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मां ने बेटी को डॉक्टर बनाने के लिए छोड़ दी थी टीचर की नौकरी, मुजफ्फपुर की ईशा ने NEET की परीक्षा की पास - NEET 2024 UG Result

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 6, 2024, 2:08 PM IST

मुजफ्फरपुर की ईशा ने चौथे अटेम्प्ट में नीट की परीक्षा पास कर ली है. ईशा को ऑल इंडिया रैंक 19895 और ओबीसी कोटे में 8769वां स्थान मिला है. ईशा की मां ने बताया कि बेटी के भविष्य के लिए उन्हें अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी थी. ईशा की मां टीचर थीं.

मुजफ्फपुर की ईशा ने NEET की परीक्षा की पास
मुजफ्फपुर की ईशा ने NEET की परीक्षा की पास (ETV Bharat)

मुजफ्फरपुर: देश की सबसे बड़ी परीक्षाओं में से एक नीट की परीक्षा में मुजफ्फरपुर की बेटी ने जिले का नाम रौशन किया है. वह शहर के आमगोला में रहकर पढ़ाई करती थी. छात्रा ईशा कुमारी ने नीट परीक्षा में कुल 99.13 परसेंटाइल अंक प्राप्त किया है.

मुजफ्फरपुर की ईशा ने किया कमाल: ईशा को ऑल इंडिया रैंक 19895 और ओबीसी कोटे में 8769वां स्थान मिला है. भौतिकी में 99.13, रसायनशास्त्र में 98.82 और बायोलॉजी में 97.13 परसेंटाइल अंक प्राप्त किया है. ईशा मध्यम परिवार से आती है. ईशा के परिवार का दिन गरीबी में गुजरा है. ईशा के पिता कृष्णा कुमार पिछले 28 वर्षो से किराना दुकान चलाते हैं. मां गीता पूर्व में निजी स्कूल में शिक्षक रह चुकी हैं.

'सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस': ईशा ने ईटीवी भारत को बताया कि इस सफलता का श्रेय मैं अपने माता पिता को देती हूं. उन्होंने मेरा काफी सपोर्ट किया. चौथा अटेंप्ट था. मैंने सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस किया. ऑफलाइन टेस्ट देती थी. ईशा ने पटना में रहकर कुछ समय कोचिंग क्लास भी किया लेकिन सेल्फ स्टडी का प्रभाव ज्यादा पड़ा.

"मैं एक अच्छी डॉक्टर बनना चाहती हूं. मैंने इसके लिए काफी मेहनत की है और आगे भी करती रहूंगी."- ईशा, छात्रा

किराने की दुकान चलाते हैं पिता: ईशा के पिता ने बताया कि जिंदगी काफी दिक्कत में गुजरी है. मैं अपने बेटे को प्राइवेट कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई करवा रहा हूं. उसने भी नीट की परीक्षा पास की थी. अभी वह किशनगंज के माता गुजरी देवी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है. मेरे पास पैसा और हिम्मत नहीं था कि मैं अपनी बेटी को भी प्राइवेट से पढ़ा सकूं इसके लिए मैंने इसे नीट का तैयारी करवाया.

"आज इसने मेरा नाम रौशन कर दिया. मैं 25 वर्षो से किराना दुकान चला रहा हूं. इससे बच्चों को पढ़ाना बहुत मुश्किल है. इसके लिए मैंने पैसे भी कर्ज ले रखे थे. मेरे हालातों को समझ कर मेरी बेटी ने दिन रात मेहनत की."- ईशा के पिता

'बच्चों के लिए छोड़नी पड़ी थी नौकरी': मां गीता कुमारी ने बताया कि "अपनी बेटी के परिणाम से काफ़ी खुश हैं. मैं पहले एक निजी स्कूल में शिक्षिका थी, लेकिन परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी को देखते हुए मैंने उसकी नौकरी छोड़ दी. अपने बच्चों को समय देना जरूरी समझी. उनका सहयोग करने लगी. आज मेरी बेटी ने मेरा नाम रौशन कर दिया, आगे भी इसके साथ हमारा पूरा सहयोग रहेगा."

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मुजफ्फरपुर: देश की सबसे बड़ी परीक्षाओं में से एक नीट की परीक्षा में मुजफ्फरपुर की बेटी ने जिले का नाम रौशन किया है. वह शहर के आमगोला में रहकर पढ़ाई करती थी. छात्रा ईशा कुमारी ने नीट परीक्षा में कुल 99.13 परसेंटाइल अंक प्राप्त किया है.

मुजफ्फरपुर की ईशा ने किया कमाल: ईशा को ऑल इंडिया रैंक 19895 और ओबीसी कोटे में 8769वां स्थान मिला है. भौतिकी में 99.13, रसायनशास्त्र में 98.82 और बायोलॉजी में 97.13 परसेंटाइल अंक प्राप्त किया है. ईशा मध्यम परिवार से आती है. ईशा के परिवार का दिन गरीबी में गुजरा है. ईशा के पिता कृष्णा कुमार पिछले 28 वर्षो से किराना दुकान चलाते हैं. मां गीता पूर्व में निजी स्कूल में शिक्षक रह चुकी हैं.

'सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस': ईशा ने ईटीवी भारत को बताया कि इस सफलता का श्रेय मैं अपने माता पिता को देती हूं. उन्होंने मेरा काफी सपोर्ट किया. चौथा अटेंप्ट था. मैंने सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस किया. ऑफलाइन टेस्ट देती थी. ईशा ने पटना में रहकर कुछ समय कोचिंग क्लास भी किया लेकिन सेल्फ स्टडी का प्रभाव ज्यादा पड़ा.

"मैं एक अच्छी डॉक्टर बनना चाहती हूं. मैंने इसके लिए काफी मेहनत की है और आगे भी करती रहूंगी."- ईशा, छात्रा

किराने की दुकान चलाते हैं पिता: ईशा के पिता ने बताया कि जिंदगी काफी दिक्कत में गुजरी है. मैं अपने बेटे को प्राइवेट कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई करवा रहा हूं. उसने भी नीट की परीक्षा पास की थी. अभी वह किशनगंज के माता गुजरी देवी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहा है. मेरे पास पैसा और हिम्मत नहीं था कि मैं अपनी बेटी को भी प्राइवेट से पढ़ा सकूं इसके लिए मैंने इसे नीट का तैयारी करवाया.

"आज इसने मेरा नाम रौशन कर दिया. मैं 25 वर्षो से किराना दुकान चला रहा हूं. इससे बच्चों को पढ़ाना बहुत मुश्किल है. इसके लिए मैंने पैसे भी कर्ज ले रखे थे. मेरे हालातों को समझ कर मेरी बेटी ने दिन रात मेहनत की."- ईशा के पिता

'बच्चों के लिए छोड़नी पड़ी थी नौकरी': मां गीता कुमारी ने बताया कि "अपनी बेटी के परिणाम से काफ़ी खुश हैं. मैं पहले एक निजी स्कूल में शिक्षिका थी, लेकिन परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी को देखते हुए मैंने उसकी नौकरी छोड़ दी. अपने बच्चों को समय देना जरूरी समझी. उनका सहयोग करने लगी. आज मेरी बेटी ने मेरा नाम रौशन कर दिया, आगे भी इसके साथ हमारा पूरा सहयोग रहेगा."

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