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नाबालिग छात्र से कुकर्म मामला, कोर्ट ने टीचर को सुनाई 20 साल की सजा - rape with minor student

उधमसिंह नगर जिले में पीड़ित छात्र से कुकर्म मामले कोर्ट ने दोषी शिक्षक को 20 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से पीड़ित को तीन लाख रुपए देने के भी आदेश दिए है.

rudrapur
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 6, 2024, 9:33 PM IST

रुद्रपुर: नाबालिग छात्र से कुकर्म मामले जिला एवं सत्र न्यायालय उधमसिंह नगर की पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी शिक्षक को दोषी माना है. कोर्ट ने इस मामले में दोषी शिक्षक को 20 साल की सजा सुनाई है. साथ ही दोषी पर 40 हजार रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की रकम में से तीस हजार रुपए पीड़ित छात्र को दिए जाए.

विशेष लोक अभियोजक विकास गुप्ता ने बताया कि 4 अक्टूबर 2021 को जसपुर कोतवाली पुलिस को एक व्यक्ति ने इस मामले में तहरीर दी थी. शिकायतकर्ता ने बताया कि उनका 9 साल का बेटा एक टीचर के पास ट्यूशन पढ़ने जाता है. शाम को उनका बेटा ट्यूशन से रोते हुए लौटा. इसके अलावा वो काफी डरा हुआ भी था.

परिजनों ने जब बच्चे से रोने और डरने का कारण पूछा तो उसने बताया कि टीचर ने उसके साथ गलत काम किया है. तहरीर के आधार पर 5 अक्टूबर को थाना पुलिस ने शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की और आरोपी को उसके घर से बाहर से गिरफ्तार किया.

पुलिस ने पीड़ित छात्र का मेडिकल कराकर टीचर का डीएनए सैंपल परीक्षण के लिए एफएसएल देहरादून भेजा, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. तब से मामला जिला न्यायालय के पॉस्को न्यायाधीश अश्वनी गौड़ की अदालत में चल रहा था.

इस दौरान विशेष लोक अभियोजक विकास गुप्ता ने कोर्ट के समक्ष 6 गवाह प्रस्तुत किए गए. आज न्यायाधीश अश्वनी गौड़ ने आरोपी शिक्षक को धारा 377 आईपीसी के तहत दोषी मानते हुए दस साल के कठोर कारावास और बीस हज़ार रुपये जुर्माना लगाया. इसके अलावा धारा 5/6 पॉक्सो एक्ट के तहत बीस वर्ष के कठोर कारावास और बीस हजार रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई है. जुर्माने की राशि में से तीस हज़ार रुपये पीड़ित बालक को मिलेंगे. साथ ही न्यायाधीश ने ज़िलाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि पीड़ित बालक को मुआवज़े के तौर पर तीन लाख रुपये सरकार देगी.

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रुद्रपुर: नाबालिग छात्र से कुकर्म मामले जिला एवं सत्र न्यायालय उधमसिंह नगर की पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी शिक्षक को दोषी माना है. कोर्ट ने इस मामले में दोषी शिक्षक को 20 साल की सजा सुनाई है. साथ ही दोषी पर 40 हजार रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है. जुर्माने की रकम में से तीस हजार रुपए पीड़ित छात्र को दिए जाए.

विशेष लोक अभियोजक विकास गुप्ता ने बताया कि 4 अक्टूबर 2021 को जसपुर कोतवाली पुलिस को एक व्यक्ति ने इस मामले में तहरीर दी थी. शिकायतकर्ता ने बताया कि उनका 9 साल का बेटा एक टीचर के पास ट्यूशन पढ़ने जाता है. शाम को उनका बेटा ट्यूशन से रोते हुए लौटा. इसके अलावा वो काफी डरा हुआ भी था.

परिजनों ने जब बच्चे से रोने और डरने का कारण पूछा तो उसने बताया कि टीचर ने उसके साथ गलत काम किया है. तहरीर के आधार पर 5 अक्टूबर को थाना पुलिस ने शिक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की और आरोपी को उसके घर से बाहर से गिरफ्तार किया.

पुलिस ने पीड़ित छात्र का मेडिकल कराकर टीचर का डीएनए सैंपल परीक्षण के लिए एफएसएल देहरादून भेजा, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. तब से मामला जिला न्यायालय के पॉस्को न्यायाधीश अश्वनी गौड़ की अदालत में चल रहा था.

इस दौरान विशेष लोक अभियोजक विकास गुप्ता ने कोर्ट के समक्ष 6 गवाह प्रस्तुत किए गए. आज न्यायाधीश अश्वनी गौड़ ने आरोपी शिक्षक को धारा 377 आईपीसी के तहत दोषी मानते हुए दस साल के कठोर कारावास और बीस हज़ार रुपये जुर्माना लगाया. इसके अलावा धारा 5/6 पॉक्सो एक्ट के तहत बीस वर्ष के कठोर कारावास और बीस हजार रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई है. जुर्माने की राशि में से तीस हज़ार रुपये पीड़ित बालक को मिलेंगे. साथ ही न्यायाधीश ने ज़िलाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि पीड़ित बालक को मुआवज़े के तौर पर तीन लाख रुपये सरकार देगी.

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