आगरा : युवती की आत्महत्या के मामले में तथ्य छिपाना आगरा पुलिस को भारी पड़ गया. पीड़ित परिवार की शिकायत और केंद्रीय मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल के हस्तक्षेप के बाद खंदौली थाना पुलिस पर बड़ी कार्रवाई हुई है. पुलिस कमिश्नर जे. रविन्दर गौड़ ने सोमवार की देर रात एसओ खंदौली अजय कुमार, विवेचक मुड़ी चौकी प्रभारी बलराम सिंह और बीट पुलिस आफिसर ओमवीर सिंह को निलंबित कर दिया है. जांच में सामने आया था कि छेड़खानी से परेशान होकर युवती के आत्महत्या की थी. इस मामले में पुलिस की लापरवाही सामने आई. एसओ ने घटना के वास्तविक तथ्यों से अधिकारियों को अवगत नहीं कराया था. इसके अलावा आरोपी के खिलाफ कार्रवाई में भी देरी की गई. इस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लोगों ने कैंडल मार्च भी निकाला था.
मामला 17 फरवरी का है. खंदौली कस्बे में 19 वर्षीय युवती ने आत्महत्या कर ली थी. युवती के परिजन ने पड़ोस के रहने वाले कलुआ उर्फ मनोज पर छेड़खानी का आरोप लगाया था. मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने की धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था. मुकदमे में कलुआ के साथ उसकी मां अनिल देवी, बंटी और जीतू को भी नामजद किया गया था.
युवती पुलिस भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रही थी. परीक्षा से एक दिन पहले उसने आत्महत्या कर ली थी. इस घटना से गांव में माहौल गर्मा गया. इसके बावजूद पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं की. शुक्रवार को परिजनों ने आरोपी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कैंडल मार्च निकाला था. परिजन का आरोप था कि पुलिस सुनवाई नहीं कर रही है.
हंगामा और कैंडल मार्च के बाद पुलिस ने शनिवार को आरोपी कलुआ को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. इधर, सोमवार को सांसद प्रो. एसपी सिंह बघेल पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे थे. उन्होंने पीड़ित परिवार से बात सुनी. इसके बाद अधिकारियों को फटकार लगाई.
तथ्य छिपाने पर गिरी गाज : पुलिस महकमे में एसओ सहित तीन पुलिसकर्मियों के निलंबन की कार्रवाई से खलबली मची हुई है. कई मामलो में एसओ अधिकारियों से तथ्य छिपाकर कार्य करते हैं. मूल घटनाक्रम नहीं बताया जाता है. जब तक अधिकारियों को पता चलता है, देर हो चुकी होती है.
घटना के संबंध में अधिकारियों को मूल तथ्यों से अवगत नहीं कराया गया. डीसीपी पश्चिमी जोन सोनम कुमार ने बताया कि मामले में पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया गया था. इस पर ट्रेनी आईपीएस अधिकारी से जांच कराई गई थी. इसमें लापरवाही की पुष्टि हुई. समय पर अधिकारियों को घटना के बारे में नहीं बताया गया था. वास्तविक तथ्य भी छिपाए गए. एसओ, विवेचक और बीपीओ के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है.
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