देहरादून: जमीनों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर और उन्हें लोगों को बेचने वाले बाप-बेटे समेत तीन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. तीसरा आरोपी नगर कोतवाली सहारनपुर का हिस्ट्रीशीटर भी है. वहीं आरोपी बाप-बेटे की सहारनपुर में नवीन जेल्वर्स के नाम से दुकान है. तीनों पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार कर किसी अन्य की भूमि को दूसरों के नाम कर फर्जी रजिस्ट्रियां करायी थी.
पुलिस ने बताया कि सात दिसंबर 2021 को देवेंद्र मित्तल निवासी सुभाष नगर ने देहरादून पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी. देवेंद्र मित्तल ने अपनी तहरीर में पुलिस को बताया था कि उनकी सहारनपुर हाईवे पर जमीन है, जिसके हुमांयू परबेज और मोहम्मद वकील ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए और फिर उस जमीन को गलत तरीके से करोड़ों रुपए में बेच दी.
पुलिस ने पटेलनगर कोतवाली में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. मुकदमा दर्ज होने के कुछ दिन के अंदर ही पुलिस ने आरोपी मोहम्मद वकिल और फईम अहमद को अरेस्ट कर लिया था. कोर्ट के आदेश पर दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया था. वहीं इस केस में अन्य आरोपी हुमांयू परवेज ने कोर्ट से अन्तरिम जमानत ले ली थी.
इस मामले की जांच के दौरान देवेंद्र मित्तल की मौत हो गई थी और उसके बाद विदेश में रह रहे उनके भांजे ने मुकदमे की पैरवी की. उसके बाद देहरादून एसएसपी ने मुकदमे की जांच थानाध्यक्ष क्लेमेन्टाउन को दी. पुलिस जांच में सामने आया कि कूटरचित दस्तावेज तैयार कर हरिप्रकाश मित्तल, नवीन मित्तल निवासी सहारनपुर और सुशील गाबा निवासी सहारनपुर ने जमीन का फर्जी बैनामा कराने में शामिल थे.
पुलिस ने टीम ने तीनों आरोपियों को यूपी के सहारनपुर जिले से गिरफ्तार किया. आरोपी सुशील गाबा सहारनपुर का हिस्ट्रीशीटर है, जिसके खिलाफ जमीन धोखाधडी और अन्य आपराधिक मामले दर्ज है. थाना क्लेमनटाउन प्रभारी पंकज धारीवाल ने बताया कि आरोपी हुमायू परवेज ने भूमि की फर्जी रजिस्ट्रियां कर उनसे प्राप्त पैसो को अपने सहारनपुर स्थित बैंक खाते में मंगवाया गया था, जिसे बाद में गणपति डैवलपर्स के नाम से बनी फर्म के खाते में ट्रांसफर किया गया था. यह फर्म गिरफ्तार आरोपी बाप-बेटे हरिप्रकाश मित्तल और नवीन मित्तल के नाम पर रजिस्टर्ड थी.
आरोपी सुनील गाबा ने जमीन के फर्जी कागजात तैयार करने में आरोपियों की मदद की थी. साथ ही जमीन को बिकवाने के लिये ग्राहक और पार्टियों को लाने की जिम्मेदारी भी आरोपी सुनील गाबा की ही थी, जिसके एवज में उसे मोटी रकम आरोपियों से मिली थी.
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