दमोह। मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के हाल किसी से छिपे नहीं है. आए दिन ऐसी कई तस्वीरें सामने आती है, जो स्वास्थ्य महकमे की पोल खोलती है. स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ डॉक्टरों, वार्ड बॉय और नर्स के रवैये भी कई बार मरीजों के लिए मुसीबत बनते हैं. तमाम मामले सामने आने के बाद भी कहीं कोई सुधार नहीं हो रहा है. वहीं मंगलवार को दमोह स्वास्थ्य विभाग में मची भर्राशाही एक बार फिर उजागर हो गई है. तीन अलग-अलग मामलों ने अस्पताल कर्मचारियों की संवेदनशीलता पर प्रश्न चिन्ह लगा दिए हैं.
दमोह स्वास्थ्य विभाग की बेरुखा रवैया
दमोह जिले के स्वास्थ्य विभाग में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. यहां उपचार के लिए आने वाले लोगों को न केवल परेशानी का सामना करना पड़ता है, बल्कि इलाज के नाम पर उन्हें बेइज्ज भी होना पड़ता है. अब मामला संज्ञान में आने के बाद कलेक्टर ने मामले की जांच की आदेश दिए हैं. दरअसल, जिला अस्पताल एवं ग्रामीण अंचल के एक स्वास्थ्य केंद्रों से तीन अलग-अलग तस्वीरें सामने आई हैं. जो यह बताती है कि अब इलाज कराना सरल नहीं है. यहां पर मरीजों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है. जैसे पुलिस वाले अपराधियों के साथ करते हैं.
टॉर्च की रोशनी में महिला की डिलीवरी
पहला मामला तेंदूखेड़ा क्षेत्र के ग्राम सर्रा में बने आरोग्यम केंद्र से सामने आया है. यहां पर बीती रात दो महिलाओं की डिलीवरी हुई है, लेकिन जानकार ताज्जुब होगा कि स्वास्थ्य केंद्र में लाइट न होने के कारण रात के अंधेरे में ही उनकी डिलीवरी कर दी गई. ऐसे में कोई हादसा भी हो सकता था, लेकिन क्या करें मजबूरी स्वास्थ्य कर्मचारी और डिलीवरी कराने आई महिलाओं की भी थी, क्योंकि उन्हें तेज लेबर पेन हो रहा था और रात के अंधेरे में टॉर्च की रोशनी में ही उनकी डिलीवरी कराई गई. हालांकि दोनों बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं, लेकिन इस भीषण गर्मी में जहां 45 डिग्री तक तापमान पहुंच चुका है. वहां पर बिना लाइट के अंधेरे में बगैर हवा के बच्चे और महिलाएं गर्मी में पसीने से तरबतर हो गए. अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है.
घायल मरीज मारा धक्का, स्ट्रेचर से टकराया सिर
तो बात करते हैं उन दो तस्वीरों की जो जिला अस्पताल से निकलकर सामने आई हैं. यहां पर बीती रात एक घटना में घायल मरीज को अस्पताल लाया गया. यहां पर वार्ड बॉय ही अधिकतर ड्रेसर का काम करते हैं. जब मरीज उठ रहा था, उसी समय वार्ड बॉय ने उसे स्ट्रेचर पर ही जोर से धक्का मार दिया. जिससे उसका सिर स्ट्रेचर से टकरा गया. जिससे घायल वेदना के कारण वह और भी तड़प उठा. ऐसा एक बार नहीं बल्कि उसकी ड्रेसिंग किए जाने के दौरान वार्ड बॉय ने दो बार किया. दोनों बार उसका सिर पटक के इस स्ट्रेचर पर मार दिया.
मरीज के स्ट्रेचर से कचरे की तरह उठा कर फेंका
दूसरा मामला भी एक रात पूर्व का ही है. यहां पर बेहोशी की हालत में 108 वाहन से जिला अस्पताल लाए गए एक मरीज का इलाज करने के बाद वार्ड बॉय ने उसे उठाकर सीमेंट की कुर्सी पर पटक दिया. गद्दा निकालने के लिए उसे लात मारी और गद्दा खींचकर निकाल लिया. यह पहला मामला नहीं है कि मरीज के साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार किया गया है. एक मामला और भी कुछ दिन पूर्व आया था. यहां एक महिला को नर्स ने बोतल और इंजेक्शन लगाने की बजाय झाड़ू पोछा करने वाली बाई से इंजेक्शन बोतल लगवा दिया. जब परिजनों को मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने इसकी शिकायत सिविल सर्जन और सीएमएचओ से कर दी, लेकिन अब तक उसमें कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
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कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
लगातार इस तरह के मामले सामने आने के बाद अब कलेक्टर ने खुद ही मामले को संज्ञान में लिया है. इस संबंध में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर का कहना है कि 'एक मामला संज्ञान में आया है. जिसमें मरीज के साथ अस्पताल कर्मचारियों द्वारा कथित बर्बरता पूर्ण व्यवहार किया गया है. जिसका सीसीटीवी भी वायरल हुआ है. मामला संज्ञान में लेकर सिविल सर्जन को जांच के आदेश दिए हैं. कलेक्टर ने एक दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा है. उन्होंने यही भी कहा कि जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी.'