नई दिल्ली: देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान एम्स से पढ़ने का हर मेडिकल छात्र का सपना होता है. ऐसा कहा भी जाता है कि अगर एम्स में पढ़ाई के लिए दाखिला हो गया तो आपकी जिंदगी बन गई समझो. लेकिन क्या हो अगर इतनी बड़े संस्थान से पढ़ने के बावजूद भी नौकरी ही न मिले. ऐसा हुआ है एम्स से पढ़ाई करने वाले 39 छात्रों के साथ, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
दरअसल 2018 में 39 छात्रों ने एम्स से डेंटल साइंस में बीएससी के कोर्स एडमिशन लिया था, जो 2022 में पूरा हो गया, लेकिन दो साल बाद भी इन्हें नौकरी तो छोड़िए 'डॉक्टर' का टैग भी हासिल नहीं हुआ. इसके पीछे कि वजह यह है कि दिल्ली एम्स ने डेंटल काउंसिल की बिना अनुमति यह कोर्स शुरू किया था. इससे छात्रों का डेंटल काउंसिल में पंजीकरण नहीं हो पा रहा है. पंजिकरण न हो पाने के कारण कोई इन्हें इंटर्नशिप तक देने तक को तैयार नहीं है. एम्स का यह कोर्स डेंटल काउंसिल से मान्यता प्राप्त नहीं है. इस बात की जानकारी छात्रों को तब लगी, जब डेंटल काउंसिल ने इन छात्रों का पंजीकरण करने से इनकार कर दिया.
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एम्स के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एम्स की अकादमिक काउंसिल ने वर्ष 2016 में दो कोर्सेज को मंजूरी दी थी, जिनमें बीएससी डेंटल साइंस का भी कोर्स शामिल था. एम्स ने डेंटल काउंसिल से बिना मान्यता लिए 2018 से इस कोर्स का संचालन शुरू कर दिया. वर्ष 2022 में जब बीएससी डेंटल साइंस का पहला बैच पास आउट होने वाला था, तब एम्स ने डेंटल काउंसिल को मान्यता के लिए पत्र लिखा, लेकिन डेंटल काउंसिल ने एम्स को साफ मना कर दिया और कहा कि उनकी सूची में ऐसा कोई कोर्स शामिल ही नहीं है. अब छात्रों को अपना भविष्य अधर में नजर आ रहा है, जिसके चलते उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है.