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उत्तराखंड में साल दर साल बढ़ रहा कर्ज का मर्ज, बोझ से कब उबरेगा प्रदेश?

Uttarakhand Budget Session 2024 बीते दिन उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान 89,230.07 करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया. जो तमाम विभागों द्वारा विकास कार्यों में खर्च किया जाएगा. लेकिन इसी के इतर प्रदेश साल दर साल कर्जे के बोझ तले दबता जा रहा है. लेकिन सरकार के मंत्री दावा कर रहे हैं कि उन्होंने कर्ज को कम किया है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 28, 2024, 1:09 PM IST

Updated : Feb 28, 2024, 1:22 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने 27 फरवरी को विधानसभा सत्र के दौरान अपना बजट पेश किया. जिसमें 89,230 करोड़ रुपए के बजट में तमाम विभागों के लिए अलग-अलग धनराशि जारी की गई है. साल 2024-25 के इस बजट को राज्य सरकार ऐतिहासिक और जनता का बजट बता रही है. लेकिन इस बजट के साथ ही यह भी साफ हो गया कि साल दर साल उत्तराखंड कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है. आलम यह है कि कर्ज को चुकाने के लिए सरकार नया कर्ज ले रही है.

बढ़ता जा रहा राज्य का कर्ज: राज्य गठन के बाद से ही हर सरकार ने विभागों में कर्मियों की तनख्वाह से लेकर विकास कार्यों तक के लिए अलग-अलग माध्यम से कर्ज लिया है. मौजूदा समय में यह कर्ज 78 हजार 450 करोड़ रुपए का हो गया है. अभी साल की शुरुआत हुई है, ऐसे में सरकार को इन 10 महीना में लगभग 3000 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाने के लिए हर साल लिए गए कर्ज की कुछ राशि देनी पड़ती है.

बीते सालों की तुलना में इस बार कम लिया कर्ज: हैरानी की बात यह है कि कर्ज को चुकाने के लिए हर सरकार और कर्ज ले रही है. एक अनुमान के मुताबिक अगले वित्त वर्ष तक उत्तराखंड पर 81000 करोड़ रुपए से भी अधिक का कर्जा हो सकता है. हालांकि सरकार यह दावा कर रही है कि बीते सालों के तुलना में इस बार हमने काफी कम कर्ज लिया है.

कर्ज कम करने का किया दावा: वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की मानें तो राज्य गठन के बाद से ही इधर-उधर से पैसे ले देकर ही काम किया जा रहा है. लेकिन अच्छी बात यह है कि हम इस साल बेहतर काम कर पाए हैं. साल 2022 और 23 में सरकार अनुमान लगा रही थी कि यह कर्ज बढ़कर 80000 करोड़ रुपए से भी ऊपर का हो जाएगा, लेकिन इस कर्ज को हमने कम किया है और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा.

कर्ज पर लगाई जाएगी लगाम: प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने बीते साल भी कर्ज चुकाने के लिए 1000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज लिया था और जो इस वक्त कर्ज 78000 करोड़ रुपए से ऊपर का है. वह तब है जब हमने बहुत हद तक कर्ज पर लगाम लगाई है और हम निरंतर विकास कार्यों पर पैसा खर्च कर रहे हैं. साल 2019 और 2020 में यह कर्ज 65,96 करोड़ रुपए का था. जबकि साल 2020 और 21 में लगभग 71 हजार था. लेकिन साल 2021 और साल 2022 के वित्तीय वर्ष में यह कर्ज बढ़कर 77000 करोड़ रुपए हो गया. इसी तरह साल 2022 और 2023 में यह कर्ज 77,023 करोड़ रुपए हो गया . वहीं साल 2023 और साल 2024 के वित्तीय वर्ष में यह कर्ज 78,450 करोड़ रुपए हो गया है.

पढ़ें-

धामी सरकार ने पेश किया ₹89,230.07 करोड़ का बजट, ₹88,597.11 करोड़ की राजस्व प्राप्ति का अनुमान

उत्तराखंड बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल ने रखीं सरकार की 40 बड़ी उपलब्धियां, ये हैं महत्वपूर्ण बिंदु

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बढ़ता जा रहा राज्य का कर्ज: राज्य गठन के बाद से ही हर सरकार ने विभागों में कर्मियों की तनख्वाह से लेकर विकास कार्यों तक के लिए अलग-अलग माध्यम से कर्ज लिया है. मौजूदा समय में यह कर्ज 78 हजार 450 करोड़ रुपए का हो गया है. अभी साल की शुरुआत हुई है, ऐसे में सरकार को इन 10 महीना में लगभग 3000 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाने के लिए हर साल लिए गए कर्ज की कुछ राशि देनी पड़ती है.

बीते सालों की तुलना में इस बार कम लिया कर्ज: हैरानी की बात यह है कि कर्ज को चुकाने के लिए हर सरकार और कर्ज ले रही है. एक अनुमान के मुताबिक अगले वित्त वर्ष तक उत्तराखंड पर 81000 करोड़ रुपए से भी अधिक का कर्जा हो सकता है. हालांकि सरकार यह दावा कर रही है कि बीते सालों के तुलना में इस बार हमने काफी कम कर्ज लिया है.

कर्ज कम करने का किया दावा: वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की मानें तो राज्य गठन के बाद से ही इधर-उधर से पैसे ले देकर ही काम किया जा रहा है. लेकिन अच्छी बात यह है कि हम इस साल बेहतर काम कर पाए हैं. साल 2022 और 23 में सरकार अनुमान लगा रही थी कि यह कर्ज बढ़कर 80000 करोड़ रुपए से भी ऊपर का हो जाएगा, लेकिन इस कर्ज को हमने कम किया है और आगे भी यह सिलसिला जारी रहेगा.

कर्ज पर लगाई जाएगी लगाम: प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने बीते साल भी कर्ज चुकाने के लिए 1000 करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज लिया था और जो इस वक्त कर्ज 78000 करोड़ रुपए से ऊपर का है. वह तब है जब हमने बहुत हद तक कर्ज पर लगाम लगाई है और हम निरंतर विकास कार्यों पर पैसा खर्च कर रहे हैं. साल 2019 और 2020 में यह कर्ज 65,96 करोड़ रुपए का था. जबकि साल 2020 और 21 में लगभग 71 हजार था. लेकिन साल 2021 और साल 2022 के वित्तीय वर्ष में यह कर्ज बढ़कर 77000 करोड़ रुपए हो गया. इसी तरह साल 2022 और 2023 में यह कर्ज 77,023 करोड़ रुपए हो गया . वहीं साल 2023 और साल 2024 के वित्तीय वर्ष में यह कर्ज 78,450 करोड़ रुपए हो गया है.

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Last Updated : Feb 28, 2024, 1:22 PM IST
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