लखनऊ: साइबर अपराधी अब पुलिस अफसरों की तस्वीर ही नहीं, बल्कि उनके नंबर का भी इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट करने के लिए कर रहे हैं. राजधानी के आलमबाग थाना प्रभारी का सीयूजी मोबाइल नंबर साइबर अपराधियों ने हैक कर लिया. इसके बाद लोगों को कॉल कर उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है. इसका खुलासा तब हुआ जब बिहार के एक रिटायर्ड इंजीनियर ने इंस्पेक्टर के नंबर पर कॉल कर इस बात की शिकायत की. आलमबाग थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है, साइबर सेल अब जांच में जुट गई है।
मनी लांड्रिंग का आरोपी बता ठगने की हुई कोशिश : हजरतगंज इंस्पेक्टर शिव शंकर के मुताबिक पटना के रहने वाले 70 वर्षीय जय प्रकाश ने उन्हें कॉल कर बताया कि उन्हे ट्राई के अफसर का कॉल आया था और उन्हें बताया गया कि उनके मोबाइल नंबर से लखनऊ में कुछ बैंक में अकाउंट खोलकर भारी रकम जमा की गई है और वे मनी लांड्रिंग के केस में सह आरोपी हैं. ऐसे में ईडी के अफसर उनसे बात करेंगे. इसके बाद आलमबाग थाने के सीयूजी नंबर से उन्हें कॉल आई और दो घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया. हालांकि फोन कट जाने पर जब रिटायर्ड इंजीनियर ने उन्हें कॉल की तो थाना प्रभारी ने ही कॉल उठाई और फिर सच्चाई सामने आ सकी.
साइबर सेल जांच में जुटी : इंस्पेक्टर के मुताबिक न सिर्फ डिजिटल अरेस्ट कर बल्कि अन्य तरीकों का भी इस्तमाल कर लोगों को ठगने के लिए थाने के नंबर का प्रयोग किया गया है. ऐसे में जानकारी होने के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज कर साइबर सेल की मदद से जांच शुरू कर दी गई है. वहीं साइबर सेल के मुताबिक, थाना प्रभारी के सीयूजी नंबर की स्पूफिंग कर लोगों को कॉल कर धमकी दी जा रही है. पूर्व में भी साइबर अपराधियों ने कई पुलिस अधिकारियों के सीयूजी नंबर की स्पूफिंग की थी. फिलहाल जांच जारी है, जल्द ही अपराधी को ट्रेस कर लिया जाएगा।. इससे पहले भी हजरतगंज थाने के सीयूजी नंबर को हैक कर ठगी की गई थी.
DGP के नंबर की भी हो चुकी है स्पूफिंग : यह पहली बार नहीं है जब स्पूफिंग कॉल कर जालसाजी करने की कोशिश की गई है. इससे पहले भी साइबर अपराधियों ने स्पूफिंग कॉल कर बड़े-बड़े अधिकारियों को ठगने के लिए इसका इस्तेमाल किया था. एक वर्ष पहले यूपी के तत्कालीन डीजीपी के नंबर से कानपुर के दो थाना प्रभारियों को कॉल की गई थी. कॉल कर थाना प्रभारी से अनैतिक कार्य करने के लिए कहा गया, पहले तो थाना प्रभारियों ने कॉल करने वाले को डीजीपी ही समझा, लेकिन बाद में पोल खुल गई.
CM के सचिव का भी नंबर अपराधी कर चुके हैं इस्तेमाल : वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निजी सचिव के नंबर से राज्य के कई डीएम और मंडलायुक्तों को कॉल की गई थी. कॉल करने वाले ने इन सभी अधिकारियों से अनैतिक कार्य करने को कहा, जिस पर एक-दो अधिकारियों ने बताए गए काम कर भी दिए. इसी दौरान एक आईएएस अधिकारी को कॉल करने वाले पर शक हुआ तो उसने सीधे तत्कालीन मुख्यमंत्री से इस बात की शिकायत की और जब जांच हुई तो सामने आया कि ये कॉल स्पूफिंग कॉल थी, जो निजी सचिव के नंबर का इस्तेमाल कर की गई थी.
ऐसे करते हैं कॉल स्पूफिंग: साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा के मुताबिक थाने या पुलिस अधिकारी के सीयूजी नम्बर से कॉल कर लोगों को ठगने की कोशिश करना और फिर जब पीड़ित उसी नम्बर पर कॉल करे तो वह असल अधिकारी के पास पहुंचे, इसे ही कॉल स्पूफिंग कहते हैं. यह ऐसी तकनीक है, जिससे अपने नंबर की पहचान छिपाते हुए किसी भी अन्य व्यक्ति के नंबर को हैक करके उससे कॉल करते हैं. इसमें असली नंबर वाले को बिना जानकारी लगे, अगले व्यक्ति को कॉल या मैसेज करने पर नंबर उसी का शो होता है. कॉल स्पूफिंग इंडियन टेलीग्राफ एक्ट के तहत प्रतिबंधित है. ऐसा करते पाए जाने पर जुर्माना, तीन साल जेल या दोनों दंड का प्रावधान है. इसमें तीन वर्ष का कारावास व 25,000 रुपये जुर्माने का भी प्रावधान है.
कैसे ठगी होने करें बचाव?
साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे बताते हैं कि यदि आपका कोई अपना भी अगर आपको कॉल करे और पैसे मांगे और अगर आपको आवाज अलग लगे तो कॉल काट कर उसके नंबर पर दुबारा कॉल कर वेरिफाई करें. क्योंकि स्पूफिंग कर जालसाज कॉल कर तो सकता है, लेकिन रिसीव नहीं कर सकेगा. एक्सपर्ट के मुताबिक साइबर फ्रॉड होने पर आप गृह मंत्रालय के नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल cybercrime.gov.in पर भी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. 1930 पर कॉल करके आप अपनी मुश्किलें बता सकते हैं. इसके अलावा स्थानीय थाने या साइबर थाने में भी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.