बगहा: बगहा में इंडो नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर गंडक बराज के फाटक में एक हिरण घंटों से फंसा हुआ है. जिंदगी और मौत से जूझ रहा हिरण गंडक नदी में बहकर आया है. बताया जा रहा है कि बराज के नेपाल सीमा पर फंसे होने के कारण बिहार के वन विभाग ने नेपाल के वन विभाग को इसकी सूचना दी है. जिससे समय पर हिरण का रेस्क्यू कर उसकी जान बचाई जा सके.
नेपाल सीमा पर कैसे पहुंचा हिरण?: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से भटका हिरण गंडक नदी के तेज बहाव में बहकर गंडक बराज के फाटक में फंस गया है. वीडियों में साफ देखा जा सकता है डर की वजह से हिरण की सांस अटकी हुई है. स्थानीय लोगों ने हिरण का वीडियो बनाकर सोशल साइट्स पर अपलोड किया है, जिसके बाद हिरण के रेस्क्यू की कवायद शुरू कर दी गई है.
गंडक के बढ़ते जलस्तर ने बढ़ाई मुश्किल: बताया जा रहा है कि गंडक नदी का जलस्तर इधर दो दिनों से बढ़ा हुआ है. नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्रों में हुई बारिश के बाद नेपाल से 2 लाख 36 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे नदी में बहाव तेज हो गया है. कयास लगाया जा रहा है की बाढ़ के पानी में हिरण फिसल कर जंगल से नदी की तेज धार में गिर गया होगा और फिर नदी के रास्ते वह गंडक बराज के फाटक पर जा पहुंचा है.
नेपाल के वन वनाधिकारी बचाएंगे हिरण की जान: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के रेंजर राजकुमार पासवान ने बताया कि उन्हें भी एक हिरण के गंडक बराज फाटक पर फंसने की सूचना मिली है. हालांकि वह हिरण नेपाल क्षेत्र के फाटक पर फंसा हुआ है, लिहाजा नेपाल के चितवन वन क्षेत्र के वनाधिकारियों को इसकी सूचना दे दी गई है, ताकि नेपाल के वन अधिकारी उस हिरण का रेस्क्यू कर उसकी जान बचा सकें.
भारत-नेपाल की बीच फंसी हिरण की जान: बता दें कि इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित गंडक बराज के 36 फाटक हैं. जिसमें 18 फाटक भारतीय क्षेत्र में पड़ते हैं और शेष 18 फाटक नेपाल के हिस्से में है. लिहाजा वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के वन अधिकारियों द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं किया गया और नेपाल के चितवन निकुंज अंतर्गत वन विभाग को सूचना दी गई है. ऐसे में सीमा क्षेत्र के कारण हिरण की जान हलक में अटकी है.
पानी की तलाश में था हिरण: दरअसल वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में हजारों की संख्या में हिरण पाए जाते हैं. कई दफा ये हिरण पानी और भोजन की तलाश में नदी किनारे पहुंचते हैं और पानी में बहने लगते हैं. जिससे कई बार ये रिहायशी इलाकों का रुख करते हैं. अब यह हिरण नेपाल के वन क्षेत्र से बहकर बराज के फाटक पर पहुंचा है या वीटीआर वन क्षेत्र से भटककर इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है.