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टेरर फंडिंग के आरोपी सांसद राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर फैसला कल - TERROR FUNDING CASE

रशीद इंजीनियर ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की थी.

राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर फैसला
राशिद इंजीनियर की जमानत याचिका पर फैसला (File Photo)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 19, 2024, 2:17 PM IST

Updated : Nov 19, 2024, 3:01 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली का पटियाला हाउस कोर्ट कल जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला के सांसद राशिद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह फैसला सुनाएंगे. पटियाला हाउस कोर्ट टेरर फंडिंग मामले में आरोपी और बारामुला से सांसद राशिद इंजीनियर की नियमित ज़मानत याचिका पर अब कल यानि 20 नवंबर को फैसला सुनाएगा. पहले जमानत याचिका पर आज फैसला सुनाया जाना था.

पटियाला हाउस कोर्ट ने 13 नवंबर को कहा था कि रशीद इंजीनियर के खिलाफ दर्ज मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी सांसद बन चुके हैं, इसलिए वो 20 नवंबर को इस बात पर विचार करेगा कि इस मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए या नहीं.

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2 अक्टूबर को मिली थी अंतरिम जमानत
राशिद इंजीनियर ने 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. 10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद से कोर्ट ने रशीद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी.

सांसद हैं राशिद इंजीनियर

मालूम हो कि राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की. राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

एनआईए के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

एनआईए के मुताबिक. हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया.

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टेरर फंडिंग मामले के आरोपी राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत अवधि 28 अक्टूबर तक बढ़ी

नई दिल्ली: दिल्ली का पटियाला हाउस कोर्ट कल जम्मू कश्मीर टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और बारामूला के सांसद राशिद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर फैसला सुनाएगा. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह फैसला सुनाएंगे. पटियाला हाउस कोर्ट टेरर फंडिंग मामले में आरोपी और बारामुला से सांसद राशिद इंजीनियर की नियमित ज़मानत याचिका पर अब कल यानि 20 नवंबर को फैसला सुनाएगा. पहले जमानत याचिका पर आज फैसला सुनाया जाना था.

पटियाला हाउस कोर्ट ने 13 नवंबर को कहा था कि रशीद इंजीनियर के खिलाफ दर्ज मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा था कि आरोपी सांसद बन चुके हैं, इसलिए वो 20 नवंबर को इस बात पर विचार करेगा कि इस मामले को एमपी-एमएलए कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए या नहीं.

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2 अक्टूबर को मिली थी अंतरिम जमानत
राशिद इंजीनियर ने 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. 10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने राशिद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद से कोर्ट ने रशीद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी.

सांसद हैं राशिद इंजीनियर

मालूम हो कि राशिद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की. राशिद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद , सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था.

एनआईए के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

एनआईए के मुताबिक. हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम किया.

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Last Updated : Nov 19, 2024, 3:01 PM IST
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