दमोह। दमोह नगर पालिका में करोड़ों रुपए का घोटाला खुलने से हड़कंप मचा है. दरअसल, नगर पालिका की एक सूची वायरल हुई है. जिसमें एक ही कार्य की लिए कई बार भुगतान किया गया है. वह भी इतना अधिक कि उस राशि से एक काम को चार बार तक किया जा सकता है. अब मामला खुलने के बाद नगर पालिका के अधिकारी और अध्यक्ष सहित तमाम पदाधिकारी भी कुछ भी कहने से बच रहे हैं. हालांकि कलेक्टर ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं. जब ईटीवी भारत ने पूरे मामले की पड़ताल की तो काफी चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए.
किसको कितना फर्जी तरीके से भुगतान किया
सबसे ज्यादा भुगतान भक्ति इंटरप्राइजेज के नाम पर किया गया है. जिसकी राशि एक करोड़ 50 लाख 50 हजार 745 है. दूसरे नंबर पर भोपाल की दीपक इंडस्ट्रीज को किया गया है. इसे 68 लाख 67 हज़ार का भुगतान किया गया. इसमें 5 लाख 7 हजार रुपए तो ऐसा भुगतान है जिसमें बिना टेंडर मंगाए राशि का कर दिया गया. नियम यह है कि एक लाख रुपए से अधिक के भुगतान या कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाते हैं. इसी तरह करीब 55 लाख रुपए का भुगतान देवांश सेल्स एंड सप्लायर को किया गया है. हालांकि अभी तक केवल 35 लाख 62 हजार 900 रुपए का प्राथमिक भुगतान ही सामने आया है.
इन्हें भी कर दिया मनमाने तरीके से भुगतान
इसके अलावा एमडी इंजीनियरिंग वर्क्स को 17 लाख 37 हज़ार 540 रुपए, आस्था सामाजिक एवं सांस्कृतिक कल्याण समिति को 11 लाख 11 हज़ार 500 रुपए, संस्कार कल्चरल समिति को 25 लाख 21 हज़ार 628 रुपए का भुगतान किया गया है. इसके अलावा श्रीराम इंटरप्राइजेज को करीब 12 से 15 लाख रुपए, महाकाल कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर को 10 लाख के करीब, उमाश्री कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर, कृष्णा सॉ मिल सहित कई अन्य छोटी बड़ी फर्मों को भी भुगतान किया गया है. ये राशि 3 करोड़ रुपए से अधिक है.
फर्जी भुगतान लेने वाली फर्म के मालिकों का सियासी रसूख
शाम्भवी ऑटो पार्ट्स के मालिक भाजपा के एक पूर्व नगर मंडल अध्यक्ष हैं तो भक्ति इंटरप्राइजेज का मालिक पूर्व मंडल अध्यक्ष के साले हैं. इसी तरह देवांश सेल्स एंड सप्लायर प्रदेश सरकार के एक कद्दावर कैबिनेट मंत्री के खास हैं. इसी तरह आस्था और संस्कार नाम की दो फर्म भी एक मंत्री और विधायक के आशीर्वाद से चल रही हैं. महाकाल कंस्ट्रक्शन और उमा श्री कंस्ट्रक्शन का दमोह में कहां ऑफिस है और यह क्या सप्लाई करती है, इस बारे में लोगों को जानकारी ही नहीं है. अधिकांश लोग सत्ता पक्ष से जुड़े हैं. कोई मंत्री का तो कोई विधायक का खास है.
कौन फर्म कहां खुली, किसी को पता नहीं
जिन फर्मों को भुगतान किया गया है, उन फर्म को तो लोग जानते ही नहीं हैं. कौन सी फर्म का ऑफिस कहां पर है. उसका जीएसटी नंबर क्या है? वह क्या काम करती हैं? इसके बारे में भी लोगों को जानकारी नहीं है. लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि एक ही फर्म 20 प्रकार के काम करती है. मसलन मटेरियल सप्लाई, चूना, फिटकरी, हार्पिक की सप्लाई. झाड़ू ब्रश की सप्लाई करने के साथ वाहनों की रिपेयरिंग, नाली सफाई से लेकर तमाम तरह के काम करती हैं. भोपाल की दीपक इंडस्ट्रीज ने नगर पालिका को बाल्टी के आकार से कुछ बड़े डस्टबिन, दो पहिया तथा चार पहिया हाथ ठेला सप्लाई भी किए हैं. इसमें डस्टबिन की कीमत महज एक हजार रुपए बाजार मूल्य पर होगी. इसी तरह दो पहिया और चार पहिया हाथ ठेला की कीमत बाजार मूल्य पर अधिकतम तीन से पांच हजार होगी. इन डस्टबिन और हाथ ठेला के लिए कई लाखों रुपए का भुगतान किया गया है.
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कलेक्टर ने गठित की कमेटी
इन घोटालों में नगर पालिका परिषद के कुछ पार्षद भी शामिल हैं. कहने के लिए नगर पालिका पर कांग्रेस की अध्यक्ष बैठी हैं लेकिन वजनदारी नगर पालिका में भाजपा पार्षदों की है. इसीलिए भाजपा का कोई नेता इस मामले पर बयान देना नहीं चाह रहा है. वहीं, इस मामले में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर का कहना है "मामला उनके संज्ञान में आया है और उन्होंने इसकी जांच के लिए कमेटी का भी गठन किया है. ये कमेटी 15 दिन के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट उन्हें सौंपेगी. रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी."