दमोह। शिक्षा ग्रहण करना बच्चों के लिए कहां आसान है. अपनी जान जोखिम में डालकर उन्हें हर दिन स्कूल से आना जाना होता है. मामला पथरिया ब्लॉक क्षेत्र का है. कहते हैं कि कुछ पाने के लिए कुछ खोना होता है, लेकिन यह खोना यदि जीवन और मरण से जुड़ा हो तो कुछ पाने के लिए यह कीमत बहुत बड़ी हो सकती है. हम बात कर रहे हैं उन मासूम बच्चों की जो अपनी जान जोखिम डालकर पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं. ऐसा उन्हें दिन में दो बार करना पड़ता है, लेकिन जिला प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
जिले से 2 मंत्री होने के बावजूद सुनवाई नहीं
दमोह जिले के चार विधायकों में से 2 प्रदेश सरकार में मंत्री हैं. चाहे तो चुटकी बजाते ही समस्या का समाधान भी हो सकता है. लेकिन उनका इस समस्या की ओर ध्यान ही नहीं है. दरअसल जिले के पथरिया ब्लॉक अंतर्गत असलाना गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे जान जोखिम में डालकर टूटी नाव से स्कूल जाते हैं और लौट कर आते हैं.
टूटी नाव से नदी पार करते हैं बच्चे
यह बच्चे हर रोज दिन में दो बार जान दांव पर लगा रहे हैं. गांव और स्कूल के बीच सुनार नदी पड़ती है. इस नदी को पार करने के लिए एकमात्र सहारा टूटी हुई नाव है. बारिश के कारण इन दिनों यह नदी उफान पर है. सगौनी और असलाना गांव के बीच से निकली सुनार नदी को स्कूली बच्चे एक कमजोर नाव पर सवार होकर पार कर रहे हैं. मिली जानकारी के मुताबित सगौनी में स्कूल नहीं है. पास के गांव असलाना में सरकारी स्कूल है. जहां सगौनी के बच्चे पढ़ने जाते हैं. दोनों गांव के बीच में सुनार नदी पर पुल है लेकिन उपयोग नहीं हो पा रहा है. इस मामले में प्रभारी कलेक्टर अर्पित वर्मा कहते हैं कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है दिखवाते हैं कि मामला क्या है.
नाव को बचाने के लिए रस्सी बांधी
नदी में तेज बहाव बना हुआ है. नाव बह ना जाए इसलिए ग्रामीणों ने नदी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक रस्सी बांधी हुई है. ताकि कोई अप्रिय घटना न हो जाए. नदी पार करने वाला रस्सी को पकड़कर नदी पार करते हैं. नदी पार करने में करीब 15 से 20 मिनट लग जाते हैं. हालांकि पढ़ाई के लिए यह सफर बेहद खतरनाक है, लेकिन यहां के बच्चे आवाजाही करने को मजबूर हैं
अधिकारियों को अवगत कराया
इस मामले में स्कूल के प्रिंसिपल हर गोविंद तिवारी का कहना है कि "नदी पर पुल तो बना है, लेकिन पुल के दोनों तरफ निजी जमीन है. जिस पर रास्ता नहीं बना है. ऐसे में सगौनी के बच्चे नदी पार करके असलाना में स्कूल पहुंचते हैं. नदी पार करते समय बच्चों के लिए बहुत खतरा रहता है. जब नदी बहुत तेज उफान पर होती है तब या तो बच्चे स्कूल नहीं आते या जान जोखिम में डालकर आते हैं. इस संबंध में प्रशासन को अवगत कराया है. प्रशासन ही कोई निर्णय लेगा.
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नाव से जाने में बहुत डर लगता है
छात्रा नंदनी अहिरवार का कहना है कि वे असलाना के सरकारी स्कूल में कक्षा 8 वीं में पढ़ती हूैं. रोज नाव से नदी पार कर स्कूल जाना पड़ता है. मेरी तरह ही गांव के कई छात्र छात्राएं भी नाव से नदी पार करते हैं. काजल अहिरवार ने बताया कि दूसरे रास्ते से जाने पर स्कूल 10 किमी दूर पड़ता है. नदी को पार करके स्कूल पहुंचते हैं, लेकिन इसमें बहुत दिक्कत होती है. यदि रास्ता बन जाए, तो परेशानी दूर हो जाएगी.