कोटा : विजयादशमी के अवसर पर कोटा के पूर्व राज परिवार की तरफ से गढ़ पैलेस में दरीखाने की रस्म आयोजित की गई. इसमें हाड़ौती के कई पूर्व रियासतों के ठिकानेदार शामिल हुए. ऐसे में मौके पर राजसी ठाठ-बाट देखने को मिला. पहली बार महिलाओं के लिए भी दरीखाने की रस्म में अलग से व्यवस्था की गई. यहां सबने कोटा के पूर्व महाराव इज्यराज सिंह और पूर्व महाराज कुमार जयदेव सिंह से दशहरे की रामश्यामी की.
वहीं, इसमें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, राज्य के ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, विधायक संदीप शर्मा सहित कई भाजपा-कांग्रेस के दिग्गज नेता पहुंचे थे. इस दौरान मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए इज्यराज सिंह ने कहा कि हम बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मना रहे हैं. सभी की जिंदगी में बुराई खत्म हो और अच्छाई ही बढ़े यही हमारी कामना है.
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उन्होंने कहा कि दरीखाने की रस्म एक लंबे समय से चल रही परंपरा है. इसके पीछे कुछ मकसद था. इसी से हमारे क्षेत्र की पहचान होती रही. दशहरा को लेकर उन्होंने कहा कि पुरानी परंपराएं निभाना हम सबका कर्तव्य है. खास करके पूर्व महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के समय से इसको और बड़ा किया गया है. हम चाहते हैं कि दशहरा मेला और उसकी झांकी व सवारी का वैभव वैसा ही बना रहे.
मौके पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि दशहरा हमारी विरासत का प्रतीक है. यहां समस्त हाड़ौती के लोग आते हैं. कोटा दशहरा मेला 131 सालों से भरा जा रहा है और इसमें हमारी सांस्कृतिक वैभव नजर आता है. यह आत्मनिर्भर भारत का भी मॉडल है. कोटा की संस्कृति, परंपरा, विरासत निश्चित रूप से अपने आप में समृद्ध रही है. दशहरा मेला और बेहतर हो रहा है. इसकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान हो रही है.
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गज पर निकली भगवान लक्ष्मी नारायण की सवारी : दरीखाने की रस्म के बाद गढ़ पैलेस से ही भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सवारी के साथ जुलूस रवाना हुआ. भगवान लक्ष्मी नारायण इस दौरान हाथी पर सवार थे. यह जुलूस दशहरा मैदान के विजय श्री रंगमंच पहुंचेगा, जहां विजयादशमी के अवसर पर रावण दहन हुआ. वहीं, दूसरी तरफ रावण दहन से पहले होने वाली रस्म भी इज्यराज सिंह ने निभाई. इस शोभायात्रा में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए.