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CM सुक्खू सहित 15 माननीयों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले होंगे वापस, HC ने प्रदेश सरकार को दी इजाजत - Himachal High court

Himachal High Court: हिमाचल प्रदेश में सीएम सुखविंदर सहित 15 माननीयों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लिया जाएगा. हिमाचल हाईकोर्ट ने इसको लेकर प्रदेश सरकार को इजाजत दे दी है. पढ़िए पूरी खबर...

Himachal High Court
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Apr 26, 2024, 9:31 PM IST

Updated : Apr 26, 2024, 10:14 PM IST

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को 15 माननीयों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की इजाजत दे दी है. इन माननीयों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, विधायक कुलदीप सिंह राठौर, राकेश सिंघा, हरीश जनारथा, लोकेंद्र कुमार, रवि ठाकुर, जैनब चंदेल, जितेंद्र चौधरी, राजन सुशांत, मनीष ठाकुर, रजनी पाटिल, गुरप्रीत, तिलक राज और विजय अग्निहोत्री शामिल हैं.

इन राजनेताओं के खिलाफ प्रदेश के विभिन्न पुलिस थानों में प्राथमिकियां दर्ज है और कोर्ट में ट्रायल लंबित है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार द्वारा माननीय विधायकों या सांसदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने से जुड़े आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकारते हुए कहा कि सरकार ने आवेदन नेकनीयती से दायर किया है. प्रदेश के गृह विभाग ने कोर्ट से माननीयों के खिलाफ ऐसे 65 अभियोगों को वापस लेने की अनुमति मांगी थी, जो सरकार के अनुसार माननीयों के खिलाफ राजनीतिक द्वेष के कारण दर्ज किए गए थे.

कोर्ट ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ दर्ज 3, मुकेश अग्निहोत्री के 1, विक्रमादित्य सिंह के 3, अनिरुद्ध सिंह के 2, कुलदीप सिंह राठौर के 6, राकेश सिंघा के 26, जितेंद्र चौधरी, भुवनेश्वर गौड़ के 4, लोकिंदर कुमार के 3, अजय सोलंकी 2 और राजन सुशांत, हरीश जनारथा, मनीष ठाकुर, रजनी पाटिल, जगत सिंह नेगी, निखिल कुमार, सतपाल रायजादा, मनोज कुमार, सुदर्शन, तिलक राज, राजेश धर्माणी, विजय अग्निहोत्री, नसीर रावत, विक्रम जरयाल, अभिमन्यु जरयाल, कुश कुमार, नीरज भारती, राकेश पठानिया, राजीव राणा, विपिन परमार, परवीन शर्मा, नरेंद्र कुमार, लोकेंद्र कुमार, मीरा ठाकुर, राम कृष्ण शांडिल, जानव चंदेल, रवि ठाकुर के एक-एक मामले को वापस लेने की अनुमति मांगी थी.

कोर्ट ने सुक्खू के 3 में से 1 मामले को वापस लेने की इजाजत दे दी. जबकि एक मामले में कोई अपराध ही नहीं बनता और एक मामले का निपटारा पहले ही किया जा चुका है. कोर्ट ने राकेश सिंघा के 26 में से 22, जितेंद्र चौधरी के 4 में से 3, लोकिंदर कुमार के 3 में से 2. जबकि विक्रमादित्य, अनिरुद्ध सिंह, भुवनेश्वर गौड़ सहित अन्य नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. विक्रम जरयाल, अभिमन्यु जरयाल, कुश कुमार और राकेश पठानिया के खिलाफ दर्ज एक-एक मामले का निपटारा पहले ही हो चुका है.

सरकार द्वारा दायर आवेदन के माध्यम से कोर्ट को बताया गया था कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत अन्य विधायकों के खिलाफ प्रदेश के 10 जिलों की अदालतों में आपराधिक मामले चल रहे हैं. सोलन और लाहौल स्पीति में कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. सरकार का कहना था कि विधायकों पर राजनीतिक द्वेष के कारण ये आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. वर्तमान और पूर्व विधायक के खिलाफ दर्ज किए गए ये मामले राजनीतिक विरोध से जुड़े हैं.

आवेदन के माध्यम से अदालत को बताया गया था कि यह आवेदन किसी छुपे हुए उद्देश्य से दायर नहीं किया गया है. कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत विधायक और सांसद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए विशेष न्यायाधीशों को नियुक्त किया गया है. लेकिन अभी तक सिर्फ सात मामलों का निपटारा ही किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अनुपालना करते हुए हाईकोर्ट ने विशेष अदालतों का गठन किया है और आदेश दिए हैं कि वर्तमान और पूर्व विधायकों और सांसदों के खिलाफ दर्ज मामलों को शीघ्रता से निपटाया जाए.

