आगराः मोहब्बत की निशानी ताजमहल में पूजा और जलाभिषेक की मांग की याचिका कोर्ट ने खारिज कर दिया है. योगी यूथ ब्रिगेड ने महाशिवरात्रि के अवसर पर ताज महल में शिवरात्रि पर गंगाजल चढाने को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन न्यायालय वाद दायर किया था. इसके बाद वादी पक्ष ने पुनरीक्षण याचिका जिला जज विवेक संगल की आदालत में दायर की थी. जिस पर सुनवाई के बाद गुरुवार को अपर जिला जज रविकांत की अदालत ने आदेश सुरक्षित कर लिया है.
अपर जिला जज रविकांत ने शुक्रवार को पत्रावली के अवलोकन के बाद निगरानी अंगीकरण के स्तर पर ही योगी यूथ ब्रिगेड पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी. क्योंकि, सरकारी विभाग को प्रतिवादी बनाने के लिए धारा 80 सीपीसी के तहत नोटिस दिया जाना अनिवार्य है. इसलिए, ही वादी पक्ष को ताजमहल में पूजा की अनुमति नहीं मिली है. वादी पक्ष के अधिवक्ता झम्मन सिंह रघुवंशी ने बताया कि कोर्ट ने जिस आधार पर याचिका खारिज की है. उसके चलते अब प्रतिवादी पक्ष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल को नोटिस दिया जाएगा.
एएसआई से मांगी थी अनुमतिः दरअसल, योगी यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने चार मार्च 2024 अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर और अधिवक्ता झम्मन सिंह रघुवंशी के जरिए सिविल जज सीनियर डिवीजन न्यायालय में वाद दायर किया था. जिसमें ताजमहल को तेजोमहालय शिव मंदिर बताकर चार पदाधिकारीयों के साथ शिवरात्रि पर दुग्धाभिषेक, गंगाजल से अभिषेक करने की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई से अनुमति मांगी थी. जो कोर्ट की वजह से इस साल पूरी नहीं हो सकी. वाद दायर करने वाले कुंवर अजय तोमर का कहना है कि, मुगल काल में हजारों मंदिरों को ध्वस्त करके उनके ऊपर मकबरे और मस्जिदें बनाई गई थीं. अयोध्या, मथुरा और काशी में इसके सबसे बड़े उदाहरण है. मुगलों ने भारत में शासन के दौरान हिंदू मंदिरों को तोड़कर उन पर अपने नाम मकबरे और मस्जिद बनवाई थीं. किसी दूसरे के घर पर अपने नाम की नेम प्लेट लगाने से वो खुद का घर नहीं हो जाता है. ऐसे ही ताजमहल से पहले वो तेजोमहालय शिव मंदिर था.
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