शिमला: पहाड़ों की रानी शिमला में आने वाले दिनों में पानी का संकट गहरा सकता है. शिमला शहर को पानी देने वाली गिरी-गुम्मा खड्ड में जलस्तर कम हो गया है. शिमला शहर में सबसे ज्यादा पानी इन दोनों परियोजनाओं से आ रहा है, लेकिन बारिश न होने और गर्मी ज्यादा पड़ने से परियोजनाएं सूखना शुरू हो चुकी हैं. इन परियोजनाओं में काफी कम पानी रह गया है.
जल प्रबंधन निगम हर रोज गुम्मा परियोजना से 22 एमएलडी तक पानी की सप्लाई करता था, लेकिन अब 19 एमएलडी पानी ही शिमला पहुच रहा है. इसके अलावा गिरी परियोजना से जहां पहले 17 एमएलडी पानी मिलता था वहीं, अब 11 एमएलडी पानी वीरवार को शिमला पहुंचा है. शिमला शहर में हर रोज 45 एमएलडी तक पानी की जरूरत रहती है . वीरवार को शिमला में सभी परियोजनाओं से केवल 33 एमएलडी पानी ही मिल पाया है, जिससे कई क्षेत्रों में एक दिन छोड़कर पानी दिया जा रहा है, जिन क्षेत्र में पानी की सप्लाई नहीं हो रही है वहां पानी के टैंकर्स से जल प्रबंधन निगम सप्लाई कर रहा है. शिमला के कुछ क्षेत्र पानी की किल्लत झेल रहे हैं.
बर्फबारी और बारिश कम होने से गहराया संकट
जल प्रबधन के कम्युनिकेशन एक्सपर्ट साहिल शर्मा ने कहा कि इस बार सर्दियों में बर्फबारी काफी कम हुई है ओर गर्मियों में भी बारिश नहीं हो रही है, जिससे पेयजल परियोजनाओं में पानी का स्तर कम हो रहा है. बावजूद इसके जल प्रबंधन निगम दिन-रात काम कर रहा है और शिमला शहर में लोगों को पानी देने का हर संभव प्रयास कर रहा है. 2018 में जिस तरह से पार्टी का संकट आया था उस समय भी पानी के स्रोतों में पानी की कमी हो गई थी, लेकिन इस बार उससे ज्यादा पानी कम हो गया है. बावजूद इसके शहर में पानी लोगों को उपलब्ध करवाया जा रहा है. किसी भी तरह की पैनिक जैसी स्थिति नहीं है.
हेल्पलाइन नंबर पर कर सकते हैं संपर्क
कम्युनिकेशन एक्सपर्ट साहिल शर्मा ने कहा कि आने वाले दिनों में ऐसे ही हालात रहते हैं तो जल प्रबंधन निगम एक दिन छोड़कर लोगों को पानी दे सकता है. जिन क्षेत्र में पानी नहीं मिल रहा है वहां पर पानी के टैंकर्स के माध्यम से पानी की सप्लाई की जा रही है. अभी शिमला में पेयजल संकट के हालात नहीं है. दो दिन तक पानी ना आने पर 24X7 काम करने वाले कंट्रोल रूम में 14420 हेल्पलाइन नंबर संपर्क कर सकता है. उन्होंने लोगों से भी अपील करते हुए कहा कि पानी को बर्बाद ना करें और जरूर के हिसाब से ही इसका प्रयोग करें.