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मलबा निस्तारण पर सख्त सरकार, डंपिंग जोन चिन्हित करने के निर्देश, जिलाधिकारियों को मिला हफ्तेभर का समय

विकास कार्यों के दौरान बड़ी मात्रा में निकलने वाला मलबा चुनौती, अव्यवस्थित निस्तारण से होता है नुकसान

DUMPING ZONE CHALLENGE UTTARAKHAND
मलबा निस्तारण पर सख्त सरकार (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 14, 2024, 9:39 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में जिलाधिकारियों को डंपिंग जोन चिन्हित कर शासन को प्रस्ताव भेजने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया गया है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने BRO, NHIDCL और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ बैठक की. जिसमें डंपिंग जोन से जुड़े मुद्दे पर चर्चा करते हुए सख्त निर्देश जारी किये गये हैं.

प्रदेश में भूस्खलन और विकास कार्यों के दौरान बड़ी मात्रा में निकलने वाले मलबे को डंप करना राज्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. कई बार बिना डंपिंग जोन के ही ऐसा मलबा पहाड़ों से नीचे फेंक दिया जाता है. जिसके कारण नदियों पर भी इसका असर पड़ता है. ऐसे में राज्य सरकार इस तरह के मलबे से आने वाली परेशानियों को समझते हुए डंपिंग जोन चिन्हित करने पर गंभीरता से काम कर रही है. इसी को लेकर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आज अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए डंपिंग जोन चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं.

बैठक में मलबे का निस्तारण की चुनौती से निपटने के लिए ही अब विभिन्न जगहों पर डंपिंग जोन चिन्हित करने के लिए कहा गया है. खास बात यह है कि तमाम जिलों के जिला अधिकारियों को एक हफ्ते में ऐसे स्थलों को चिन्हित कर शासन को प्रस्ताव भेजना होगा. मुख्य सचिव के स्तर पर यह स्पष्ट निर्देश जारी हुए हैं कि तमाम जगहों पर राजस्व भूमि चिन्हित की जाये. यदि कुछ क्षेत्रों में राजस्व भूमि उपलब्ध नहीं है तो वन भूमि को इसके लिए तलाशा जाए.

साफतौर पर कह दिया गया कि विकास कार्यों के दौरान डंपिंग जोन में मलबे के निस्तारण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए. जिन जगहों पर डंपिंग जोन भर गए हैं वहां पर ऐसे क्षेत्र का विस्तार करने का काम किया जाए. ना केवल डंपिंग जोन में मलबे के निस्तारण पर निर्देश जारी हुए हैं बल्कि यहां से मलबे के उपयोग पर भी कार्य योजना बनाने के लिए कहा गया है. डंपिंग जोन में ग्रीन पैच भी विकसित करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा विभिन्न एजेंसियों को जिलाधिकारी के साथ समन्वय स्थापित करते हुए निरीक्षण किए जाने के भी निर्देश दिए गए है. खास बात यह है कि डंपिंग से संबंधित कार्यवाही संस्थाओं ने अगले 5 साल की जरूरत को देखते हुए करीब 81 हेक्टेयर जमीन की मांग की है. मलबे को लेकर डंपिंग जोन से जुड़े नियमों का पालन करने को लेकर सरकार गंभीर है.

पढ़ें- सहकारिता विभाग के नाम होगी समितियों की जमीन, खाली पड़े 735 पदों पर जल्द होगी भर्ती

देहरादून: उत्तराखंड में जिलाधिकारियों को डंपिंग जोन चिन्हित कर शासन को प्रस्ताव भेजने के लिए एक हफ्ते का वक्त दिया गया है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने BRO, NHIDCL और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ बैठक की. जिसमें डंपिंग जोन से जुड़े मुद्दे पर चर्चा करते हुए सख्त निर्देश जारी किये गये हैं.

प्रदेश में भूस्खलन और विकास कार्यों के दौरान बड़ी मात्रा में निकलने वाले मलबे को डंप करना राज्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है. कई बार बिना डंपिंग जोन के ही ऐसा मलबा पहाड़ों से नीचे फेंक दिया जाता है. जिसके कारण नदियों पर भी इसका असर पड़ता है. ऐसे में राज्य सरकार इस तरह के मलबे से आने वाली परेशानियों को समझते हुए डंपिंग जोन चिन्हित करने पर गंभीरता से काम कर रही है. इसी को लेकर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आज अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए डंपिंग जोन चिन्हित करने के निर्देश दिए हैं.

बैठक में मलबे का निस्तारण की चुनौती से निपटने के लिए ही अब विभिन्न जगहों पर डंपिंग जोन चिन्हित करने के लिए कहा गया है. खास बात यह है कि तमाम जिलों के जिला अधिकारियों को एक हफ्ते में ऐसे स्थलों को चिन्हित कर शासन को प्रस्ताव भेजना होगा. मुख्य सचिव के स्तर पर यह स्पष्ट निर्देश जारी हुए हैं कि तमाम जगहों पर राजस्व भूमि चिन्हित की जाये. यदि कुछ क्षेत्रों में राजस्व भूमि उपलब्ध नहीं है तो वन भूमि को इसके लिए तलाशा जाए.

साफतौर पर कह दिया गया कि विकास कार्यों के दौरान डंपिंग जोन में मलबे के निस्तारण से जुड़े नियमों का कड़ाई से पालन कराया जाए. जिन जगहों पर डंपिंग जोन भर गए हैं वहां पर ऐसे क्षेत्र का विस्तार करने का काम किया जाए. ना केवल डंपिंग जोन में मलबे के निस्तारण पर निर्देश जारी हुए हैं बल्कि यहां से मलबे के उपयोग पर भी कार्य योजना बनाने के लिए कहा गया है. डंपिंग जोन में ग्रीन पैच भी विकसित करने के लिए कहा गया है. इसके अलावा विभिन्न एजेंसियों को जिलाधिकारी के साथ समन्वय स्थापित करते हुए निरीक्षण किए जाने के भी निर्देश दिए गए है. खास बात यह है कि डंपिंग से संबंधित कार्यवाही संस्थाओं ने अगले 5 साल की जरूरत को देखते हुए करीब 81 हेक्टेयर जमीन की मांग की है. मलबे को लेकर डंपिंग जोन से जुड़े नियमों का पालन करने को लेकर सरकार गंभीर है.

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