजारों व्यापारियों ने CTI की इस मांग पर सहमति जताई है.
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