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80 साल के बुजुर्ग ने साइबर ठगों को दिया चकमा; नहीं कर पाए डिजिटल अरेस्ट, रिटायर डॉक्टर ने बचाए 2 लाख रुपए - Cyber Crime

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 3 hours ago

ये जालसाज बुजुर्ग को धमकी देने लगे कि आपने एक कूरिअर मंगाया है जिसमें ड्रग्स है. आपने ड्रग्स क्यों मंगाया है. जालसाजों ने बुजुर्ग से कहा कि उन्हें दो लाख रुपए दे दो नहीं तो मामला पुलिस में देने जा रहा हूं, जिससे घबराए डॉक्टर अपने दवा खाने के लिए निकले और पड़ोसी अधिवक्ता के पास गए. उन्होंने डिजिटल अरेस्ट के फर्जीवाड़ा को समझा और फोन को डिस्कनेक्ट कर डॉक्टर को बचा लिया.

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80 साल के बुजुर्ग ने साइबर ठगों को दिया चकमा. (Photo Credit; ETV Bharat)

गोरखपुर: पूर्वांचल के इस जिले में भी डिजिटल अरेस्ट की घटना को साइबर अपराधी लगातार अंजाम देने में जुटे हैं. दो माह के भीतर उन्होंने 5 लोगों को अपना शिकार बनाया तो छठे शिकार के रूप में उन्होंने शहर के कैंट थाना क्षेत्र में रहने वाले 80 वर्षीय रिटायर चिकित्सक को. शनिवार की शाम जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट कर परिवार में हड़कम्प मचा दिया.

ये जालसाज बुजुर्ग को धमकी देने लगे कि आपने एक कूरिअर मंगाया है जिसमें ड्रग्स है. आपने ड्रग्स क्यों मंगाया है. जालसाजों ने बुजुर्ग से कहा कि उन्हें दो लाख रुपए दे दो नहीं तो मामला पुलिस में देने जा रहा हूं, जिससे घबराए डॉक्टर अपने दवा खाने के लिए निकले और पड़ोसी अधिवक्ता के पास गए. उन्होंने डिजिटल अरेस्ट के फर्जीवाड़ा को समझा और फोन को डिस्कनेक्ट कर डॉक्टर को बचा लिया. रविवार को रिटायर चिकित्सक अपनी शिकायत लेकर साइबर थाने पहुंचे.

पहले भी आ चुके हैं डिजिटल अरेस्ट के मामले: गोरखपुर में डिजिटल अरेस्ट का सबसे पहला मामला सिविल लाइंस क्षेत्र में आया था. यहां के एक स्कूल की प्रिंसिपल के साथ घटना हुई थी. डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 12.56 लाख रुपए की जालसाजी हुई थी. वह 13 मई से 24 मई तक जालसाजों के संपर्क में थीं. इस दौरान वह अपनी पल-पल की सूचनाएं जालसाजों को देती रहीं. प्रिंसिपल से कस्टम अधिकारी बनकर जालसाजी की घटना को अंजाम दिया गया था.

दूसरा मामला मिर्जापुर के एक युवक के साथ हुआ. यह युवक गोरखपुर में एक कंपनी में मैनेजर है जो गोलघर में किराए का कमरा लेकर रहता है. सीबीआई अफसर बनकर उसे 48 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर 14 लाख 96 हजार रुपये ऐंठने का मामला सामने आया था. तीसरा मामला खजनी थाना क्षेत्र खुटभार निवासी शत्रुघ्न जायसवाल के साथ हुआ, जिसमें डीआइजी गोरखपुर बनकर फ्राड किया गया था.

चौथा मामला शाहपुर के हरिद्वारपुरम कालोनी निवासी ऑलविन अरविंद बर्नाड के साथ हुई जो एसबीआई में शाखा प्रबंधक पद से कुछ वर्ष पहले रिटायर हुए थे. बीते 31 जुलाई को उनको डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया. वह 33 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रहे. जबकि पांचवा मामला तिवारीपुर में रहने वाले बैंककर्मी कमलनाथ विश्वास की पत्नी प्रज्ञा विश्वास के साथ. उनसे भी सीबीआई अफसर बनकर डिजिटल अरेस्ट का मामला प्रकाश में आ चुका है.

