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फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' पर विवाद, धार्मिक भावनाओं को आहत करने का लगा आरोप - The Diary of West Bengal ROW

'The Diary Of West Bengal' Film Creates Row: फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' पर धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगा है. यह फिल्म 30 अगस्त को रिलीज होने जा रही है.

फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' पर विवाद
फिल्म 'द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल' पर विवाद (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Aug 17, 2024, 10:50 PM IST

नई दिल्ली: इस महीने के अंत में रिलीज होने वाली फिल्म "द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल" को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. फिल्म के एक दृश्य में ढोल की थाप पर नाचते लोगों को दिखाया गया है. इस ढोल पर मुसलमानों के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का नाम लिखा हुआ है. इस दृश्य को लेकर इत्तेहाद बैनुल मज़ाहिब ने कड़ी नाराजगी जताई है और इसे फिल्म से हटाने की मांग की है.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इत्तेहाद बैनुल मज़ाहिब के अध्यक्ष मौलाना जफरुल हसन ने कहा कि किसी भी धर्म की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की किसी को इजाजत नहीं दी जा सकती. उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए. ऐसा कोई भी कृत्य नहीं होना चाहिए जिससे किसी धर्म विशेष की भावनाएं आहत हो.

मौलाना जफरुल हसन ने यह भी आरोप लगाया कि आजकल की फिल्मों में क्षणिक लोकप्रियता हासिल करने के लिए जानबूझकर ऐसे दृश्य डाले जाते हैं, जो बिल्कुल अनुचित हैं. कार्यक्रम के संयोजक मौलाना हसनअली रजानी ने बताया कि भारतीय सेंसर बोर्ड ने पहले ही फिल्म से कुछ विवादित दृश्यों को हटाने का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद यह आपत्तिजनक दृश्य फिल्म में बरकरार है. फिल्म 30 अगस्त को रिलीज होने जा रही है.

मौलाना हसनअली रजानी ने कहा कि इस दृश्य से मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हो रही है. यह देश की शांति और सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा पैदा कर सकता है. कार्यक्रम के दौरान उपाध्यक्ष कासिम रिज़वी, महासचिव एस के हैदर और संयुक्त सचिव इमरान ने भी इस विषय पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और भारतीय सेंसर बोर्ड से इस विवादास्पद दृश्य को फिल्म से हटाने की अपील की, ताकि मुस्लिम समुदाय में कोई असंतोष न हो.

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नई दिल्ली: इस महीने के अंत में रिलीज होने वाली फिल्म "द डायरी ऑफ वेस्ट बंगाल" को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. फिल्म के एक दृश्य में ढोल की थाप पर नाचते लोगों को दिखाया गया है. इस ढोल पर मुसलमानों के आखिरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब का नाम लिखा हुआ है. इस दृश्य को लेकर इत्तेहाद बैनुल मज़ाहिब ने कड़ी नाराजगी जताई है और इसे फिल्म से हटाने की मांग की है.

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इत्तेहाद बैनुल मज़ाहिब के अध्यक्ष मौलाना जफरुल हसन ने कहा कि किसी भी धर्म की धार्मिक भावनाओं को आहत करने की किसी को इजाजत नहीं दी जा सकती. उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए. ऐसा कोई भी कृत्य नहीं होना चाहिए जिससे किसी धर्म विशेष की भावनाएं आहत हो.

मौलाना जफरुल हसन ने यह भी आरोप लगाया कि आजकल की फिल्मों में क्षणिक लोकप्रियता हासिल करने के लिए जानबूझकर ऐसे दृश्य डाले जाते हैं, जो बिल्कुल अनुचित हैं. कार्यक्रम के संयोजक मौलाना हसनअली रजानी ने बताया कि भारतीय सेंसर बोर्ड ने पहले ही फिल्म से कुछ विवादित दृश्यों को हटाने का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद यह आपत्तिजनक दृश्य फिल्म में बरकरार है. फिल्म 30 अगस्त को रिलीज होने जा रही है.

मौलाना हसनअली रजानी ने कहा कि इस दृश्य से मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हो रही है. यह देश की शांति और सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा पैदा कर सकता है. कार्यक्रम के दौरान उपाध्यक्ष कासिम रिज़वी, महासचिव एस के हैदर और संयुक्त सचिव इमरान ने भी इस विषय पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और भारतीय सेंसर बोर्ड से इस विवादास्पद दृश्य को फिल्म से हटाने की अपील की, ताकि मुस्लिम समुदाय में कोई असंतोष न हो.

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