पटना: 'मेरा ताल्लुक पीएस 121 औरंगी टाउन से है. यकीकन जब मैं औरंगी टाउन कहता हूं तो मुझे इस बात का फक्र होता है कि 99 फीसद कराची ही नहीं बल्कि सूबे में बसने वाले बिहारी कम्युनिटी से ताल्लुक रखने वाले लोग औरंगी टाउन में बसते हैं. मुझे बिल्कुल शर्मिंदगी नहीं है कि मेरा ताल्लुक ऐसे इलाके से है, जहां 99 फीसदी बिहारी बसते हैं.' पाकिस्तान के सिंध प्रांत की असेंबली में 'बिहारी' शब्द को लेकर विधायक हाफिज सैयद एजाज उल हक ने नाराजगी जाहिर करते हुए ये बातें कहीं.
पाकिस्तान में उठा 'बिहारी' का मुद्दा: हाल ही के सत्र में, दक्षिणपंथी सदस्य इंजीनियर हाफ़िज़ सैयद एजाज उल हक ने बिहारियों को "अवैध अप्रवासी" कहने वाली पीपुल्स पार्टी की विवादास्पद टिप्पणी की कड़ी आलोचना की. उन्होंने सदन में कहा कि मैडम स्पीकर, मैं अभी अपने वरिष्ठ सदस्यों से बहुत कुछ सीख रहा हूं, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि बिहारी गाली नहीं है. बिहारी वो लोग हैं जिन्होंने पाकिस्तान बनाया था.
"बंट कर रहेगा हिंदुस्तान और बनकर रहेगा पाकिस्तान का नारा लगा था, तब पाकिस्तान बिहारियों की वजह से वजूद में आया था.आज 50 साल गुजरने के बावजूद बांग्लादेश के जो लोग पाकिस्तान के कैंपों में पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगा रहे हैं, वो बिहारी हैं. आज आप बिहारी को गाली समझ रहे हैं."- हाफ़िज़ सैयद एजाज उल हक, विधायक, सिंध प्रांत
'तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ कर आए थे': हाफिद सैयद एजाज उल हक ने कहा कि आज आप बिहारियों को गैरकानूनी तारिक-ए-वतन कह रहे हैं? आज आप बिहारी लफ्ज को गाली बता रहे हैं. आप भूल गए कि ये बिहारी कौन हैं? आप कहते हैं कि सिंध है तो पाकिस्तान है. हम कहते हैं कि हम पाकिस्तानी हैं. हम पर कोई एहसान ना करें. हम सिंध आए तो हमारा स्वागत किया गया था. हम अपने हिस्से का पाकिस्तान अपने साथ लाए थे, डटकर और मर कर लाए थे. आज तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ कर आए थे.
"आज आप बिहारी को गाली कहते हैं. यही वो बिहारी थे जिन्होंने पाकिस्तान बनाया. एक दफे पाकिस्तान बनाने के लिए लाखों कुर्बानियां दीं और एक दफा पाकिस्तान के वजूद को बचाने के लिए 1971 में कुर्बानियां दीं. इनका शुक्रिया अदा करने के बजाए गाली समझ रहे हैं."- हाफ़िज़ सैयद एजाज उल हक, विधायक, सिंध प्रांत
पाकिस्तान में भी बिहारी लोग हैं क्या? pic.twitter.com/gdXVvOsbsP
— छपरा जिला 🇮🇳 (@ChapraZila) December 18, 2024
पाकिस्तान में क्यों उठा बिहारी का मुद्दा?: पाकिस्तान की सिंध विधानसभा में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के विधायक हीर सोहो ने 'अवैध प्रवासियों' को बाहर करने के मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लाने की बात कही. इसके साथ ही मामला बिगड़ गया. सारे सांसद इस मामले पर एकमत हो गए कि अवैध प्रवासियों को बाहर कर देना चाहिए.
मौलिक प्रस्ताव पारित: अवैध प्रवासियों को सदन में पाकिस्तान के संसाधनों पर बोझ बताया गया. साथ ही उन्हें आतंकवाद और अपराधों के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया. सिंध विधानसभा में एक मौलिक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें लिखा है- "इस विधानसभा की राय है कि सिंध प्रांत में अन्य देशों के रहने वाले अवैध अप्रवासियों को उनके मूल देशों में प्रत्यर्पित किया जाना चाहिए." इसी को लेकर सैयद एजाज उल हक बिफर गए.
पाकिस्तान में बिहारी मुसलमान: 1947 में भारत विभाजन के दौरान बिहार और यूपी से कई मुसलमानों ने पाकिस्तान (पश्चिमी और पूर्वी) का रुख किया. बांग्लादेश बनने के बाद, जो मुसलमान वहां से पाकिस्तान लौटे, उन्हें भी 'बिहारी' कहा गया. पाकिस्तान में उन्हें 'मुहाजिर' के रूप में पहचान मिली है. विभाजन के बास से पाकिस्तान में पलायन कर आए मुसलमानों को स्थानीय समाज में बिहारी और मुहाजिर जैसे शब्दों से संबोधित किया गया. धीरे-धीरे बिहारी शब्द ने नकारात्मक और तंज का रूप ले लिया.
बांग्लादेश में कितने बिहारी मुसलमान? : जानकारी के अनुसार महज पांच दशक पहले बिहारी मुसलमान बांग्लादेश गए थे. उनकी स्थिति आज बेहतर नहीं है. पूरे बांग्लादेश में करीब 7.5 लाख बिहारी मुसलमान रहते हैं. बिहारी मुसलमान कहने का मतलब है कि वह मुसलमान जो उर्दू भाषी हैं, जिनकी भाषा बांग्ला नहीं उर्दू है.
ये भी पढ़ें
'ना बिहार के रहे, ना पाकिस्तान के..', बंटवारे में पाकिस्तान गये बिहारी मुसलमान पहचान के मोहताज