देहरादून: धर्मनगरी हरिद्वार अपराध करने वालों के लिए केंद्र बन गया है, जो मासूम बच्चों को यहां से किडनैप करते हैं या फिर दूसरे राज्यों से किडनैप कर कर उन्हें यहां लाते हैं. बीते दिनों 1 अप्रैल को हुई हरिद्वार में घटना के बाद एक बार फिर से यह सवाल खड़ा होने लगा है कि यहां आने वाले यात्रियों के बच्चे कितने सुरक्षित हैं. ऐसे में अगर आप हरिद्वार या किसी भी धार्मिक स्थल या भीड़भाड़ वाले इलाके में जा रहे हैं, तो इस बात को सुनिश्चित करें कि आपके मासूम बच्चे आपकी नजरों से दूर ना हो.
इसलिए किया जाता है बच्चों का अपहरण: बता दें कि उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले महेंद्र अपने परिवार के साथ हरिद्वार आए थे. 1 अप्रैल को हरिद्वार की हरकी पैड़ी से एक 3 साल की बच्ची उस वक्त गायब हो गई थी, जब उसके माता-पिता उसे हरिद्वार में मुंडन के लिए लेकर आए थे. शामली (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला एक व्यक्ति बच्ची को लेकर फरार हो गया था. 5 दिनों से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में दबिश दे रही पुलिस को 5 अप्रैल को सफलता मिली.
आरोपी बच्ची को ले गया था शामली: पुलिस के लिए यह मामला बेहद मुश्किल है, क्योंकि जो सीसीटीवी फुटेज उनके पास थे. वह इतने पर्याप्त नहीं थे कि आरोपी की पहचान हो सके. पुलिस ने हरकी पैड़ी, रेलवे स्टेशन और बस अड्डे के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के अन्य जाने वाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले, तभी पता चला कि आरोपी बच्ची को लेकर उत्तर प्रदेश के शामली गया है.
भीख मांगने के लिए बच्ची का किया था अपहरण: पुलिस को सुरेंद्र सिंह ने बताया कि बच्चों के अपहरण के पीछे उसका मकसद हरिद्वार जैसे धार्मिक स्थलों पर जाकर उससे भीख मंगवाना या फिर उसको साथ में लेकर भीख मांगना है.अगर छोटा बच्चा साथ में हो तो लोग अच्छी खासी भीख दे देते हैं.
आरोपी बच्ची को भीख मांगने के लिए लाया था रुड़की: पुलिस के सामने तब समस्या ज्यादा पैदा हो गई, जब पुलिस ने शामली बस अड्डे पर कैमरों को खंगालना चाहा, लेकिन वहां पर कोई भी कैमरा ऐसी लोकेशन पर नहीं लगा था, जहां से इस व्यक्ति का चेहरा या इसके आने-जाने की फुटेज उन्हें मिल सके. ऐसे में अचानक आरोपी सुरेंद्र बच्ची को भीख मंगवाने के लिए दोबारा उत्तराखंड के रुड़की गया, तभी पुलिस को इस बात की भनक लगी कि कोई व्यक्ति एक छोटी बच्ची को लेकर रुड़की में दिखाई दिया है. भनक लगने के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए सुरेंद्र सिंह को बच्ची के साथ पकड़ लिया.
मामले को सुलझाने में पुलिस के छूटे पसीने: हरिद्वार कोतवाली के प्रभारी कुंदन सिंह राणा ने बताया कि पुलिस के लिए यह मामला सुलझाना बेहद मुश्किल था. शहर में वीआईपी का मूवमेंट और चुनावी ड्यूटी के साथ-साथ इस मामले को जल्द से जल्द निपटाना उनके लिए एक चुनौती थी, लेकिन पूरी टीम ने इस पर दिन-रात काम किया. मामले पर एसओजी सर्विलांस और तमाम जो भी यूनिट थी, उनको लगाया गया था. हरिद्वार के पुलिस कप्तान प्रमेंद्र डोबाल भी लगातार इस मामले में रोजाना इनपुट ले रहे थे. उन्होंने कहा कि इस बात की भी जांच की जा रही है कि पकड़े गए सुरेंद्र का कनेक्शन किसी बच्चा चोर गिरोह से तो नहीं है.
सबसे अधिक चर्चा में आया था ये मामला: हरिद्वार का वो किस्सा जब मुंबई के सीएसटी से प्रीति (बदला हुआ नाम ) नाम की बच्ची को एक युवक सोते हुए उठा ले गया था, तभी कुछ दिनों बाद उसकी बरामदगी हरिद्वार से हुई थी. मुंबई के ही ठाणे से एक 10 साल के बच्चों को अगवा कर लिया गया था, उसकी बरामदगी भी हरिद्वार से ही हुई थी. बच्चा चोरी के ये कुछ ऐसे मामले हैं, जिन्होंने देश भर का ध्यान हरिद्वार की ओर खींचा था. इन तमाम मामलों ने उस वक्त भी आला अधिकारियों के कान खड़े कर दिए थे.
