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रोजमर्रा की परेशानी भुलाकर झारखंड के मजदूर चुनाव में बनेंगे प्रत्याशियों के भाग्य विधाता! जानिए, क्या है श्रमिकों के मन में - Lok Sabha election 2024

Workers will vote in name of development. श्रमिक, एक ऐसा तबका जिन्होंने अपने हाथों से विकास की इबारत लिखने के लिए अथक श्रम करते हैं. हर बार चुनाव के वक्त इन्हें भी याद किया जाता, इनसे तमाम वादे किये जाते हैं. लेकिन इन सबसे परे आखिर वो क्या सोचते हैं, वो अपने नुमाइंदे से क्या उम्मीद करते हैं. जानिए, ईटीवी भारत के साथ श्रमिक तबके से हुई इस खास बातचीत से.

Daily wages workers will vote in name of development in Lok Sabha election 2024 in Jharkhand
ईटीवी भारत से खास बातचीत में रांची के मजदूरों ने कहा जो हमारी सुनेगा हम उसी प्रत्याशी को वोट करेंगे
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Apr 8, 2024, 1:50 PM IST

Updated : Apr 8, 2024, 2:50 PM IST

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः जानिए, चुनाव में किस मुद्दे पर मतदान करेंगे श्रमिक वर्ग

रांचीः झारखंड में मजदूरों का पलायन एक बड़ा मुद्दा है. रोजी रोजगार की तलाश में मजदूर ना केवल राज्य के एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं. बल्कि देश के दूसरे राज्यों तक पलायन करने से नहीं कतराते हैं. श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक असंगठित क्षेत्र में करीब 65 लाख मजदूर हैं जो विभिन्न कार्य करते हैं.

इन 65 लाख मजदूरों में सबसे अधिक कृषि क्षेत्र में मजदूर कार्यरत हैं. इन मजदूरों के काम की प्रशंसा दूसरे राज्यों में भी होती है. जिसके कारण झारखंड के मजदूरों की अन्य राज्यों में डिमांड हमेशा बनी रहती है. गरीबी, बेरोजगारी से जूझते इन मजदूरों की खासियत यह है कि भले ही ये पेट की खातिर परेशान रहते हैं मगर चुनाव में मतदान में अपनी सहभागिता जरूर दिखाते हैं.

जाहिर तौर पर मजदूरों की एक बड़ी आबादी होने की वजह से हर चुनाव में ये प्रत्याशियों के भाग्य विधाता बनते हैं. यही वजह है कि चुनाव के वक्त प्रत्याशी इनके सामने हाथ जोड़कर खड़े होते हैं. श्रमिक तबके से कई तरह के वादा करते हैं, लोक-लुभावन घोषणा पत्रों से इन्हें रिझाने का प्रयास करते हैं. लेकिन फिर होता वही है जो हमेशा से इनके साथ होता रहा है.

मतदान के लिए तैयार श्रमिक, कहा- विकास के मुद्दे पर करेंगे वोट

हर दिन की तरह रोजगार की तलाश में राजधानी रांची की सड़क पर खड़े मजदूरों ने ईटीवी भारत संवाददाता भुवन किशोर झा के समक्ष चुनाव को लेकर खुलकर बातचीत की. मजदूरों का मानना है कि हर बार की तरह वे मतदान को लेकर तैयार हैं और पूरे परिवार के साथ वोट डालने जरूर जाएंगे. किशोरगंज के रहने वाले श्यामल कहते हैं जिस प्रत्याशी की कथनी और करनी में अंतर होगा, उसे भला हम कैसे वोट देंगे, जो हमारी नहीं सुनेगा उसे हम भला कैसे चाहेंगे.

वहीं 60 वर्षीय गणेशी कहते हैं कि वोट के वक्त भाई-भाई और गद्दी पर बैठते ही गरीब के लिए कुछ नहीं, ऐसा कैसे चल पाएगा. वहीं युवा श्रमिक रितेश का कहना है कि मतदान उसी को करेंगे जो मजदूरों की समस्या का समाधान करेगा, रोजी रोजगार मुहैया कराकर विकास का कार्य करेगा.

मजदूरों के लिए एक शेड की मांग कर रहे 50 वर्षीय शिवम मतदान के प्रति संकल्पित दिखते हैं. उनका मानना है कि एक तो रोजगार के लिए हर दिन-दोपहर और बारिश में खड़ा रहना पड़ता है उसपर से अगर बारिश आ जाए तो खुला आसमान भी छिन जाता है. कार्तिक उरांव चौक के पास शेड बना दिया जाए तो उनकी परेशानी दूर होगी.

बहरहाल चुनाव का वक्त है और ऐसे में ये मजदूर मतदान को लेकर दृढसंकल्पित हैं, जो बड़ी बात है. विकास के मुद्दे और छोड़ी बड़ी मांगों के साथ श्रमिक वर्ग भी लोकसभा चुनाव के लिए तैयार नजर आ रहे हैं. झारखंड के 65 लाख मजदूर किस पार्टी और प्रत्याशी का भाग्य बनाएंगे और किसे नकार देंगे, ये देखना दिलचस्प होगा.

