गोपालगंज: शिव भक्त मानते हैं कि भगवान भोले नाथ से जो भी सच्चे मन से कुछ मांगता है, उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. गोपालगंज जिले में वैसे तो कई एतिहासिक और प्राचीन शिवालय जगह-जगह बने हैं लेकिन शहर के बीचों बीच स्थित बालखण्डेश्वर महादेव का मंदिर इन्हीं में से एक है. वैसे तो यहां पूरे साल शिवभक्तों का ताता लगा रहता है लेकिन सावन माह में इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है.
200 साल पुराना है बालखण्डेश्वर मंदिर का इतिहास: इस बार भी सावन के अंतिम सोमवार के दिन भगवान भोले नाथ को जलाभिषेक करने के और पूजन करने के लिए लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी है. जनता सिनेमा रोड स्थित बालखण्डेश्वर नाथ के मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. ऐसी मान्यता है कि दो सौ वर्ष पहले जब हथुआ राज का राज हुआ करता था, तब गोपालगंज शहर के बीचों बीच, जहां बालखंडेश्वर महादेव का मंदिर है उस स्थान पर हथुआ राज की छावनी हुआ करती थी.
क्यों पर मन्नतनाथ नाम: श्रद्धालु आनंद कुमार ने बताया कि छावनी में कुछ सैनिक रहते थे, सैनिको द्वारा खेती करने के उद्देश्वय से जब खेत की जोताई की जा रही थी, तभी हल द्वारा खेत से एक शिवलिंग निकला. हालांकि हल की वजह से शिव लिंग थोड़ा खंडित हो गया. सैनिकों ने इसकी सूचना राजा को दी. राजा द्वारा खंडित शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया गया और पूजा अर्चना शुरू हो गई. मानना है कि स्थानीय लोगों ने जो भी सच्चे मन से मन्नते मांगी वह पूरी होती गई, जिसके बाद लोग इसे मन्नतनाथ के नाम से भी जानने लगें.
"सैनिको द्वारा खेती करने के उद्देश्वय से जब खेत की जोताई की जा रही थी, तभी हल द्वारा खेत से एक शिवलिंग निकला. हालांकि हल की वजह से शिव लिंग थोड़ा खंडित हो गया और उनका नाम बालखण्डेश्वर महादेव रखा गया."-आनंद कुमार, श्रद्धालु
सावन और शिवरात्रि में होती है विशेष पूजा: बालखण्डेश्वर महादेव को सावन माह और शिवरात्रि के पावन अवसर पर पंडितों द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही दुग्धाभिषेक और जलाभिषेक किया जाता है. इस विशेष दिन को लेकर मंदिर कमिटी द्वारा भक्तों के सहूलियत के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. 20 से 25 निजि वोलेंटियर के अलावा यहां पुलिस की टीम मौजूद रहती है.