बगहा: वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन क्षेत्र से आए दिन जलीय और वन्य जीव जंतु रिहायशी इलाके में पहुंचते रहते हैं. इसी क्रम में गुरुवार की रात इंडो-नेपाल सीमा पर अवस्थित वाल्मीकीनगर के त्रिवेणी नहर से एक विशालकाय 8 फीट का मगरमच्छ टीना शेड कॉलोनी में घुस गया. जिसको देखकर लोगों में अफरा-तफरी मच गई.
रात को घर में घुसने वाला था मगरमच्छ: बताया जा रहा है कि गुरुवार की रात 8 बजे के करीब मगरमच्छ टीना शेड कॉलोनी में एक शख्स के घर में घुसने की फिराक में था, तभी ग्रामीणों की नजर पड़ गई. जिसके बाद लोगों ने तत्काल वन विभाग को सूचना दी. वाल्मिकीनगर रेंज के वनकर्मियों की टीम मौके पर पहुंची और टॉर्च की रोशनी में रेस्क्यू कार्य शुरू किया.
कहां छोड़ा गया मगरमच्छ: रेस्क्यू के दौरान मगरमच्छ बार-बार हमलावर हो रहा था. कड़ी मशक्कत के बाद तकरीबन एक घंटे के प्रयास के बाद मगरमच्छ को पकड़ा गया. लिहाजा रेस्क्यू करने में वनकर्मियों के भी पसीने छूट गए. वनकर्मियों के मुताबिक मगरमच्छ काफी मोटा और तकरीबन 8 फीट लंबा था. जिसे रस्सी के सहारे पकड़कर गंडक नारायणी नदी में छोड़ दिया गया.
गंडक नदी मेंंमगरमच्छों का बेहतर अधिवास: वाल्मिकीनगर वन क्षेत्र के रेंजर शिव कुमार ने बताया कि गंडक और उसकी सहायक नदियों में मगरमच्छों की संख्या बढ़ी है. गंडक नदी मगरमच्छों के लिए एक बेहतर अधिवास साबित हो रहा है. आम तौर पर भोजन की तलाश में मगरमच्छ नहर और नदियों से निकलकर रिहायशी इलाके में पहुंचते हैं. मगरमच्छों के सूंघने की शक्ति काफी ज्यादा होती है लिहाजा मांसाहारी भोजन की खुशबू से भी वे ज्यादा आकर्षित होते हैं.
"मगरमच्छों की रात में देखने और सुनने की क्षमता बहुत अच्छी होती है. ये शिकार को पकड़ने के लिए अपने दांतों का इस्तेमाल करते हैं और चुपके से शिकार पर हमला करते हैं. लिहाजा सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है."- शिव कुमार, रेंजर, वाल्मिकीनगर वन क्षेत्र
6,000 दांत बदलते हैं मगरमच्छ: बता दें कि मगरमच्छ अपने जीवनकाल में 6,000 दांत बदलते हैं और इनका वजन 1000 किलो तक हो सकता है. बड़े मगरमच्छ मुख्य रूप से मछलियों के अलावा जलपक्षी और स्तनधारियों का शिकार करते हैं. यहीं वजह है कि बकरी, कुत्ते और अन्य पालतू पशुओं का शिकार करने के उद्देश्य से वे बस्ती वाले इलाकों में घुस जाते हैं.
पढ़ें-मोतिहारी में पिछले दो दिनों से डेरा जमाये था मगरमच्छ, रेस्क्यू टीम ने आधी रात को इस तरह पकड़ा