दमोह। मध्य प्रदेश का दमोह जिला पुरातात्विक संपदा से भरा पड़ा है. जिले में हजारों वर्ष पुराने प्राचीन शिलालेख और स्मारक मौजूद हैं. जिन्हें सहेजने के लिए दमोह कलेक्टर ने एक नई पहल की है और इसी पहल के बाद इन प्राकृतिक अवशेषों को अब संग्रह किया जा रहा है. इसी बीच मम्मा झिरिया नामक स्थल से 500 साल पुराने शिलालेख मिले हैं. जिन्हें संग्रहालय में रखवाया गया है.
डीएम को मिली थी मम्मा झिरिया की जानकारी
ये मामला बटियागढ़ ब्लॉक का है. यहां के फतेहपुर की मम्मा झिरिया नामक स्थल से कुछ स्मारक प्राप्त हुए हैं, जिन्हें जिला संग्रहालय में रखवाया गया है. गौरतलब है कि कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर प्रतिदिन किसी न किसी ग्राम में पहुंचकर ग्रामीणों से चर्चा करते हैं और उनकी समस्याएं सुनते हैं. इसी क्रम में जब वह एक दिन पूर्व फतेहपुर पहुंचे तो भ्रमण करते हुए वह मम्मा झिरिया भी गए. वहां पर मिट्टी में आधे दबे हुए कुछ स्मारकों पर उनकी नजर पड़ी तो उन्होंने इसकी जानकारी ग्रामीणों से ली.
जांच के बाद पता चलेगी असली सच्चाई
इसके साथ ही तुरंत ही बटियागढ़ के नायब तहसीलदार योगेंद्र चौधरी को निर्देश दिए गये कि इन शिलालेखों को निकलवाकर उन्हें पुरातत्व संग्रहालय भिजवाया जाए. जिसके बाद तहसीलदार ने उन शिलालेखों को वहां से निकलवाया और सुरक्षित तरीके से दमोह के रानी दमयन्ती पुरातत्व संग्रहालय में रखवा दिया. पुरातत्व संग्रहालय के अधीक्षक श्री चौरसिया ने बताया कि प्रथम दृष्टया यह पाषाण शिलालेख युद्ध स्मारक प्रतीत होते हैं. लेकिन पूर्ण रूप से परीक्षण के बाद ही उनकी जानकारी सामने आ सकेगी कि यह शिलालेख वास्तव में किस चीज से संबंध रखते हैं.
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संपदाओं से भरा पड़ा है दमोह जिला
वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि ''यह शिलालेख करीब 500 वर्ष पहले के हैं. जिन्हें सती अवशेष कहा जाता है. हमारे यहां बरसों से सती शिलालेख के रूप में पहचाना जाता है. यहां पर कोई रानी या देवी तुल्य महिला सती हुई होगी, जिनकी स्मृति में यह शिलालेख यहां पर बनवाए गए थे. इस बात की किसी को भी सही जानकारी नहीं है कि यह शिलालेख कितने वर्षों से यहां पर मौजूद है और किसने बनवाए होंगे.'' वहीं इस मामले में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर का कहना है कि दमोह जिला संपदाओं से भरा पड़ा है. यहां जो पुरातात्विक महत्व के अवशेष बिखरे पड़े हैं उनको सहेजने की जरूरत है. क्योंकि यह संपदा हमारे इतिहास की धरोहर हैं. इन शिलालेखों की जांच के बाद ही सही जानकारी सामने आ पाएगी. इसके अध्ययन से ज्ञात हो पाएगा कि इनका सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक क्या महत्व है.