देहरादून: उत्तराखंड में साइबर ठगी के दो नए मामले सामने आए है. पहले मामले में जहां साइबरों ठगों ने निवेश के नाम पर मोटा रिटर्न मिलने का झांसा देकर बुजुर्ग को फंसाया और उससे तीन करोड़ 77 लाख रुपए ठग लिए. वहीं दूसरे मामले में साइबर क्रिमिनलों ने डिजिटल अरेस्ट का खेल रचकर महिला से करीब 32 लाख रुपए की ठगी की.
तीन करोड़ 77 लाख रुपए की ठगी: जानकारी के मुताबिक देहारदून के रहने वाले बुजुर्ग व्यक्ति ने साइबर क्राइम पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है. पीड़ित ने पुलिस को बताया कि वह विदेश में नौकरी करते थे और 2002 में देहरादून में शिफ्ट हो गए थे. पीड़ित के मुताबिक अगस्त 2024 में उन्होंने फेसबुक पर एक वीडियो देखा था, जिसमें रतन टाटा की ओर से भारतीय नागरिकों के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया में धनराशि निवेश करने की बात बताई गई थी.
निवेश के नाम पर बुजुर्ग को फंसाया: पीड़ित ने वीडियो ने दिए गए लिंक पर क्लिव किया तो एक वेबसाइट खुली. वेबसाइट पर उन्हें एक फार्म मिली, जिसे उन्होंने भर दिया. इसके बाद एक महिला ने पीड़ित से संपर्क किया. महिला ने पीड़ित को कई स्कीमों में निवेश करने की जानकारी दी, जिसके बाद पीड़ित ने भी निवेश करना शुरू कर दिया. इस दौरान रमन सिंह नाम के व्यक्ति को आरोपियों ने पीड़ित का वित्तीय सलाहकार नियुक्त किया.
पहले आठ लाख रुपए का निवेश कराया: रमन सिंह ने पीड़ित को बड़ी मात्रा में निवेश करने की सलाह दी. पीड़ित भी रमन सिंह की बातों में आ गया और आठ लाख रुपए का निवेश कर दिया. इसके बाद रमन सिंह ने पीड़ित की संजीव अग्रवाल नाम के व्यक्ति से बात कराई. संजीव अग्रवाल को आरोपियों ने अंतरराष्ट्रीय ट्रेडिंग का प्रभारी बताया.
संजीव अग्रवाल ने पीड़ित को भरोसा दिलाया कि उन्होंने जो पैसे निवेश किया, उसमें उन्हें अच्छा रिटर्न मिला है. पीड़ित को ट्रेडिंग के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इसी के चलते समय-समय पर ठगों ने उनसे धनराशि निवेश कराई और चार नवंबर तक उनसे तीन करोड़ 77 लाख रुपये की ठगी कर ली.
पुलिस मामले की जांच शुरू की: उसके बाद जब पीड़ित ने धनराशि वापस करने का आग्रह किया तो आरोपितों ने उन्हें सभी ग्रुपों से बाहर कर दिया और फोन बंद कर दिए. इसके बाद पीड़ित को अपने साथ हुई ठगी का एहसास हुआ. साइबर सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया है कि पीड़ित की शिकायत के आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.
महिला को डिजिटल अरेस्ट के खेल में फंसाया: साइबर ठगों ने आज कल ठगी का नया तरीका डिजिटल अरेस्ट निकाल रखा है. साइबर ठगों ने ऐसा ही कुछ रुड़की की रहने वाली महिला के साथ किया, जो बैंक से रिटायर्ड है. साइबर ठगों ने महिला को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताकर डिजिटल अरेस्ट किया और फिर उससे करीब 32 लाख रुपए ठग लिया.
महिला ने पुलिस से की शिकायत: महिला ने रुड़की पुलिस को दी शिकायत में बताया कि 14 दिसंबर 2024 को उनके मोबाइल पर अज्ञात व्यक्ति ने कॉल किया था. कॉल करने वाले व्यक्ति ने बताया कि उनके क्रेडिट कार्ड से मुंबई के एक माल से एक लाख 68 रुपये की खरीदारी हुई है.
पीड़िता के आधार कार्ड से कैनरा बैंक मुंबई में एक खाता खोला गया है, जिसमें दो करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है. उसके बाद पीड़िता को कहा गया कि उनकी बात वीडियो काल से मुंबई क्राइम ब्रांच से कराई जा रही है. इसके बाद महिला ने दूसरे व्यक्ति ने बात की.
दूसरे व्यक्ति ने कहा कि नरेश गोयल के मनी लांड्रिंग केस में 247 एटीएम कार्ड और क्रेडिट कार्ड जब्त हुए हैं, जिसमें एक कार्ड आपका भी है. साइबर ठगों ने डराया कि आपके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट है. उसके बाद साइबर ठगों ने गिरफ्तारी का वारंट और कुछ दस्तावेज वाट्सएप पर भेजे. साइबर ठगों ने 14 से 18 दिसंबर तक पांच दिन तक कई लोगों से बात कराई, जो खुद को मुंबई ब्रांच, सीबीआइ, सीबीआइ फाइनेंस और ईडी के अधिकारी बता रहे थे.
32 लाख रुपए ठगे: सभी ने पीड़िता को यहीं कहा कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है. इसके बाद पीड़िता डर गई थीं. इस दौरान साइबर ठगों ने खातों की जांच के बहाने महिला से 18 दिसंबर को अपने खातों में 32 लाख 31 हजार रुपये ट्रांसफर करा लिए गए. इस मामले में भी साइबर सीओ अंकुश मिश्रा ने कि पीड़िता की शिकायत के आधार अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज मामले की जांच की जा रही है. साइबर पुलिस द्वारा लगातार लोगों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है कि साइबर ठगो के जाल में न फंसे और अगर इस तरह की कोई भी कॉल आती है तो अपने नजदीकी थाने में संपर्क करे.
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