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कोर्ट ने 182 साल की कैद की सजा पा चुके बिल्डर की पैरोल बढ़ाने से किया इनकार, जानें क्या है मामला

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में 182 साल की जेल की सजा काट रहे बिल्डर का पैरोल बढ़ाने से इनकार कर दिया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 15, 2024, 9:41 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने प्लॉट खरीददारों द्वारा जमा किए गए 90 लाख रुपए गबन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में 182 साल की जेल की सजा काट रहे बिल्डर की पैरोल बढ़ाने की मांग खारिज कर दी है. जस्टिस अनूप मेंहदीरत्ता की बेंच ने ये आदेश दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि दी गई सजा में कमी और पैरोल केवल इस आधार पर बढ़ाया नहीं जा सकता कि याचिकाकर्ता प्लॉट खरीददारों से सेटलमेंट के लिए पैसे का इंतजाम कर रहा है.

यह भी पढ़ें- दिल्ली हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की मिली धमकी, बढ़ाई गई सुरक्षा

हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी ने जो काम किया है वह पैरोल बढ़ाने की मांग का हकदार नहीं है. हाई कोर्ट ने साफ कहा कि पैरोल मांगना किसी दोषी का अधिकार नहीं है बल्कि एक सुविधा है. पेरोल विशेष परिस्थितियों में ही दिया जा सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट ने पेरोल बढ़ाने की मांग खारिज करते हुए कहा कि उसके समक्ष दाखिल याचिका में दी गई सजा को चुनौती नहीं दी गई है. केवल पेरोल बढ़ाने की मांग की गई है और पेरोल दिल्ली प्रिजन रूल्स 2018 के प्रावधानों के तहत तय होती है.

हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने ही सितंबर 2019 में दोषी को पैरोल दिया था जो कि समय-समय पर बढ़ाया भी गया. हाई कोर्ट ने पैरोल याचिकाकर्ता के इस आश्वासन के बाद दिया था कि वह प्लॉट खरीददारों से सेटलमेंट की कोशिश कर रहा है. दरअसल बिल्डर राकेश कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष पैरोल बढ़ाने के लिए अर्जी दाखिल की थी. याचिकाकर्ता का कहना है कि वह सात साल जेल में बिता चुका है. तीस हजारी कोर्ट की जिला उपभोक्ता फोरम ने कुल 182 साल की सजा सुनाई है. दोषी राकेश कुमार ने हाई कोर्ट से 6 महीने पैरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की थी. फिलहाल वह पैरोल पर चल रहा है.

यह भी पढ़ें- दिल्ली के धौला कुआं में मस्जिद, कब्रिस्तान के खिलाफ कार्रवाई पर रोक हटाने की याचिका पर हाईकोर्ट का नोटिस

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने प्लॉट खरीददारों द्वारा जमा किए गए 90 लाख रुपए गबन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में 182 साल की जेल की सजा काट रहे बिल्डर की पैरोल बढ़ाने की मांग खारिज कर दी है. जस्टिस अनूप मेंहदीरत्ता की बेंच ने ये आदेश दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि दी गई सजा में कमी और पैरोल केवल इस आधार पर बढ़ाया नहीं जा सकता कि याचिकाकर्ता प्लॉट खरीददारों से सेटलमेंट के लिए पैसे का इंतजाम कर रहा है.

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हाईकोर्ट ने कहा कि दोषी ने जो काम किया है वह पैरोल बढ़ाने की मांग का हकदार नहीं है. हाई कोर्ट ने साफ कहा कि पैरोल मांगना किसी दोषी का अधिकार नहीं है बल्कि एक सुविधा है. पेरोल विशेष परिस्थितियों में ही दिया जा सकता है. दिल्ली हाई कोर्ट ने पेरोल बढ़ाने की मांग खारिज करते हुए कहा कि उसके समक्ष दाखिल याचिका में दी गई सजा को चुनौती नहीं दी गई है. केवल पेरोल बढ़ाने की मांग की गई है और पेरोल दिल्ली प्रिजन रूल्स 2018 के प्रावधानों के तहत तय होती है.

हालांकि दिल्ली हाई कोर्ट ने ही सितंबर 2019 में दोषी को पैरोल दिया था जो कि समय-समय पर बढ़ाया भी गया. हाई कोर्ट ने पैरोल याचिकाकर्ता के इस आश्वासन के बाद दिया था कि वह प्लॉट खरीददारों से सेटलमेंट की कोशिश कर रहा है. दरअसल बिल्डर राकेश कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष पैरोल बढ़ाने के लिए अर्जी दाखिल की थी. याचिकाकर्ता का कहना है कि वह सात साल जेल में बिता चुका है. तीस हजारी कोर्ट की जिला उपभोक्ता फोरम ने कुल 182 साल की सजा सुनाई है. दोषी राकेश कुमार ने हाई कोर्ट से 6 महीने पैरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की थी. फिलहाल वह पैरोल पर चल रहा है.

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