कांकेर: कांकेर वन मंडल में एक बाबू से परेशान होकर वन मंडल के 5 रेंजर मेडिकल लेकर छुट्टी पर चले गए है. दरअसल, कांकेर रेंज ऑफिस में इन दिनों कुछ भी सही से नहीं चल रहा है. डीएफओ कार्यलाए में पदस्थ लेखा प्रभारी और वन मंडल के पांच रेंजरों के बीच आपस में तकरार देखने को मिल रहा है. कांकेर वन मंडल में पांच रेंज कार्यालय है, जिसमें कांकेर, सरोना, नरहरपुर, कोरर, चारामा शामिल है. इन सभी जगहों के रेंजर मेडिकल लगाकर छुट्टी पर चले गए.
प्रदेश भर के रेंजरों ने अवकाश पर जाने की दी चेतावनी: इसे लेकर गुरुवार को कांकेर में प्रदेश रेंजर संघ की बैठक भी रखी गई थी. बैठक के बाद रेंजर संघ ने सीसीएफ से मुलाकात कर लेखा प्रभारी बिरेंद्र नाग को डीएफओ कार्यलाय से हटाने की मांग की है. वरना प्रदेश भर के रेंजरों के अवकाश में जाने की चेतावनी दी है.
कांकेर वन मंडल के लेखा प्रभारी बिरेंद्र नाग के द्वारा कांकेर वन मंडल के रेंजरों को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है. रेंजरो के वाउचर चेक बिना कारण आपत्ति लगाकर वापस भेज दिए जाते है, जिससे रेंजर काम नहीं कर पा रहे है. यही नहीं लेखा प्रभारी के द्वारा डीएफओ आलोक वाजपायी को गलत जानकारी देकर गुमराह भी किया जा रहा है. इसी वजह से 8 फरवरी से कांकेर वन मंडल के सभी रेंजर मेडिकल लेकर अवकाश पर चले गए है.- प्रकाश ठाकुर, प्रदेश अध्यक्ष, रेंजर संघ
रेंजर संघ के संरक्षक ने दी जानकारी: इस बारे में रेंजर संघ के संरक्षक सतीश मिश्रा ने जानकारी दी कि लेखा प्रभारी डीएफओ के काफी करीबी है. इसी का फायदा उठाकर जबरन रेंजरों को परेशान किया जा रहा है. यदि 3 दिन के भीतर लेखा प्रभारी का ट्रांसफर नहीं किया जाता है तो प्रदेश भर के रेंजर अवकाश पर चले जायेंगे.
दोनों की लड़ाई में वन विभाग को हो सकता है नुकसान: ऐसे में अब देखना होगा कि एक रेंज के बाबू और रेंजरों की इस लड़ाई का वन विभाग पर क्या असर पड़ता है? यदि इस छोटी सी लड़ाई पर समय रहते शासन स्तर से कार्रवाई नहीं हुई और सारे रेंजर अवकाश पर चले गए तो वन विभाग को करोड़ों का नुकसान हो सकता है. दिलचस्प बात यह भी है कि जिस लेखा प्रभारी को हटाने की मांग हो रही है, वो वन कर्मचारी लिपिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी है. ऐसे में इस अहंकार की लड़ाई का वन अमले को नुकसान उठाना पड़ सकता है.