नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर में डीडीए के एक खुले नाले में गिरकर मां और बच्चे की मौत के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की मांग पर 6 अगस्त को सुनवाई करेगा. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया. सोमवार को सुनवाई के दौरान डीडीए ने कहा कि जिस नाले की ये घटना है, वो डीडीए का नहीं है बल्कि दिल्ली नगर निगम का है. उसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्होंने दिल्ली नगर निगम को पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल कर दिया है.
उन्होंने कहा कि याचिका दायर करते समय स्थानीय लोगों का कहना था कि वो नाला डीडीए का है. उसके बाद कोर्ट ने कहा कि अगर आप नहीं जानते हैं तो आप दिल्ली नगर निगम को भी पक्षकार बनाइए. याचिका झुन्नु लाल श्रीवास्तव ने दायर किया है. याचिका में मांग की गई है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज कर महिला और उसके बच्चे की मौत की जांच शुरू करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए.
याचिका में कहा गया है कि इस घटना की जिम्मेदारी तय की जाए. अभी तक दिल्ली पुलिस और डीडीए ने किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की है. इसमें मांग की गई है कि नाले का निर्माण करनेवाले ठेकेदार पर कार्रवाई की जाए और दिल्ली में नालों के निर्माण की विस्तृत आडिट करायी जाए ताकि ऐसी घटना भविष्य में दोबारा नहीं हो.
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याचिका में मांग की गई है कि दिल्ली में बारिश जैसे हालात से निपटने के लिए योजना तैयार की जाए और दिल्ली के सभी खुले नालों को ढकने का आदेश दिया जाए. इसके अलावा आम जनता को साईन बोर्ड के जरिये जागरूरक किया जाए ताकि वे नालों से दूर रहें. याचिका में कहा गया है कि इस मामले में डीडीए के 26 फरवरी 1986 के सर्कुलर नंबर 135 का खुलेआम उल्लंघन हुआ है, जिसमें कहा गया है कि गहरे नाले को खाली नहीं छोड़ा जाए और कोई मेनहोल बिना कवर का नहीं हो ताकि किसी दुर्घटना से बचा जा सके.
बता दें, गाजियाबाद की खोड़ा कॉलोनी में रहनेवाले 22 वर्षीय महिला तनुजा और उसका तीन साल का बेटा प्रियांश 31 जुलाई को गाजीपुर से गुजर रहे थे. काफी बारिश की वजह से गाजीपुर नाले से पानी ओवरफ्लो हो रहा था. महिला अपने बच्चे के साथ नाले में गिर पड़ी और दोनों की मौत हो गई.
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