नई दिल्ली/नोएडा: बैंक मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट कर 52 लाख की ठगी करने के मामले में साइबर थाना पुलिस ने एक ठग को गुरुवार को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपी के खाते में दो लाख रुपये आए थे. पुलिस की टीम ने आरोपी को हाथरस से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में पेश किया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया. पुलिस इसके साथियों की तलाश कर रही है.
फर्जी कागजात पर बैंक में खुलवाता है खाता
एडीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव ने बताया कि नोएडा के सेक्टर-20 में रहने वाले जयराज शर्मा नोएडा के यस बैंक में प्रोजेक्ट मैनेजर हैं. जयराज ने 29 अगस्त को साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके पास 11 अगस्त को टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ इंडिया के अधिकारी के नाम से कॉल आई. कॉलर ने मोबाइल नंबर को संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त बताकर कथित मुंबई के साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारी से बात कराई.
उसने मनी लॉंड्रिंग केस में शामिल होने का डर दिखाते हुए उन्हें छह दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा और 52 लाख रुपये की ठगी कर ली. इस मामले में साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने हाथरस निवासी जमुना प्रसाद रावत को हाथरस के पटा चौराहे के पास से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में पता चला कि जमुना प्रसाद फर्जी बैंक खाते तैयार कराकर अपने साथी हाथरस निवासी भोले को किराए पर देता है. इसके एवज में उसे कमीशन मिलता है. इस धोखाधड़ी की रकम में से 2 लाख रुपए उसके खाते में आए थे. पुलिस अब इस गिरोह में शामिल भोला की तलाश कर रही है.
पुलिस ने जारी किए डिजिटल अरेस्ट से बचाव के टिप्स-
- पुलिस किसी को भी फोन कॉल पर डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है.
- सर्वोच्च न्यायालय या किसी अन्य न्यायालय द्वारा फोन कॉल के माध्यम से सुनवाई नहीं की जाती है.
- आरबीआई या किसी अन्य संस्था द्वारा फिजिकल मनी का आपके खाते से सत्यापन नहीं किया जाता है.
- ऐसा कोई सरकारी बैंक खाता या आरबीआई का खाता नहीं है जिसमें आपसे पैसे ट्रांसफर कराकर उस पैसे की जांच की जाती हो.
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