नई दिल्ली: राजधानी के साहित्य अकादमी के 'साहित्योत्सव' के तीसरे दिन की शाम मशहूर गीतकार और फिल्म जगत के मशहूर गीतकार गुलजार के नाम रही. इस दौरान उन्होंने सिनेमा और साहित्य विषय पर अपने विचार प्रस्तुत कर मौन सिनेमा (राजा हरिश्चंद) से लेकर तत्कालीन सिनेमा (छप्पक) के विश्लेषण के आधार पर साहित्य और सिनेमा के रिश्ते को बताया.
उन्होंने अपने संवत्सर व्याख्यान में कहा कि सिनेमा थोड़ा इतिहास होता है और मैं इस इतिहास की परिभाषाएं समय-समय पर बदलने में विश्वास रखता हूं. उन्होंने सिनेमा की व्यापक पहचान और साहित्य से उसके गहरे रिश्तों के कई उदाहरण देते हुए अपनी बात रखी. साथ ही साथ दो बीघा जमीन से लेकर नई फिल्मों तक सिनेमा और साहित्य की गहरी पड़ताल प्रस्तुत की.
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इस दौरान उन्होंने एक गजल के माध्यम से भी सिनेमा और साहित्य के संबंधों को बताया. गौरतलब है कि देश की राष्ट्रीय साहित्य संस्था साहित्य अकादमी इस वर्ष अपने 70 वर्ष पूरे करने पर 'साहित्योत्सव' का आयोजन कर रही है. इसको विश्व के सबसे बड़े साहित्यिक कार्यक्रम के रूप में मनाया जा रहा है. यह उत्सव आगामी 18 मार्च तक रवींद्र भवन परिसर, 35, फिरोज शाह मार्ग पर किया जाएगा. इस दौरान 190 से अधिक सत्रों में 1,100 से अधिक प्रसिद्ध लेखक और विद्वान भाग लेंगे. इसमें देश की 175 से अधिक भाषाओं का प्रस्तुति दी जा रही है.