सागर। दीपावली पर महालक्ष्मी की पूजा होती है. लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि महालक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी हैं. अलक्ष्मी की पूजा निषेध है. खासकर दीपावली के दिन महालक्ष्मी की पूजा करते समय विशेष ध्यान रखना होता है कि हम अपने कर्म, आचरण और व्यवहार से अलक्ष्मी का पूजन तो नहीं कर रहे हैं. अलक्ष्मी की पूजन निषेध को लेकर शास्त्रों में कई कहानियां हैं. अलक्ष्मी कौन हैं, उनकी पूजन क्यों नहीं किया जाता. उनका निवास कहां है, इसको लेकर विद्वान अलग-अलग आधार पर अपनी राय रखते हैं.
लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से
शास्त्रों में वर्णन है कि मां लक्ष्मी की उत्पति समुद्र मंथन से हुई थी और उन्होंने भगवान विष्णु को वर चुना था. मां लक्ष्मी की उत्पत्ति से पहले उनकी बड़ी बहन की भी समुद्र मंथन से उत्पत्ति हुई थी, जिन्हें 'अलक्ष्मी' कहा जाता है. 'अलक्ष्मी' को 'ज्येष्ठा लक्ष्मी' के नाम से भी जाना जाता है और इनका स्वरूप लक्ष्मी से विपरीत है. मां लक्ष्मी को विष्णुपत्नी, सद्लक्ष्मी, महालक्ष्मी नाम से जाना जाता है, जो हमें शौर्य, धन और सुख-समृद्धि प्रदान करती हैं. इसके विपरीत अलक्ष्मी दरिद्रता, कष्ट, कलह,अपयश की देवी हैं. कहा जाता है कि अलक्ष्मी की उत्पति के समय किसी देवी-देवता ने नहीं अपनाया और भगवान विष्णु के आदेश पर इन्होंने कलह, दरिद्रता, अपयश और अवगुण वाले स्थान को अपना निवास बनाया.
क्यों नहीं होती अलक्ष्मी की पूजा
पंडित केशव गिरी महाराज कहते हैं "लक्ष्मी जी की बड़ी बहन अलक्ष्मी की पूजा निषेध है. क्योंकि कहा गया है कि एक बार अलक्ष्मी ब्रह्मा जी के पास पहुंची और कहने लगी "हम संसार के लोगों को अच्छे नहीं लगते हैं." ब्रह्मा जी ने कहा "अलक्ष्मी आप हमें अच्छी लगती हो" तो अलक्ष्मी ने कहा "अगर मैं आपको अच्छी लगती हूं, तो आप बताओ कि मैं कैसे आपको अच्छी लगती हूं" ब्रह्मा जी ने दोनों बहनों लक्ष्मी और अलक्ष्मी को बुलाया और कहा "तुम दोनों मुझे एक समान हो, मैं किसी से भेदभाव नहीं करता हूं."
ब्रह्मा जी ने दूर किया अलक्षमी का सारा भ्रम
इसके बाद अलक्ष्मी इस बात पर अड़ गयी "आप तो मुझे बताओ कि मैं आपको कैसे अच्छी लगती हूं" ब्रह्मा जी ने दोनों बहनों से कहा "तुम दोनों किसी के घर में जाओ और वापस आना. फिर मैं बताऊंगा कि कौन कैसे अच्छा लगता है." दोनों बहनें लक्ष्मी और अलक्ष्मी एक घर में गयी और वापस आईं. फिर अलक्ष्मी ने ब्रह्मा जी से पूछा "अब बताओ कि कौन कैसा लगता है" अलक्ष्मी के प्रश्न पर ब्रह्मा जी ने जवाब दिया "अलक्ष्मी तुम जाते हुए अच्छी लगती हो और लक्ष्मी आते हुए अच्छी लगती हैं."
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क्या अंतर है दोनों बहनों में
लक्ष्मी और अलक्ष्मी का अंतर बताने के लिए पंडित केशव गिरी महाराज महाकवि तुलसीदास की रामचरितमानस की पंक्ति का उदाहरण देते हैं कि "जहां सुमति वहां संपत्ति नाना, जहां कुमति वहां विपत्ति निदाना". अर्थात तुलसीदास कहते हैं कि जहां सुमति है. मतलब अच्छी बुद्धि, अच्छा व्यवहार, अच्छा आचरण और सत्कर्म है. वहां लक्ष्मी निवास करती हैं. वहीं कुमति का अर्थ है कि जहां बुरे कर्म किया जाते हैं. चरित्र अच्छा नहीं होता है, जहां मनुष्य काम, क्रोध, लोभ और मद से भरा रहता है. भले ही उसके पास कितनी भी संपत्ति हो, लेकिन जीवन में शांति नहीं रहती है. क्योंकि वहां कुमति निवास करती है और कुमति का मतलब अलक्ष्मी होता है. जहां सुमति है, वहां लक्ष्मी हैं और जहां कुमति है, वहां लक्ष्मी का निवास होगा.