झज्जर: रोहतक लोकसभा क्षेत्र से सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज बहादुरगढ़ के सिद्दीपुर गांव का दौरा किया. वो यहां एक वैवाहिक समारोह में शामिल होने आए थे. इस दौरान उन्होंने पराली के मुद्दे पर सरकार को घेरा. इसके बाद उन्होंने रोहतक में भी पराली के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि प्रदूषण के लिए केवल पराली को दोष देना उचित नहीं है. साथ ही सरकार पराली जलाने पर एमएसपी पर फसल खरीद न करने के निर्णय पर भी विचार करें.
"पराली प्रदूषण हरियाणा में इतना बड़ा नहीं" : उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसानों को पराली का ठोस समाधान देना चाहिए. पराली प्रदूषण हरियाणा में इतना बड़ा कारक नहीं है. सरकार किसानों को पराली का ठोस समाधान देने की दिशा में बजट का प्रावधान करे.
"क्या फैक्ट्री संचालकों पर भी यही कार्रवाई करेगी सरकार ?" : दीपेंद्र हुड्डा ने हाल ही में प्रदूषण करने वाले किसानों की फसल नहीं खरीदने के फैसले पर भी सवाल खड़े किए हैं. हुड्डा का कहना है कि किसानों की फसल नहीं खरीदने का नियम गलत है. 2 साल तक किसानों की फसल नहीं खरीदने के नियम पर निशाना साधते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि क्या सरकार प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्री संचालकों पर भी बिक्री का प्रबंध लगाएगी, क्योंकि फैक्ट्री संचालक तो सक्षम होते हैं. प्रदूषण रोकने की दिशा में सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए.
बता दें कि हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार ने आदेश जारी किया था कि जो भी किसान पराली जलाएगा तो उनकी फसल को 2 साल तक एमएसपी पर नहीं खरीदा जाएगा. इसको लेकर प्रदेश में सियासी घमासान हुआ था.
"सीनियर नेता तय करेंगे कौन होगा नेता प्रतिपक्ष": सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने विपक्ष का नेता बनाने को लेकर भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि विपक्ष का नेता कौन होगा, ये पार्टी के सीनियर नेता तय करेंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए एक कमेटी बना दी गई है, जो अपने स्तर पर काम करेगी. उन्होंने प्रदेश में खाद की किल्लत को लेकर भी प्रतिक्रिया दी. हुड्डा ने कहा कि सरकार किसानों को खाद उपलब्ध कराने में नाकाम रही है, जबकि कांग्रेस के समय में खाद की कोई कमी नहीं थी. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा सरकार तुरंत प्रभाव से खाद को लेकर काम करें.
"सैलजा बोलीं - सरकार किसानों का शोषण कर रही": वहीं, इस मामले में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा ने भी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि देश के अन्नदाता किसानों के बारे में अच्छा सोचने के बजाय भाजपा सरकार किसानों को दबाने का और उनके शोषण करने के काम में लगी है. कहीं उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है, तो कहीं केस दर्ज किए जा रहे हैं. मंडियों में एक ओर जहां किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने अब पराली जलाने पर जुर्माना राशि दोगुनी करने का फैसला किया है. कांग्रेस केंद्र के इस फैसले की निंदा करती है. सरकार किसानों पर जुर्म करने के बजाए उन्हें प्रोत्साहित करें ताकि किसान पराली को जलाने के बजाए पराली से अपनी आय बढ़ा सके.
"सरकार चाहे तो पराली से बिजली तक बना सकती है" : मीडिया को जारी एक बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि किसान आज भी अपने हकों की लड़ाई के लिए संघर्ष कर रहा है, किसान आंदोलन में अपने हक के लिए 750 किसान शहीद हो चुके हैं, सरकार उनकी बात सुनने के बजाए दमनकारी नीति से उन्हें दबाने और उनका शोषण करने में लगी हुई है. उन्होंने कहा कि पराली जलाने का काम अभी दो चार साल में शुरू नहीं हुआ, पहले से हो रहा है. पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है इसमें कोई दो राय नहीं. सरकार ऐसी व्यवस्था करें ताकि किसान पराली न जला सके. पराली का सदुपयोग कर सरकार बिजली बना सकते हैं. सरकार चाहे तो जिले में पराली खरीदने के केंद्र बनाए जा सकते हैं. सरकार अपने स्तर पर पराली का निस्तारण करें. सरकार पराली जलाने वालों पर जुर्माना करके या उनके खिलाफ केस दर्ज करवाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती. पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद अब केंद्र सरकार ने अपना गुस्सा किसानों पर उतारते हुए पराली जलाने पर जुर्माना राशि दोगुनी करने का फैसला किया है.
"मिनिमम 5 हजार का जुर्माना लगेगा" : दरअसल, पर्यावरण मंत्रालय ने वीरवार को एक नोटिफिकेशन जारी कर जुर्माना राशि दुगनी करने की जानकारी दी. अब 2 एकड़ से कम जमीन पर 5000 रुपए का जुर्माना लगेगा. दो से पांच एकड़ तक 10,000 रुपए और पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वालों से 30,000 रुपए जुर्माना वसूला जाएगा. उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकार इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी. उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों पर केस दर्ज करने से बचना चाहिए.
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