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CBI ने रिश्वत के मामले में DDA के इंजीनियर को किया गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

बिल पास करने के लिए मांगी थी 3 लाख की रिश्वत, CBI ने शिकायत के बाद आरोपियों के खिलाफ जाल बिछाया और रंगे हाथों पकड़ा.

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By ANI

Published : 2 hours ago

नई दिल्ली: दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और एक मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया है. आरोप है कि इन आरोपियों ने एक बिल पास करने के लिए शिकायतकर्ता से तीन लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी. यह घटना दिल्ली में विकास मीनार कार्यालय में हुई, जहां आरोपी तैनात थे.

मामला कैसे सामने आया: सीबीआई के एक अधिकारी के अनुसार, इस मामले की शिकायत पहले से ही उपलब्ध थी, जिसके बाद उन्होंने उचित कार्रवाई का निर्णय लिया. शिकायतकर्ता द्वारा दी गई जानकारी में उल्लेख किया गया था कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राहुल मीणा और एमटीएस मनीष ने मिलकर उससे रिश्वत मांगी थी. सीबीआई ने इस बात की पुष्टि करने के लिए एक जाल बिछाने का निर्णय लिया.

सीबीआई ने जाल बिछाया : सीबीआई ने आरोपियों से बातचीत करने के बाद रिश्वत की रकम कम करने के लिए एक झूठी डील की, जिसमें मामला दो लाख 80 हजार रुपये में तय हुआ. जब एक आरोपी ने उक्त राशि की पहली किश्त, यानी दो लाख रुपये, लेते समय रंगे हाथ पकड़ा गया, तब सीबीआई की छिपी टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया. मनीष की गिरफ्तारी के बाद, उसकी निशानदेही पर दूसरे आरोपी, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राहुल मीणा को भी पकड़ लिया गया.

आगे की जांच: सीबीआई अधिकारियों ने इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कहा है कि जांच अभी जारी है. यह भी देखने की आवश्यकता है कि क्या डीडीए के अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी इस रिश्वतखोरी में शामिल हैं या नहीं. मामला उजागर होने के बाद से दिल्ली के विभिन्न सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सतर्कता बढ़ गई है.

नई दिल्ली: दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के एक एग्जीक्यूटिव इंजीनियर और एक मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा रिश्वतखोरी के मामले में गिरफ्तार किया गया है. आरोप है कि इन आरोपियों ने एक बिल पास करने के लिए शिकायतकर्ता से तीन लाख रुपये की रिश्वत की मांग की थी. यह घटना दिल्ली में विकास मीनार कार्यालय में हुई, जहां आरोपी तैनात थे.

मामला कैसे सामने आया: सीबीआई के एक अधिकारी के अनुसार, इस मामले की शिकायत पहले से ही उपलब्ध थी, जिसके बाद उन्होंने उचित कार्रवाई का निर्णय लिया. शिकायतकर्ता द्वारा दी गई जानकारी में उल्लेख किया गया था कि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राहुल मीणा और एमटीएस मनीष ने मिलकर उससे रिश्वत मांगी थी. सीबीआई ने इस बात की पुष्टि करने के लिए एक जाल बिछाने का निर्णय लिया.

सीबीआई ने जाल बिछाया : सीबीआई ने आरोपियों से बातचीत करने के बाद रिश्वत की रकम कम करने के लिए एक झूठी डील की, जिसमें मामला दो लाख 80 हजार रुपये में तय हुआ. जब एक आरोपी ने उक्त राशि की पहली किश्त, यानी दो लाख रुपये, लेते समय रंगे हाथ पकड़ा गया, तब सीबीआई की छिपी टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया. मनीष की गिरफ्तारी के बाद, उसकी निशानदेही पर दूसरे आरोपी, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राहुल मीणा को भी पकड़ लिया गया.

आगे की जांच: सीबीआई अधिकारियों ने इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए कहा है कि जांच अभी जारी है. यह भी देखने की आवश्यकता है कि क्या डीडीए के अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी इस रिश्वतखोरी में शामिल हैं या नहीं. मामला उजागर होने के बाद से दिल्ली के विभिन्न सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सतर्कता बढ़ गई है.

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