दमोह। अमूमन प्रवासी पक्षी बड़ी तादाद में ठंड में भारत पहुंचते हैं और देश के कई हिस्सों में अपना डेरा जमाते हैं. साथ ही कई प्रवासी पक्षी ऐसे भी होते हैं जो गर्मियों में भी भारत के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचते हैं. ऐसे ही कुछ प्रवासी पक्षी दमोह के फुटेरा तालाब में पहुंचे हैं. इनमें कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी भी शामिल हैं. कुछ वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों ने प्रवासी पक्षियों की खूबसूरत तस्वीरें कैमरे में कैद की हैं.
एक बार फिर दिखे दुर्लभ प्रवासी पक्षी
नगर की जीवन रेखा कहा जाने वाला फुटेरा तालाब गंदगी और अतिक्रमण की चपेट में होने से यहां पर पिछले कुछ वर्षों से प्रवासी पक्षियों का आना बंद था. लेकिन नगर की फुटेरा तालाब संरक्षण समिति के सामूहिक प्रयासों से तालाब की सफाई और कुछ हद तक अतिक्रमण से मुक्ति होने के बाद एक बार फिर तालाब का स्वरूप दिखने लगा है. विशाल क्षेत्रफल में फैले तालाब में अब एक बार फिर दुर्लभ प्रवासी पक्षियों ने अपना डेरा जमाया है.
वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों ने कैद की तस्वीरें
जब प्रवासी पक्षी फुटेरा तालाब में कलरव करते दिखे और वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफरों को ये जानकारी मिली तो उन्हें अपने कैमरे में कैद करने के लिए फुटेरा तालाबा पहुंचे. पेशे से डॉक्टर और वाइल्डलाइफ लवर प्रकाश रॉय प्रवासी पक्षियों की सुंदरता को अपने कैमरे में कैद करने फुटेरा तालाब पहुंचे. वहां पर उन्होंने कई प्रवासी और विलुप्त प्रजाति के पक्षियों को अपने कैमरे में कैद किया.
नॉब बिल्ड डक कैमरे में कैद
फुटेरा तालाब में डॉ रॉय ने नॉब बिल्ड नामक बत्तख को अपने कैमरे में कैद किया. उन्होंने बताया कि "यह दुर्लभ प्रजाति का पक्षी है. नॉब-बिल्ड डक, बत्तख की एक प्रजाति है. इसे हिन्दी में नकटा भी कहा जाता है. यह बत्तख सहारा अफ्रीका, मेडागास्कर द्वीप, दक्षिण एशिया और मुख्य भूमि इंडोचीन में पाई जाती है. यह बत्तख की सबसे बड़ी प्रजातियों में से एक है. इसकी लंबाई 56 से 76 सेंटीमीटर, पंखों का फैलाव 116 से 145 सेंटीमीटर और वजन 1.03 से 2.9 किलोग्राम तक हो सकता है. वयस्कों का सिर काले धब्बों से युक्त सफेद होता है. इसके शरीर का ऊपरी भाग काले रंग और पंखों का रंग बैंगनी व नीला होता है.इस बत्तख कि चोंच पर उभार के चलते इसे नॉब बिल नाम मिला है".
शिकारी पक्षी स्टेपी ईगल भी स्पॉट
डॉ रॉय को एक बहुत दुर्लभ शिकारी पक्षी स्टेपी ईगल का बच्चा भी दिखा. जिसकी उम्र लगभग एक वर्ष बताई गई और ये जानकारी भी मिली कि ये पक्षी बहुत ही कम देखने में आता है. उन्होंने बताया कि "इस क्षेत्र में पहली बार उन्होंने इस पक्षी को स्पॉट किया है, इसे हनी बजर्ड भी कहते हैं. यह मध्यम आकार का शिकारी पक्षी होता है. इसका नाम इसके आहार से लिया गया है. जिसमें मुख्य रूप से शहद के छत्ते से निकाले गए मधुमक्खियों और ततैया के लार्वा शामिल होते हैं".
तालाब को संरक्षित करने की अपील
उन्होंने ब्रोंजड़ विंगड जकाना, फीसेंट टेल्ड जकाना, ऐसि क्राउंड स्पैरो लार्क जैसे कई सुंदर पक्षियों को अपने कैमरे में कैद किया. उन्होंने तालाब में जलीय जीवों और पक्षियों से संपन्न इस विरासत को संजोने की अपील की. डॉ प्रकाश रॉय का कहना है उनका अनुभव बहुत ही अच्छा रहा है. "तालाब को संरक्षित करने के लिए उन्होंने फुटेरा तालाब संरक्षण समिति के सदस्यों के प्रयासों की सराहना भी की और कहा आने वाले दिनों में अगर प्रशासन इस तालाब को संरक्षित करने आवश्यक कदम उठाता है तो प्रवासी पक्षियों के फोटो शूट के लिए ये एक अच्छा स्पॉट हो सकता है और बड़े आयोजन भी पर्यावरण के लिए किए जा सकते हैं".