देहरादून: टेलीग्राम ग्रुप में पार्ट टाइम नौकरी कर लाभ कमाने की बात कहकर करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले साइबर ठग प्रशांत कष्टवाल को ग्वालियर से गिरफ्तार किया गया है. जिसके बाद करीब 8 करोड़ रुपए के घोटाले का भी खुलासा किया गया है. गिरफ्तार आरोपी के खिलाफ पूरे देश में 123 केस दर्ज हैं, जबकि वह 2311 अलग-अलग साइबर अपराधों में शामिल है. जिससे हर राज्य की पुलिस को आरोपी की तलाश थी.
पार्ट टाइम नौकरी के नाम पर ठगी: साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में देहरादून निवासी एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें बताया गया कि अज्ञात व्यक्ति द्वारा टेलीग्राम के माध्यम से पहले उससे संपर्क किया गया और फिर पार्ट टाइम नौकरी कर लाभ कमाने की बात कही गई थी. जिसके बाद अज्ञात व्यक्ति ने मोबाइल से पीड़ित से संपर्क कर खुद को 'इन्फोटेक सॉल्यूशन कंपनी' का कर्मचारी बताया और फिर ऑनलाइन गुगल रिव्यू पर रेटिंग कर लाभ कमाने की बात कही और फिर उसे टेलीग्राम ग्रुप में जोड़ा गया. इसके बाद लगातार अलग-अलग कंपनियों के नाम के लिंक भेजकर रेटिंग करने संबंधित टास्क देकर लाभ कमाने के नाम पर अलग-अलग लेन देन के माध्यम से कुल 19,41,900 रुपये अपने खाते में जमा करवाए.
अपराध का तरीका: आरोपियों द्वारा फर्जी बेवसाइट तैयार कर खुद को 'इन्फोटेक सॉल्यूशन कंपनी' के कर्मचारी और अधिकारी बताते हुए लोगों को ऑनलाइन नौकरी कर लाभ कमाने की बात कही जाती है और फिर टेलीग्राम ग्रुप में जोड़कर अलग-अलग कंपनियों के नाम के लिंक भेजकर रेटिंग करने संबंधित टास्क देकर लाभ कमाने के नाम पर धोखाधड़ी की जाती है. आरोपियों द्वारा कार्य के लिए फर्जी सिम और आईडी कार्ड का प्रयोग किया जाता है. वहीं, कुछ पीड़ितों से धोखाधड़ी करने के बाद नई सिम, मोबाइल और बैंक खातों का प्रयोग किया जाता है.
आरोपी के खिलाफ 123 केस दर्ज हैं: एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि भारत सरकार I4C गृह मंत्रालय के सहयोग से आरोपी से बरामद अलग-अलग बैंक खातों और मोबाइल नंबरों की जांच की गई तो आरोपी की 2311 आपराधिक लिंकेज (Criminal Linkages) सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पाई गई. इसके अलावा आरोपी के खिलाफ उत्तर प्रदेश में 25, महाराष्ट्र में 2, तेलंगाना में 49,दिल्ली में 10,बिहार में 2,तमिलनाडु में 11, हरियाणा में 4,कर्नाटक में 4,गुजरात में 4,आंध्र प्रदेश में 2, छत्तीसगढ़ में 3,उत्तराखंड में 2,चंडीगढ़ में 2,अरुणाचल प्रदेश में 1 और पश्चिम बंगाल में 2 मामले दर्ज हैं. साथ ही उत्तराखंड में ही 37 मामलों में आरोपी की संलिप्तता पाई गई है.
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