इसे भी पढ़ें- देश के 7 राज्यों के 8 शहरों में झारखंड के मजदूरों की मदद करेगा प्रवासन सहायता केंद्र, जानिए कुशल श्रमिकों को कैसे मिलेगा लाभ

इसे भी पढ़ें- सैकड़ों की संख्या में मजदूरों ने थामा जदयू का दामन, राज्यसभा सांसद खीरू महतो ने शॉल भेंट कर किया स्वागत

इसे भी पढ़ें- मजदूर दिवस विशेष: झारखंड सरकार के लिए पलायन रोकना बड़ी चुनौती, गिरिडीह में हर साल गई मजदूर गंवा देते हैं जान

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः जानिए, चुनाव में किस मुद्दे पर मतदान करेंगे श्रमिक वर्ग

रांचीः झारखंड में मजदूरों का पलायन एक बड़ा मुद्दा है. रोजी रोजगार की तलाश में मजदूर ना केवल राज्य के एक शहर से दूसरे शहर जाते हैं. बल्कि देश के दूसरे राज्यों तक पलायन करने से नहीं कतराते हैं. श्रम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक असंगठित क्षेत्र में करीब 65 लाख मजदूर हैं जो विभिन्न कार्य करते हैं.

इन 65 लाख मजदूरों में सबसे अधिक कृषि क्षेत्र में मजदूर कार्यरत हैं. इन मजदूरों के काम की प्रशंसा दूसरे राज्यों में भी होती है. जिसके कारण झारखंड के मजदूरों की अन्य राज्यों में डिमांड हमेशा बनी रहती है. गरीबी, बेरोजगारी से जूझते इन मजदूरों की खासियत यह है कि भले ही ये पेट की खातिर परेशान रहते हैं मगर चुनाव में मतदान में अपनी सहभागिता जरूर दिखाते हैं.

जाहिर तौर पर मजदूरों की एक बड़ी आबादी होने की वजह से हर चुनाव में ये प्रत्याशियों के भाग्य विधाता बनते हैं. यही वजह है कि चुनाव के वक्त प्रत्याशी इनके सामने हाथ जोड़कर खड़े होते हैं. श्रमिक तबके से कई तरह के वादा करते हैं, लोक-लुभावन घोषणा पत्रों से इन्हें रिझाने का प्रयास करते हैं. लेकिन फिर होता वही है जो हमेशा से इनके साथ होता रहा है.

मतदान के लिए तैयार श्रमिक, कहा- विकास के मुद्दे पर करेंगे वोट

हर दिन की तरह रोजगार की तलाश में राजधानी रांची की सड़क पर खड़े मजदूरों ने ईटीवी भारत संवाददाता भुवन किशोर झा के समक्ष चुनाव को लेकर खुलकर बातचीत की. मजदूरों का मानना है कि हर बार की तरह वे मतदान को लेकर तैयार हैं और पूरे परिवार के साथ वोट डालने जरूर जाएंगे. किशोरगंज के रहने वाले श्यामल कहते हैं जिस प्रत्याशी की कथनी और करनी में अंतर होगा, उसे भला हम कैसे वोट देंगे, जो हमारी नहीं सुनेगा उसे हम भला कैसे चाहेंगे.

वहीं 60 वर्षीय गणेशी कहते हैं कि वोट के वक्त भाई-भाई और गद्दी पर बैठते ही गरीब के लिए कुछ नहीं, ऐसा कैसे चल पाएगा. वहीं युवा श्रमिक रितेश का कहना है कि मतदान उसी को करेंगे जो मजदूरों की समस्या का समाधान करेगा, रोजी रोजगार मुहैया कराकर विकास का कार्य करेगा.

मजदूरों के लिए एक शेड की मांग कर रहे 50 वर्षीय शिवम मतदान के प्रति संकल्पित दिखते हैं. उनका मानना है कि एक तो रोजगार के लिए हर दिन-दोपहर और बारिश में खड़ा रहना पड़ता है उसपर से अगर बारिश आ जाए तो खुला आसमान भी छिन जाता है. कार्तिक उरांव चौक के पास शेड बना दिया जाए तो उनकी परेशानी दूर होगी.

बहरहाल चुनाव का वक्त है और ऐसे में ये मजदूर मतदान को लेकर दृढसंकल्पित हैं, जो बड़ी बात है. विकास के मुद्दे और छोड़ी बड़ी मांगों के साथ श्रमिक वर्ग भी लोकसभा चुनाव के लिए तैयार नजर आ रहे हैं. झारखंड के 65 लाख मजदूर किस पार्टी और प्रत्याशी का भाग्य बनाएंगे और किसे नकार देंगे, ये देखना दिलचस्प होगा.

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Last Updated : Apr 8, 2024, 2:50 PM IST
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