मेडिकल के स्टूडेंट के अपहरण में चर्चाओं में आया था हरिद्वार: ऐसा ही एक मामला साल 2023 के शुरुआती महीने में उस वक्त हुआ था, जब पंजाब के मोहाली से एक मेडिकल के स्टूडेंट का कुछ अपहरणकर्ताओं ने हॉस्टल के बाहर से अपहरण कर लिया था. इस घटना के बाद पूरे मोहाली में हड़कंप मच गया था. पुलिस के लिए मामला सिरदर्द तब बना जब कुछ लोगों ने फिरौती की डिमांड कर दी. उस समय के तत्कालीन एसपी मोहाली नवनीत विर्क खुद इस पूरे मामले को अपने हाथ में लेकर जांच कर रहे थे, तभी पुलिस को सूचना मिली थी की अपहरणकर्ता बच्चे का अपहरण करने के बाद हरिद्वार पहुंच गए हैं. सूचना मिलने के बाद तत्कालीन एसपी मोहाली दो दिनों तक हरिद्वार में अपहरणकर्ता की तलाश में लगे रहे, लेकिन पुलिस की सूचना अपहरणकर्ता तक पहुंचने के बाद वह यहां से दोबारा पंजाब के लिए रवाना हो गए. तब पुलिस ने बच्चे और अपहरणकर्ताओं को जीरकपुर से गिरफ्तार किया था. इस घटना के बाद भी हरिद्वार खूब चर्चाओं में आया था.
रोड़ी बेलवाला से 5 साल के बच्चे का हुआ था अपहरण: साल 2022 के दिसंबर महीने में भी हरिद्वार की हरकी पैड़ी के नजदीक रोड़ी बेलवाला से 5 साल के बच्चे का अपहरण किया गया था. अरविंद गुप्ता नाम के व्यक्ति का 5 वर्षीय बच्चा मयंक गुप्ता कहां गया, कौन ले गया किसी को इस बात की भनक तक नहीं थी, तब पुलिस ने उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अलग-अलग टीमों को रवाना किया था और लगभग 15 दिनों के बाद हरिद्वार पुलिस ने उन्हें देवबंद से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने खुलासा किया था कि 5 वर्ष के बच्चे का अपहरण करने का मकसद कुछ और नहीं बल्कि उस बच्चे को गोद लेना था. मामले में पुलिस ने एक महिला सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. अपहरणकर्ता ने पंजाब से एक गाड़ी की चोरी की और इस चोरी की गाड़ी से 5 वर्ष के बच्चे का अपहरण किया था. साथ ही साल 2023 में ही रोशनाबाद के सिडकुल से एक और बच्चे का अपहरण किया गया था. 6 वर्ष के बच्चे के अपहरण के बाद पूरे हरिद्वार क्षेत्र में हड़कंप मच गया था, लेकिन तीन दिनों की मशक्कत के बाद पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार करके बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया था. बच्चे का अपहरण चाऊमीन का लालच देकर किया गया था.
दंपति ने चुराया था 6 माह का बच्चा: साल 2023 में ही जून महीने में गाजियाबाद से एक परिवार हरिद्वार घूमने के लिए आया था. अचानक हरकी पैड़ी के पास ऊर्जा निगम के कार्यालय परिसर में पूरा परिवार सोया हुआ था. मां की गोद में 6 महीने का बच्चा सो रहा था, तभी सुबह उठने पर बच्चा मां की गोद में नहीं था, जिससे तड़के सुबह बच्चे के गायब होने की खबर पुलिस को दी गई और पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू की, लेकिन पुलिस को इस मामले में कोई भी सुराग नहीं मिला. 13वें दिन पुलिस ने एक दंपति को गिरफ्तार कर लिया, जो कि उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे. दंपति ने बताया कि उन्होंने बच्चे को इसलिए उठाया था, क्योंकि उनको कोई भी संतान नहीं थी. अपहरणकर्ता पेशे से सिक्योरिटी गार्ड था और वह बच्चे को लेकर सीधा दिल्ली चला गया था. पुलिस ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और दिल्ली में धरपकड़ के बाद दोनों को बच्चे के साथ आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था.
उत्तराखंड डीजीपी बोले नहीं बरती जा रही ढिलाई: डीजीपी अभिनव कुमार ने बताया कि बच्चों के मामलों में किसी तरह की कोई भी ढिलाई पुलिस की तरफ से नहीं बरती जा रही है. हरिद्वार एक आध्यात्मिक नगरी है, लिहाजा कई बार भीख मंगवाने के मकसद से या तो बच्चों को वहां पर लाया जाता है या फिर खुद परिवार के लोग ही कई बार बच्चों को छोड़ जाते हैं.ऐसी स्थिति में पुलिस लगातार बच्चों का सत्यापन करती रहती है.
पुलिस बच्चों का कर रही सत्यापन: पुलिस मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार.अब तक पुलिस ने सैकड़ों बच्चों का सत्यापन किया है. जिसमें भिक्षावृत्ति/ कूड़ा बीनने/ गुब्बारे बेचने जैसे कामों में लगे कुल 892 बच्चों का सत्यापन किया है. सत्यापन किये गये 892 बच्चों में से कुल 378 बच्चों का विद्यालयों में दाखिला कराया गया. अन्य बच्चों के विद्यालयों में दाखिला कराये जाने की कार्रवाई जारी है. अभियान के दौरान बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाने वाला कोई गैंग प्रकाश में नहीं आया. अभियान के दौरान बाल श्रम करते पाए गए 6 बच्चों को रेस्क्यू कर नियोजकों के विरुद्ध 2 अभियोग और भिक्षावृत्ति करते पाये गये 08 व्यक्तियों के विरुद्ध 2 अभियोग पंजीकृत किए हैं. साल 2017 से अब तक 8562 बच्चों का सत्यापन किया जा चुका है. साथ ही 3981 बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराया गया है.
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