बेमेतरा: बेमेतरा कलेक्टोरेट में ग्रामीणों ने भीड़ लगाकर कलेक्टर से गुहार लगाई है. ग्रामीण बारिश के बाद अपने खेतों में हो रहे जल भराव से परेशान है. और खेतों में पानी इसलिए भरा है क्योंकि जिला प्रशासन ने बिजाभाठ-मटका जलाशय के गेट खोल दिए हैं. क्योंकि ये जलाशय पूरी तरह से बारिश के कारण लबालब हो चुका था. पानी खोले जाने के बाद पानी सीधा गांवों में घुसा.जिससे खेतों में लगाई गई फसल बह गई.अब ग्रामीणों ने अपर कलेक्टर अनिल वाजपेयी को ज्ञापन सौंपकर फसल क्षतिपूर्ति देने के साथ मटका जलाशय का गेट बंद करने की मांग की है.
कितनी फसल हुई प्रभावित ? : दरअसल पूरा मामला बेमेतरा जिला के बीजभाठ - मटका जलाशय का है. जिसका गेट जिला प्रशासन ने अत्यधिक जलभराव के कारण खोला था. जलाशय का गेट खोलने के बाद पानी सीधा गांवों में घुसा. जिससे किसानों की 800 एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो गई.इस घटना के बाद मटका गांव के किसानों ने जिला प्रशासन से फसल क्षतिपूर्ति की मांग की.किसानों ने मुआवजा राशि देने के साथ मटका जलाशय का गेट बंद करने की मांग की है.
गेट बंद नहीं हुए तो होगा आंदोलन : बेमेतरा कलेक्टोरेट आए मटका गांव के किसानों ने बताया कि मटका गांव में एसडीएम, नायब तहसीलदार, आरआई एवं हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के अधिकारी आए थे. जेसीबी के माध्यम से बांध को तोड़ा गया है. जिसकी सूचना ग्राम पंचायत और ग्रामीणों को नहीं दी गई है. वहीं जलाशय के गेट तोड़ने की वजह से जलाशय का पानी करीब 700 से 800 एकड़ के धान की फसल को चौपट कर दिया है. किसानों ने प्रशासन से मुआवजा की गुहार लगाई है. तीन दिनों के अंदर गेट बंद नहीं करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी ग्रामीणों ने दी है.
''अधिकारियों ने पंचायत को बांध के गेट तोड़ने की जानकारी नही दी है वही अब किसान परेशान हो रहे हैं.''- खूबीराम ध्रुव, सरपंच
SDM को निरीक्षण करने के मिले निर्देश : वही इस संबंध में बेमेतरा के अपर कलेक्टर डॉ अनिल बाजपेयी ने कहा कि मटका गांव में जलाशय के पानी खेत में आने से 700 से 800 एकड़ के फसल नुकसान की बात कही जा रही है. इस संबंध में बेमतरा एसडीएम को मौका निरीक्षण के लिए भेजा जाएगा.