गौरेला पेंड्रा मरवाही : जिले में आदिवासियों के साथ हो रहे भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है.पेंड्रा जनपद पंचायत के बम्हनी गांव में ऐसा ही एक मामला सामने आया है.जो पूरे सरकारी सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है. इस गांव के लोगों को कागजों में पीएम आवास मिल चुका है.लेकिन हकीकत में आवास अधूरे हैं.
हितग्राहियों ने खुद किया था श्रमदान,लेकिन नहीं मिला मकान : ग्राम पंचायत बम्हनी में गरीब हितग्राहियों के अनपढ़ और सीधे साधे होने का फायदा उठाकर उनके सपनों के साथ खिलवाड़ किया गया है. अधूरे आवासों का निर्माण करवाकर उसका सारा पैसा सरपंच और ठेकेदारों पर आपस में बांट लेने का आरोप है. गांव में दर्जनों ऐसे मकान है जो अब तक अधूरे पड़े हैं. अपने आवास निर्माण में हितग्राहियों ने खुद अपने पास से ईंट दी. मकान की नींव खोदने से लेकर दीवाल जोड़ने में भी सहयोग दिया.लेकिन आज भी इनका आवास अधूरा है.
'' सरपंच और ठेकेदार ने सिर्फ रेत और सीमेंट ही दिया है.मकान में लगने वाली ईंट भी हमने दी हैं.लेकिन इसके बाद भी मकान पूरा बनाकर नहीं दिया गया.पता करने पर मालूम हुआ कि मकान का सारा पैसा निकाला जा चुका है.''-राम रतन पैकरा, हितग्राही
सरकारी सिस्टम पर लगाई सेंध : सरपंच के ठेकेदारों ने आवास बनाने के लिए सिर्फ रेत और सीमेंट ही दिया.जबकि हितग्राही के खाते में आने वाले सभी पैसों का आहरण खुद कर लिया. नियमत: योजना का पूरा पैसा सरकार ने हितग्राहियों को दे दिया है.लेकिन हकीकत में वो पैसा हितग्राहियों के बजाए ठेकेदार के पास चला गया. इस मामले में हैरानी की बात ये है कि सरकार ने अलग-अलग स्तर पर मकान के जियो टैगिंग और हितग्राही के साथ फोटो अपलोड करने के बाद ही भुगतान की व्यवस्था की है. फिर भी भ्रष्टाचारियों ने सिस्टम को ही सेंध लगा दिया. किसी दूसरे मकान की फोटो अपलोड करके पैसों का आहरण कर लिया गया.कुछ हितग्राहियों ने पक्के छत ना होने पर छ्प्पर लगा लिया.
पांच साल पहले बने थे मकान : छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री आवास योजना के मकान कांग्रेस शासन के पहले स्वीकृत हुए थे. मतलब हर एक आवास कम से कम 5 साल पुराना है. आश्चर्य की बात ये है कि पिछले 5 सालों से इन गरीब आदिवासियों के अधूरे आवास पर स्थानीय प्रशासन की नजर क्यों नहीं गई ? जबकि शासन ने इस योजना का पूरा पैसा दे दिया है. पूरे मामले पर जिला पंचायत के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का कहना है कि इस मामले में सरपंच सहित कई लोगों को नोटिस जारी किया गया है.
'' प्रधानमंत्री आवास में भ्रष्टाचार की शिकायत मिली थी.जिस पर सरपंच समेत ठेकेदारों को नोटिस जारी किया गया है.कोशिश ये की जा रही है कि गरीबों का आवास पूरा हो.हितग्राहियों को शासन की सुविधा का लाभ मिल सके.'' कौशल प्रसाद तेंदुलकर, सीईओ
इस मामले में हितग्राहियों के मकानों को पूरा बताकर फर्जी दस्तावेज पेश किए गए हैं.जिसमें कहीं ना कहीं सिस्टम में शामिल कर्मचारियों का योगदान भी हो सकता है. यही नहीं हितग्राहियों का पैसा भी बिना मकान पूरा बनाए निकाल लिए गए हैं.नए कानून की बात करें तो ये पूरा मामला बीएनएस की धारा 318(4) के तहत अपराध की श्रेणी में आता है.