बस्तर : छत्तीसगढ़ के बस्तर में धर्मांतरण को लेकर रोजाना नये विवाद सामने आ रहे हैं. जिले के दरभा विकासखंड के छिंदावाड़ा गांव में मसीही समाज के पास्टर की मौत के बाद कब्रिस्तान में जगह नहीं मिलने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. वहीं, मृतक पास्टर का शव 14 दिनों से अंतिम संस्कार के इंतजार में है, जिसे मेडिकल कॉलेज डिमरापाल के मर्चुरी में रखा गया है.
पास्टर का शव को अंतिम संस्कार का इंतजार : जानकारी के मुताबिक, मसीही समाज के पास्टर की मौत होने पर ग्राम पंचायत क्षेत्र में शव दफन करने को लेकर स्थानीय लोगों ने विवाद और विरोध किया. जिसके बाद पास्टर के परिवार ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. जहाँ से राहत नही मिलने पर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. वहीं, मृतक पास्टर का शव 14 दिनों से अंतिम संस्कार के इंतजार में है, जिसे मेडिकल कॉलेज डिमरापाल के मर्चुरी में रखा गया है.
पहले हाईकोर्ट, अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई : जिला प्रशासन से मदद नहीं मिलने पर परिजनों ने हाईकोर्ट में अपील किया. छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए अंतिम संस्कार को लेकर जवाब प्रस्तुत किया गया. जब हाईकोर्ट से परिवार को संतोषजनक जवाब और न्याय नहीं मिला तो प्रार्थी रमेश मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी के दिन छत्तीसगढ़ सरकार को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का समय दिया था. अब इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अगली तारीख 22 जनवरी को दी है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार : प्रार्थी रमेश बघेल ने बताया कि 2007 और 2015 में उनके परिवार के अन्य मृत सदस्यों को मसीह रीति रिवाजों के साथ कफन दफन किया गया था. लेकिन अब विवाद की स्थित बन गई है. रमेश को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है. उनका कहना है कि जैसा सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय होगा, उसी आधार पर आगे का कार्य किया जाएगा. संविधान के अनुसार रमेश को न्याय की उम्मीद है.
रमेश ने सरकार से पूछा सवाल : इसके अलावा रमेश ने सरकार से सवाल उठाते हुए पूछा है कि बस्तरवासी नक्सल पीड़ित हैं. बस्तर में जब भी मुठभेड़ में कोई नक्सली मारा जाता है, उनके शव को पुलिस वैधानिक प्रकिया के बाद सम्मान उनके परिजनों को सौंप देती है. यहां तक कि माओवादी भी असंवैधानिक होने के बावजूद शव को सम्मान उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए देते हैं. लेकिन मसीह समाज के लोगों को क्यों शव दफन के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
14 दिनों से घर में नहीं जला है चूल्हा : दूसरी ओर परिवार में मौत के बाद शव का अंतिम सरकार नहीं होने की वजह से पिछले 14 दिनों से उनके घर में चूल्हा नहीं जला है. उनके पड़ोसी और अन्य लोगों की सहायता से उनका पेट भर रहा है.