ये भी पढ़ें: हिमाचल उपचुनाव: कांग्रेस ने 3 प्रत्याशियों को दिया टिकट, दो लोकसभा और तीन विधानसभा सीट पर अभी भी इंतजार

शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को 15 माननीयों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की इजाजत दे दी है. इन माननीयों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, विधायक कुलदीप सिंह राठौर, राकेश सिंघा, हरीश जनारथा, लोकेंद्र कुमार, रवि ठाकुर, जैनब चंदेल, जितेंद्र चौधरी, राजन सुशांत, मनीष ठाकुर, रजनी पाटिल, गुरप्रीत, तिलक राज और विजय अग्निहोत्री शामिल हैं.

इन राजनेताओं के खिलाफ प्रदेश के विभिन्न पुलिस थानों में प्राथमिकियां दर्ज है और कोर्ट में ट्रायल लंबित है. मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सरकार द्वारा माननीय विधायकों या सांसदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने से जुड़े आवेदन को आंशिक रूप से स्वीकारते हुए कहा कि सरकार ने आवेदन नेकनीयती से दायर किया है. प्रदेश के गृह विभाग ने कोर्ट से माननीयों के खिलाफ ऐसे 65 अभियोगों को वापस लेने की अनुमति मांगी थी, जो सरकार के अनुसार माननीयों के खिलाफ राजनीतिक द्वेष के कारण दर्ज किए गए थे.

कोर्ट ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ दर्ज 3, मुकेश अग्निहोत्री के 1, विक्रमादित्य सिंह के 3, अनिरुद्ध सिंह के 2, कुलदीप सिंह राठौर के 6, राकेश सिंघा के 26, जितेंद्र चौधरी, भुवनेश्वर गौड़ के 4, लोकिंदर कुमार के 3, अजय सोलंकी 2 और राजन सुशांत, हरीश जनारथा, मनीष ठाकुर, रजनी पाटिल, जगत सिंह नेगी, निखिल कुमार, सतपाल रायजादा, मनोज कुमार, सुदर्शन, तिलक राज, राजेश धर्माणी, विजय अग्निहोत्री, नसीर रावत, विक्रम जरयाल, अभिमन्यु जरयाल, कुश कुमार, नीरज भारती, राकेश पठानिया, राजीव राणा, विपिन परमार, परवीन शर्मा, नरेंद्र कुमार, लोकेंद्र कुमार, मीरा ठाकुर, राम कृष्ण शांडिल, जानव चंदेल, रवि ठाकुर के एक-एक मामले को वापस लेने की अनुमति मांगी थी.

कोर्ट ने सुक्खू के 3 में से 1 मामले को वापस लेने की इजाजत दे दी. जबकि एक मामले में कोई अपराध ही नहीं बनता और एक मामले का निपटारा पहले ही किया जा चुका है. कोर्ट ने राकेश सिंघा के 26 में से 22, जितेंद्र चौधरी के 4 में से 3, लोकिंदर कुमार के 3 में से 2. जबकि विक्रमादित्य, अनिरुद्ध सिंह, भुवनेश्वर गौड़ सहित अन्य नेताओं के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. विक्रम जरयाल, अभिमन्यु जरयाल, कुश कुमार और राकेश पठानिया के खिलाफ दर्ज एक-एक मामले का निपटारा पहले ही हो चुका है.

सरकार द्वारा दायर आवेदन के माध्यम से कोर्ट को बताया गया था कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत अन्य विधायकों के खिलाफ प्रदेश के 10 जिलों की अदालतों में आपराधिक मामले चल रहे हैं. सोलन और लाहौल स्पीति में कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया है. सरकार का कहना था कि विधायकों पर राजनीतिक द्वेष के कारण ये आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. वर्तमान और पूर्व विधायक के खिलाफ दर्ज किए गए ये मामले राजनीतिक विरोध से जुड़े हैं.

आवेदन के माध्यम से अदालत को बताया गया था कि यह आवेदन किसी छुपे हुए उद्देश्य से दायर नहीं किया गया है. कोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत विधायक और सांसद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए विशेष न्यायाधीशों को नियुक्त किया गया है. लेकिन अभी तक सिर्फ सात मामलों का निपटारा ही किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अनुपालना करते हुए हाईकोर्ट ने विशेष अदालतों का गठन किया है और आदेश दिए हैं कि वर्तमान और पूर्व विधायकों और सांसदों के खिलाफ दर्ज मामलों को शीघ्रता से निपटाया जाए.

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Last Updated : Apr 26, 2024, 10:14 PM IST
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