सुकमा : छत्तीसगढ़ में बारिश के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ है. नदी नाले उफान पर हैं.सबसे ज्यादा बुरी हालत बस्तर के सुदूर इलाकों की है.जहां के कई गांव बारिश और बाढ़ के कारण टापू बन चुके हैं.इन गांवों तक पहुंचना लोगों के लिए मुश्किल भरा है.वहीं दूसरी तरफ जो लोग गांव से बाहर हैं.उन्हें गांव में वापस आने के लिए कई किलोमीटर जंगलों में घूमना पड़ रहा है.ऐसी ही एक तस्वीर सुकमा से सामने आई है.जहां मृतक को उसके पैतृक गांव पहुंचाने के लिए ग्रामीणों ने 20 किलोमीटर पैदल जंगल की खाक छानी.
क्या है मामला ?: किस्टाराम थाना क्षेत्र के अरलापेंटा में एक व्यक्ति गंभीर बीमारी से पीड़ित था. जिसे परिजनों ने उपचार के लिए भद्राचलम में भर्ती कराया गया.बीते कई महीनों से मरीजों का भद्राचलम में ही चल रहा था.लेकिन इलाज के दौरान परिजनों के पैसे खत्म हो गए.इसलिए मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज कराने के बाद इतनपाड़ गांव लाया गया.जहां मरीज का देसी इलाज शुरु किया गया.लेकिन देसी इलाज का भी मरीज पर कोई फर्क नहीं पड़ा.आखिरकार रविवार के दिन पीड़ित की मौत हो गई.लेकिन जिस वक्त पीड़ित ने दम तोड़ा वो अपने पैतृक गांव से कई किलोमीटर दूर था. साथ ही साथ भारी बारिश के कारण अरलापेंटा जाने वाले रास्ते बंद थे.
खाट में शव लेकर 20 किमी का पैदल सफर : सुकमा जिला बाढ़ की चपेट में है.इसलिए अरलापेंटा जाने वाली मुख्य सड़क में पानी भरा है.इस वजह से ये गांव दूसरे गांवों से कट चुका है.लिहाजा मृतक के परिजनों ने शव को खाट में रखकर अरलापेंटा पहुंचाने की ठानी.इसके बाद परिजन भारी बारिश के बीच शव को खाट में रखकर अरलापेंटा की ओर निकल पड़े. परिजनों ने इसके लिए जंगल का रास्ता चुना.फिर तिगनपल्ली होते हुए जंगल के रास्ते से 20 किलोमीटर लंबा सफर तय किया.