नई दिल्ली: सरकार और प्रशासन की तमाम योजनाओं, प्रयासों और दावों के बाद भी राजधानी दिल्ली की यमुना का हाल सुधारने का नाम नहीं ले रहा है. हाल बदहाल दिख रहा है. मौजूदा समय में यमुना में ना के बराबर पानी है. और जो पानी भी है उसमें झाग ही झाग नजर आ रहा हैं.
कालिंदीकुंज यमुना घाट पर यमुना मार्च में सूखती नजर आ रही है. यमुना में पानी की कमी की वजह केवल गर्मी के मौसम तक सीमित नहीं है, बल्कि भूगर्भ में हो रहे परिवर्तन भी इसकी बड़ी वजह है. शोध में ये बता सामने आई है कि यमुना-गंगा के उद्गम पहाड़ों से है जहां से जल प्रवाह में 50 फीसदी की कमी आई है.
बर्फ के अनियमित गिरने और उसके गलने के समय में फिर से पारा गिर जाने से यमुना के उद्गम से ही जल का आना कम हुआ है. जिसकी वजह से यमुना में पानी की कमी देखी जा रही है. वहीं, हरियाणा और दिल्ली के आसपास गहरे ट्यूबवैलों की संख्या में खतरनाक सीमा तक वृद्धि देखी जा रही है.
बता दें, राजधानी दिल्ली में यमुना वजीराबाद से लेकर कालिंदी कुंज के बीच करीब 22 किलोमीटर तक बहती हैं. और इस क्षेत्र में यमुना सबसे ज्यादा प्रदूषित होती हैं और यहीं पर यमुना सबसे बदहाल नजर आती हैं. कालिंदी कुंज दिल्ली में यमुना का आखिरी छोर होता है, यही से कुछ आगे यमुना हरियाणा के तरफ बढ़ जाती हैं.
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बहरहाल, यमुना नदी के जल स्तर में अचानक गिरावट आना चिंता की विषय है. जिसके प्रति सरकार के साथ-साथ समाज को भी संवेदनशील होना पड़ेगा. तभी दिल्ली को आने वाले समय में बढ़ती गर्मी के दौरान विस्फोटक हालात से बचाया जा सकता है.
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