ऑनलाइन रहते हुए पत्नी ने दूसरे नंबर से पति को कॉल कर मां की बीमारी के नाम पर रुपए मांगे. शक होने पर पति जब घर पहुंचे तो पत्नी परेशान हाल मोबाइल के सामने बैठी थी, उसे समझाकर फोन कटवाया. लेकिन, अब जो छठे शिकार रिटायर चिकित्सक हुए वह शनिवार की शाम में मोहल्ले में वॉक पर निकले थे. वह जब सात बजे घर लौटे तब उनके फोन पर कॉल आई.

फोन करने वाले ने खुद को नारकोटिक्स विभाग का बताया. उसने बोला कि आपने कूरिअर मंगाया है जिसमें ड्रग्स है. इससे आपको जेल होगी. इसके बाद डॉक्टर साहब हैरान हो गए और कूरिअर मंगाने से इनकार कर दिया. लेकिन, जालसाज ने डॉक्टर का नाम बताते हुए कहा कि उसके पास कई सुबूत हैं जिससे डॉक्टर सहम गए. जालसाज जो कहता वह डॉक्टर करते चले गए.

वीडियो कॉल पर आने के बाद उसने कहा कि आपकी बड़े साहब से बात करा देते हैं. आपकी उम्र तो ज्यादा है, लगता है आप को फंसाया गया है. इसके बाद वीडियो कॉल पर एक वर्दी वाला अफसर आया तो डॉक्टर को यकीन हो गया कि वह पुलिस वाला ही है. बातचीत के दौरान उनसे दो लाख रुपये के इंतजाम की बात कही गई.

बताया गया कि रुपये देकर मामला रफा-दफा कर दीजिए. इसके बाद वह और बेचैन हो गए और दवा खाने की अनुमति मांगी. दवा के बहाने उठते ही वह बेचैन होकर बाहर चले गए. तभी उनकी नजर पड़ोसी अधिवक्ता पर पड़ गई. उन्होंने बताया तो वह तुरंत ही समझ गए, उनके साथ जालसाजी की कोशिश की जा रही है. उनके समझाने पर वह माने और फिर कई बार कॉल आने पर भी नहीं उठाए.

क्या कहते हैं अधिकारी: मामले में साइबर थाने के इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार ने बताया कि डॉक्टर के प्रार्थना पत्र के आधार पर विवेचना की जा रही है. फिलहाल डॉक्टर ठगी के शिकार होने से बच गए हैं. लोगों को ऐसे मामलों में सावधानी अपनानी होगी क्योंकि, जालसाज लोगों को अपने जाल में फंसाने में लगे हैं.

ये भी पढ़ेंः CBI छापे के 25 दिन बाद ब्रिगेडियर के PA की मौत; सपा नेता ने कैंटोनमेंट बोर्ड में बड़े घोटाले का लगाया था आरोप

गोरखपुर: पूर्वांचल के इस जिले में भी डिजिटल अरेस्ट की घटना को साइबर अपराधी लगातार अंजाम देने में जुटे हैं. दो माह के भीतर उन्होंने 5 लोगों को अपना शिकार बनाया तो छठे शिकार के रूप में उन्होंने शहर के कैंट थाना क्षेत्र में रहने वाले 80 वर्षीय रिटायर चिकित्सक को. शनिवार की शाम जालसाजों ने डिजिटल अरेस्ट कर परिवार में हड़कम्प मचा दिया.

ये जालसाज बुजुर्ग को धमकी देने लगे कि आपने एक कूरिअर मंगाया है जिसमें ड्रग्स है. आपने ड्रग्स क्यों मंगाया है. जालसाजों ने बुजुर्ग से कहा कि उन्हें दो लाख रुपए दे दो नहीं तो मामला पुलिस में देने जा रहा हूं, जिससे घबराए डॉक्टर अपने दवा खाने के लिए निकले और पड़ोसी अधिवक्ता के पास गए. उन्होंने डिजिटल अरेस्ट के फर्जीवाड़ा को समझा और फोन को डिस्कनेक्ट कर डॉक्टर को बचा लिया. रविवार को रिटायर चिकित्सक अपनी शिकायत लेकर साइबर थाने पहुंचे.

