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'जीजा-साली के बीच बातचीत गैरकानूनी नहीं', इस आधार पर बहनोई को मिली जमानत

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 8, 2024, 5:05 PM IST

Updated : Feb 9, 2024, 4:50 PM IST

बिहार के मुजफ्फरपुर में अपहरण का ऐसा मामला सामने आया जिसमें पुलिस ने जीजा को ही आरोपी बना दिया. शक के आधार पर पुलिस ने जीजा को पकड़ने के लिए छापेमारी भी शुरू कर दी. लेकिन आरोपी जीजा कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए पहुंच गया. मामले की सुनवाई हुई तो...

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मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर में अजीब मामला समाने आया जब जज को अपर लोक अभियोजक से ये पूछना पड़ा कि ''जीजा साली के बीच फोन पर बात करना कौन सा जुर्म है?" दरअसल ये मामला अपहरण से जुड़ा हुआ है. दो साल पहले पारू थाना क्षेत्र की एक लड़की का अपहरण हो जाता है. इस संबंध में पीड़ित पक्ष ने पारू थाने में अपहरण का मुकदमा पंजीकृत कराया. जब जांच आगे बढ़ी तो उसके मोबाइल फोन पर आखिरी कॉल उसके जीजा की थी. जिसके बाद उसका फोन स्विचऑफ हो गया.

जब जज साहब ने अधिवक्ता से पूछा..: पुलिस ने कॉल डिटेल और शक के आधार पर उसके जीजा को आरोपी बना दिया. आरोपी के घर छापेमारी भी पुलिस ने शुरू कर दी. इससे डरकर आरोपी 'जीजा' ने कोर्ट में अग्रिम जमान याचिका दाखिल कर दी. अदालत में इस मामले की जब सुनवाई हुई तो जो सवाल जज साहब ने पूछा उसका जवाब पुलिस पक्ष के अधिवक्ता के पास नहीं था. लड़की के जीजा की तरफ से बहस कर रहे मानवाधिकार के अधिवक्ता एसके झा ने कोर्ट को बताया कि ''जीजा और साली के बीच हुई बातचीत कोई जुर्म नहीं है बल्कि ये मानवाधिकार है.''

जीजा को मिली जमानत : दलील सुनने के बाद जज साहब ने अपर लोक अभियोजक से पूछा कि जीजा साली के बीच बातचीत करना कौन सा जुर्म है? तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया. यही नहीं मानवाधिकार के अधिवक्ता ने पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि FIR में दर्ज वाहन नंबर के आधार पर पुलिस कार्रवाई न करके निर्दोश को फंसाने का काम किया जा रहा है. अग्रिम जमानत याचिका पर अदालत में बहस पूरी होने पर एडीजे-8 ने आरोपी 'जीजा' को जमानत दे दी. सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष भी मौजूद था.

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मुजफ्फरपुर : बिहार के मुजफ्फरपुर में अजीब मामला समाने आया जब जज को अपर लोक अभियोजक से ये पूछना पड़ा कि ''जीजा साली के बीच फोन पर बात करना कौन सा जुर्म है?" दरअसल ये मामला अपहरण से जुड़ा हुआ है. दो साल पहले पारू थाना क्षेत्र की एक लड़की का अपहरण हो जाता है. इस संबंध में पीड़ित पक्ष ने पारू थाने में अपहरण का मुकदमा पंजीकृत कराया. जब जांच आगे बढ़ी तो उसके मोबाइल फोन पर आखिरी कॉल उसके जीजा की थी. जिसके बाद उसका फोन स्विचऑफ हो गया.

जब जज साहब ने अधिवक्ता से पूछा..: पुलिस ने कॉल डिटेल और शक के आधार पर उसके जीजा को आरोपी बना दिया. आरोपी के घर छापेमारी भी पुलिस ने शुरू कर दी. इससे डरकर आरोपी 'जीजा' ने कोर्ट में अग्रिम जमान याचिका दाखिल कर दी. अदालत में इस मामले की जब सुनवाई हुई तो जो सवाल जज साहब ने पूछा उसका जवाब पुलिस पक्ष के अधिवक्ता के पास नहीं था. लड़की के जीजा की तरफ से बहस कर रहे मानवाधिकार के अधिवक्ता एसके झा ने कोर्ट को बताया कि ''जीजा और साली के बीच हुई बातचीत कोई जुर्म नहीं है बल्कि ये मानवाधिकार है.''

जीजा को मिली जमानत : दलील सुनने के बाद जज साहब ने अपर लोक अभियोजक से पूछा कि जीजा साली के बीच बातचीत करना कौन सा जुर्म है? तो उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया. यही नहीं मानवाधिकार के अधिवक्ता ने पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि FIR में दर्ज वाहन नंबर के आधार पर पुलिस कार्रवाई न करके निर्दोश को फंसाने का काम किया जा रहा है. अग्रिम जमानत याचिका पर अदालत में बहस पूरी होने पर एडीजे-8 ने आरोपी 'जीजा' को जमानत दे दी. सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष भी मौजूद था.

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Last Updated : Feb 9, 2024, 4:50 PM IST
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