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सीपीआई माले ने की हेमंत सरकार से मांग, झारखंड में जल्द लागू हो पेसा कानून - PESA ACT

झारखंड में पेसा कानून लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है. अब भाकपा माले की ओर से भी मामले में बयान दिया गया है.

PESA Act In Jharkhand
सीपीआई माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य और मनोज भक्त. (फोटो-ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 13, 2025, 7:30 PM IST

रांची: भाकपा (माले) झारखंड राज्य कमेटी ने राज्य में पेसा नियमावली को यथाशीघ्र लागू करने की मांग की है. इंडिया ब्लॉक में शामिल सीपीआई माले के झारखंड राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि आदिवासी समुदायों की पारंपरिक और संविधान द्वारा संरक्षित अधिकारों को पेसा नियमावली के माध्यम से और अधिक सशक्त करने की जरूरत है.

राज्य में जल्द लागू हो पेसा कानून

भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि पार्टी का मानना है कि "पेसा कानून" को राज्य में लागू करने में हुई देरी को देखते हुए ग्राम-सभाओं को उनके अधीनस्थ भूमि के संबंध में 15 नवंबर 2000 के बाद हुए सौदों, अधिग्रहण और एमओयू के पुनर्मूल्यांकन का अधिकार मिलना चाहिए. पेसा कानून को लेकर भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने यह भी कहा कि लैंड बैंक की नीति में बदलाव किए बिना और सामुदायिक भूमि का अधिकार समुदायों को लौटाए बिना "पेसा" कानून को लागू करना अधूरा ही रहेगा.

विशेष कमेटी का हो गठन

सीपीआई माले ने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि "पेसा" के तहत आनेवाले गांवों का सांस्कृतिक और सामाजिक नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए विशेष समिति का गठन किया जाए, जो उद्योगों या खनन के कारण विस्थापित या अर्धविस्थापित हो चुके हैं. इसके अलावा विस्थापित समुदायों के लिए समयबद्ध पुनर्वास सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

भाजपा पेसा कानून की पक्षधर नहींः मनोज भक्त

भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकारें अब तक कॉरपोरेट हितों को प्राथमिकता देते हुए पेसा कानून को लागू करने में ढिलाई बरत रही है. पार्टी ने हेमंत सोरेन सरकार से आग्रह किया है कि इस संबंध में सभी संबंधित पक्षों और विशेषज्ञों से विमर्श कर पेसा को प्रभावी रूप से लागू किया जाए, ताकि इससे जुड़ी आशंकाओं को दूर किया जा सके.

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राज्य में जल्द लागू हो पेसा कानून

भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि पार्टी का मानना है कि "पेसा कानून" को राज्य में लागू करने में हुई देरी को देखते हुए ग्राम-सभाओं को उनके अधीनस्थ भूमि के संबंध में 15 नवंबर 2000 के बाद हुए सौदों, अधिग्रहण और एमओयू के पुनर्मूल्यांकन का अधिकार मिलना चाहिए. पेसा कानून को लेकर भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने यह भी कहा कि लैंड बैंक की नीति में बदलाव किए बिना और सामुदायिक भूमि का अधिकार समुदायों को लौटाए बिना "पेसा" कानून को लागू करना अधूरा ही रहेगा.

विशेष कमेटी का हो गठन

सीपीआई माले ने सरकार को यह भी सुझाव दिया कि "पेसा" के तहत आनेवाले गांवों का सांस्कृतिक और सामाजिक नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए विशेष समिति का गठन किया जाए, जो उद्योगों या खनन के कारण विस्थापित या अर्धविस्थापित हो चुके हैं. इसके अलावा विस्थापित समुदायों के लिए समयबद्ध पुनर्वास सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

भाजपा पेसा कानून की पक्षधर नहींः मनोज भक्त

भाकपा माले के राज्य सचिव मनोज भक्त ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकारें अब तक कॉरपोरेट हितों को प्राथमिकता देते हुए पेसा कानून को लागू करने में ढिलाई बरत रही है. पार्टी ने हेमंत सोरेन सरकार से आग्रह किया है कि इस संबंध में सभी संबंधित पक्षों और विशेषज्ञों से विमर्श कर पेसा को प्रभावी रूप से लागू किया जाए, ताकि इससे जुड़ी आशंकाओं को दूर किया जा सके.

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