पहले भी आ चुके हैं डिजिटल अरेस्ट के मामले: गोरखपुर में डिजिटल अरेस्ट का सबसे पहला मामला सिविल लाइंस क्षेत्र में आया था. यहां के एक स्कूल की प्रिंसिपल के साथ घटना हुई थी. डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 12.56 लाख रुपए की जालसाजी हुई थी. वह 13 मई से 24 मई तक जालसाजों के संपर्क में थीं. इस दौरान वह अपनी पल-पल की सूचनाएं जालसाजों को देती रहीं. प्रिंसिपल से कस्टम अधिकारी बनकर जालसाजी की घटना को अंजाम दिया गया था.

दूसरा मामला मिर्जापुर के एक युवक के साथ हुआ. यह युवक गोरखपुर में एक कंपनी में मैनेजर है जो गोलघर में किराए का कमरा लेकर रहता है. सीबीआई अफसर बनकर उसे 48 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर 14 लाख 96 हजार रुपये ऐंठने का मामला सामने आया था. तीसरा मामला खजनी थाना क्षेत्र खुटभार निवासी शत्रुघ्न जायसवाल के साथ हुआ, जिसमें डीआइजी गोरखपुर बनकर फ्राड किया गया था.

चौथा मामला शाहपुर के हरिद्वारपुरम कालोनी निवासी ऑलविन अरविंद बर्नाड के साथ हुई जो एसबीआई में शाखा प्रबंधक पद से कुछ वर्ष पहले रिटायर हुए थे. बीते 31 जुलाई को उनको डिजिटल अरेस्ट कर लिया गया. वह 33 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रहे. जबकि पांचवा मामला तिवारीपुर में रहने वाले बैंककर्मी कमलनाथ विश्वास की पत्नी प्रज्ञा विश्वास के साथ. उनसे भी सीबीआई अफसर बनकर डिजिटल अरेस्ट का मामला प्रकाश में आ चुका है.

ऑनलाइन रहते हुए पत्नी ने दूसरे नंबर से पति को कॉल कर मां की बीमारी के नाम पर रुपए मांगे. शक होने पर पति जब घर पहुंचे तो पत्नी परेशान हाल मोबाइल के सामने बैठी थी, उसे समझाकर फोन कटवाया. लेकिन, अब जो छठे शिकार रिटायर चिकित्सक हुए वह शनिवार की शाम में मोहल्ले में वॉक पर निकले थे. वह जब सात बजे घर लौटे तब उनके फोन पर कॉल आई.

फोन करने वाले ने खुद को नारकोटिक्स विभाग का बताया. उसने बोला कि आपने कूरिअर मंगाया है जिसमें ड्रग्स है. इससे आपको जेल होगी. इसके बाद डॉक्टर साहब हैरान हो गए और कूरिअर मंगाने से इनकार कर दिया. लेकिन, जालसाज ने डॉक्टर का नाम बताते हुए कहा कि उसके पास कई सुबूत हैं जिससे डॉक्टर सहम गए. जालसाज जो कहता वह डॉक्टर करते चले गए.

वीडियो कॉल पर आने के बाद उसने कहा कि आपकी बड़े साहब से बात करा देते हैं. आपकी उम्र तो ज्यादा है, लगता है आप को फंसाया गया है. इसके बाद वीडियो कॉल पर एक वर्दी वाला अफसर आया तो डॉक्टर को यकीन हो गया कि वह पुलिस वाला ही है. बातचीत के दौरान उनसे दो लाख रुपये के इंतजाम की बात कही गई.

बताया गया कि रुपये देकर मामला रफा-दफा कर दीजिए. इसके बाद वह और बेचैन हो गए और दवा खाने की अनुमति मांगी. दवा के बहाने उठते ही वह बेचैन होकर बाहर चले गए. तभी उनकी नजर पड़ोसी अधिवक्ता पर पड़ गई. उन्होंने बताया तो वह तुरंत ही समझ गए, उनके साथ जालसाजी की कोशिश की जा रही है. उनके समझाने पर वह माने और फिर कई बार कॉल आने पर भी नहीं उठाए.

क्या कहते हैं अधिकारी: मामले में साइबर थाने के इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार ने बताया कि डॉक्टर के प्रार्थना पत्र के आधार पर विवेचना की जा रही है. फिलहाल डॉक्टर ठगी के शिकार होने से बच गए हैं. लोगों को ऐसे मामलों में सावधानी अपनानी होगी क्योंकि, जालसाज लोगों को अपने जाल में फंसाने में लगे हैं.

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