देहरादून: उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होने के करीब ढाई महीने बाद वन विभाग के मुखिया ने वनाग्नि पर मौजूदा स्थिति स्पष्ट की है. हालांकि, धनंजय मोहन ने एक हफ्ते पहले ही प्रमुख वन संरक्षक हॉफ का चार्ज लिया है, लेकिन इससे पहले भी वन विभाग जंगलों की आग पर स्थिति स्पष्ट करने को लेकर कभी सामने नहीं आया. ईटीवी भारत में वनों की आग पर वन विभाग के प्रयासों और इसके कारणों से जुड़े कई सवाल प्रमुख वन संरक्षक हॉफ के सामने रखें और विभाग के स्तर पर हो रही कमियों से जुड़े सवाल भी किए.
प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन (Chief Conservator of Forest HoFF Dhananjay Mohan) ने कहा कि उत्तराखंड में वनों की आग का मुख्य कारण इंसान ही हैं. लोगों को जागरुक करने से लेकर जंगलों में आग बुझाने के लिए उनकी सहभागिता को बनाए रखने के लिए भी प्रयास किया जा रहे हैं. धनंजय मोहन ने कहा कि उनकी कोशिश रही है कि वो सभी से समन्वय बनाए रखें. उन्होंने बड़े अधिकारियों को भी फील्ड में जाकर स्थितियों से निपटने के प्रयास करने के निर्देश दिए हैं.
निचले स्तर के अफसरों और कर्मचारियों पर ही कार्रवाई क्यों? वनों में लग रही आग के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों पर भी कार्रवाई करने की बात कही गई, लेकिन जिन 17 कर्मचारियों की सूची सामने आई वो रेंजर या इससे निचले स्तर के कर्मचारी हैं. जाहिर है कि सरकार ने वनों में आग लगने के लिए छोटे कर्मचारियों को ही जिम्मेदार मानकर उन्हें निशाने पर लिया है.
प्रमुख वन संरक्षक सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि समय-समय पर बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई होती रही है. मौजूदा समय में जब आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, तब इस तरह छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई मनोबल को कमजोर कर सकती है. इस सवाल पर धनंजय मोहन ने कहा कि कई बार कार्रवाई करना जरूरी हो जाता है. ताकि, बाकी लोगों को इससे सबक मिल सके.
वन महकमे के पास संसाधनों की कमी: उत्तराखंड में वनाग्नि के लिए वन विभाग के पास गाड़ियों के साथ विभिन्न उपकरणों की उपलब्धता पर्याप्त होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वो इस बात को मानते हैं कि महकमे को अभी इस क्षेत्र में और बहुत काम करना है, लेकिन इस समय जितने भी उपकरण मौजूद हैं, उससे आग लगने की घटनाओं पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है.
इसके अलावा प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन ने कहा कि जंगलों में आग ना लगे, इसके लिए केवल एक ही उपाय है कि लोग जंगलों में आग ही न लगाएं. वन विभाग प्रदेश में इस क्षेत्र में काम कर रहा है और सभी की सहभागिता से आज की घटनाओं को कम किया जा सकेगा. इसके लिए प्रयास हो रहा है.
उत्तराखंड में अब तक जले जंगल: उत्तराखंड में गुरुवार को 25 आग लगने की घटनाएं हुई है, जिसमें 52.1 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए. अभी तक उत्तराखंड में फायर सीजन के दौरान 1,063 आग लगने की घटनाएं हुई है, जिसमें 1,437 हेक्टेयर जंगल जले हैं. राज्य में अब तक कई लोग आग से झुलसे हैं. जबकि, 5 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है.
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