देहरादून: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों पर लगातार हो रहे भूस्खलन एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. चमोली में बदरीनाथ हाईवे पर हुए भूस्खलन के चलते यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. साथ ही बदरीनाथ धाम के दर्शन करने जाने वाले श्रद्धालुओं को कई घंटों जाम में फंसना पड़ा. वहीं, वैज्ञानिक अब केदारनाथ धाम जाने वाले नए पैदल मार्ग पर भूस्खलन के खतरे की संभावना जता रहे हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो केदारनाथ धाम को फिलहाल किसी भी ही हिमस्खलन या अन्य पहलुओं से खतरा नहीं है, लेकिन केदारनाथ धाम जाने वाला नया रास्ता काफी खतरनाक है, जिसका ट्रीटमेंट किए जाने की जरूरत है.
भूस्खलन की घटनाओं ने बढ़ाई चिंता: बता दें कि उत्तराखंड में हर साल बड़ी संख्या में भूस्खलन की घटनाएं होती है. मानसून सीजन के दौरान तो भूस्खलन की घटनाएं और ज्यादा बढ़ जाती है. जिसके चलते जानमाल का काफी नुकसान होता है. बावजूद इसके उत्तराखंड सरकार अभी तक भूस्खलन संभावित क्षेत्र का ट्रीटमेंट नहीं कर पाई है. जिससे हर साल होने वाले भूस्खलन को रोका जा सके. हालांकि, मानसून सीजन के दौरान भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में मशीनें तैनात की जाती है. ताकि, भूस्खलन होने की स्थिति में तत्काल प्रभाव से बाधित यातायात को सुचारू किया जा सके.
![Landslide On Kedarnath Yatra Route](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-07-2024/21947043_kedarnath-2.jpg)
जोशीमठ में 84 घंटे बाद खुला था बदरीनाथ हाईवे: हर साल भूस्खलन होने से चारधाम की यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को घंटों जाम में फंसना पड़ता है. हाल ही में बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन की वजह से यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. दरअसल, जोशीमठ से करीब एक किलोमीटर पहले जोगीधारा में 9 जुलाई की सुबह साढ़े 6 बजे भूस्खलन होने से बदरीनाथ हाईवे बंद हो गया था. जिसे कड़ी मशक्कत के बाद 12 जुलाई को खोला गया. इस भूस्खलन के चलते करीब 84 घंटे तक यात्रियों को जाम में फंसना पड़ा.
![Landslide On Kedarnath Yatra Route](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-07-2024/21947043_kedarnath-45454.png)
केदारनाथ धाम के नए पैदल मार्ग पर भूस्खलन की संभावना: ऐसे में वैज्ञानिक बदरीनाथ धाम की तरह ही केदारनाथ धाम के नए पैदल मार्ग रामबाड़ा से लेकर रुद्राफॉल के बीच बड़े भूस्खलन की संभावना जता रहे हैं. क्योंकि, हर साल इस मार्ग पर भूस्खलन की घटनाएं होती रही है. वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून से रिटायर्ड वैज्ञानिक डीपी डोभाल बताते हैं कि केदारनाथ धाम में सबसे बड़ी दिक्कत रास्ते की है. खासकर नया रास्ता रामबाड़ा से रुद्राफॉल के बीच पहले 7 से 8 बार भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी है.
वाडिया के पूर्व वैज्ञानिक सरकार को दे चुके रिपोर्ट: इस रास्ते के निर्माण के दौरान इसका उन्होंने अध्ययन किया था. साथ ही उसकी रिपोर्ट तैयार कर रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी को भी सौंपी थी. उस रिपोर्ट में इस मार्ग को लेकर तमाम सुझाव दिए थे. साथ ही बताया कि अध्ययन के दौरान उन्होंने पाया कि ठंड के दौरान जब ज्यादा बर्फबारी होती है तो उस मार्ग पर एवलांच सक्रिय हो जाते हैं. जबकि, यात्रा सीजन के दौरान लगभग हर साल इस मार्ग पर भूस्खलन की घटनाएं होती रही है.
