रांचीः आदिवासी महोत्सव के पहले दिन बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम से सराबोर रहा, महोत्सव की शुरुआत रीझ-रंग शोभायात्रा से हुई. इसके बाद 32 जनजातीय वाद्य यंत्रों की एक साथ प्रस्तुति ने महोत्सव की सांस्कृतिक शोभा बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ा.
आदिवासी महोत्सव के उद्घाटन सत्र के बाद आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान एक तरफ दिव्यांग बच्चों द्वारा ट्राईबल कल्चर इन फ्रेगमैंन स्टाइलिश इन परिधान दर्शन की प्रस्तुति की गई. वहीं दूसरी ओर असम से आए कलाकारों ने बांसुरी की सुरीली धुन बजाकर महोत्सव की शोभा बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस मौके पर छत्तीसगढ़ के जसपुर से आए कलाकारों ने अपने पारंपरिक परिधान एवं वाद्य यंत्र के साथ-साथ पारंपरिक आदिवासी करमा नृत्य प्रस्तुत कर खुब तालियां बटोरी. इस दौरान अखड़ा दर्शन 8 जनजातियों का गीत नृत्य की प्रसुति की गई.
भगवान बिरसा पर आधारित नृत्य नाटिका
सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान भगवान बिरसा पर आधारित नृत्य नाटिका की प्रस्तुति की गई. भगवान बिरसा की ऐतिहासिक गाथा को वर्षा लकड़ा और उनके समूह द्वारा कथात्मक संगीतमय नृत्य नाटिका के साथ दिखाया गया. इस मौके पर पद्मश्री मुकुंद नायक ने अपने नागपुरी गीत नृत्य से श्रोता को झुमने को विवश कर दिया. शेरोन मरांडी द्वारा संथाली बैंड आधुनिक संथाली गायन वादन गायिका विकृत बैंड की प्रस्तुति दी गई. साथ ही झारखंड झरोखा- लोक कला वाद्य यंत्र एवं परिधान की प्रस्तुति दी गई. आदिवासी महोत्सव के दूसरे एवं अंतिम दिन शनिवार 10 अगस्त को एक बार फिर सांस्कृतिक कार्यक्रम से बिरसा स्मृति उद्यान गुलजार होगा.
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