![Landslide On Kedarnath Yatra Route](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-07-2024/21947043_kedarnath-3333.png)
काफी संवेदनशील है केदारनाथ का रामबाड़ा से रुद्राफॉल पैदल मार्ग: उन्होंने बताया कि ये क्षेत्र काफी संवेदनशील है. जिसके चलते ज्यादा मात्रा में पत्थर गिरते हैं, लेकिन मानसून सीजन के दौरान बारिश होने से रामबाड़ा से रुद्राफॉल मार्ग पर भूस्खलन होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है. मानसून सीजन के दौरान कई बार इस मार्ग पर भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी है. लिहाजा, अब जब मानसून का सीजन शुरू हो चुका है तो कभी भी इस मार्ग पर भूस्खलन की घटनाएं हो सकती हैं.
नए रास्ते को बंद करने का दे चुके सुझाव: इसके अलावा डीपी डोभाल ने कहा कि उन्होंने अपने रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि इस रास्ते को बंद कर दिया जाना चाहिए. क्योंकि, ये सुरक्षित नहीं है और अन्य वैकल्पिक रास्ते पर ध्यान देना चाहिए. पहले मानसून सीजन के दौरान बेहद कम संख्या में श्रद्धालु बाबा केदारनाथ धाम जाते थे, लेकिन मौजूदा समय में बड़ी संख्या ने श्रद्धालु जा रहे हैं, ऐसे में कभी भी बड़ी घटना हो सकती है.
आपदा सचिव बोले- पहाड़ के रास्ते संवेदनशील, भूस्खलन रोकना मुश्किल: वहीं, उत्तराखंड आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि जब बाबा केदारनाथ धाम का कपाट खुला था, तब वो खुद केदारनाथ धाम गए थे. रामबाड़ा से रुद्राफॉल मार्ग पर अभी ऐसी कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन पहाड़ के हर एक रास्ते बेहद संवेदनशील हैं. ऐसे में जब बारिश होगी तो भूस्खलन होगा. भूस्खलन को रोकना बहुत मुश्किल है.
![Landslide On Kedarnath Yatra Route](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-07-2024/21947043_kedarnath-3333.png)
भूस्खलन की संभावनाओं को कम करने पर जोर, ट्रीटमेंट का हो रहा काम: पर्वतीय क्षेत्रों में जहां-जहां भूस्खलन हो रही है, वहां पर तत्काल कार्रवाई की जा रही है. जिन जगहों पर भूस्खलन की संभावनाओं को कम किया जा सकता है. वहां पर ट्रीटमेंट का काम किया जा रहा है. साथ ही कहा कि भूस्खलन के ट्रीटमेंट का काम लगातार किया जा रहा है, लेकिन नए-नए भूस्खलन के स्पॉट डेवलप हो रहे हैं. कुल मिलाकर भूस्खलन की संभावना को कम किया जा सकता है, लेकिन रोकना संभव नहीं है.
![Landslide On Kedarnath Yatra Route](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/14-07-2024/21947043_kedarnath.jpg)
केदारनाथ धाम जाने वाले नए पैदल मार्ग रामबाड़ा से रुद्राफॉल के बीच भूस्खलन होने की बड़ी संभावनाएं हैं. जिसको देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने पुराने पैदल मार्ग को व्यवस्थित कर वहां से यात्रा का संचालन करने की बात कह चुकी है, लेकिन अभी तक पुराने मार्ग को व्यवस्थित नहीं किया जा सकता है. ताकि बाबा केदारनाथ धाम के दर्शन करने आने वाले सभी यात्रियों को पुराने मार्ग पर डायवर्ट कर दिया जाए. ताकि, इस नए और अति भूस्खलन संभावित मार्ग को बंद किया जा सके. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में उत्तराखंड सरकार इस मार्ग पर होने वाले भूस्खलन के खतरे को समझेगी और धाम को जाने वाले पुराने पैदल मार्ग को व्यवस्थित करेगी.
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