रायपुर : छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी हड़ताल पर हैं. दो दिवसीय हड़ताल का मंगलवार को दूसरा और आखिरी दिन था. हड़ताल के आखिरी दिन एक बार फिर से संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने सरकार के सामने अपनी मांगें रखी हैं. आपको बता दें कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले संविदा कर्मचारियों की संख्या लगभग 16 हजार है. जो प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं देते हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को विधानसभा घेरने की कोशिश की.जिन्हें पुलिस ने नवा रायपुर के तूता में ही रोक दिया.
सरकार का दोहरा रवैया : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रदेश अध्यक्ष अमित मिरी ने बताया कि "प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत लगभग 16 हजार संविदा कर्मचारी काम करते हैं. तात्कालीन कांग्रेस सरकार ने इन कर्मचारियों के वेतन में 27 प्रतिशत की वृद्धि की थी, जो अन्य विभागों में कार्यरत हैं उन्हें तो इसका लाभ मिला, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले इन कर्मचारियों को पिछले 1 साल से 27% वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पाया है.
'' कई बार मंत्री और विधायकों से मिलकर गुहार भी लगाई गई थी. बावजूद इसके आज तक इसमें कोई सुनवाई नहीं हुई है. जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग में काम करने वाले संविदा कर्मचारियों को हड़ताल करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. 1 महीने के अंदर सरकार उनकी मांगों पर अमल नहीं करती है तो अनिश्चितकालीन हड़ताल करने के लिए मजबूर होंगे."- अमित मिरी, प्रदेशाध्यक्ष,राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन
छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य सेवाएं हुईं प्रभावित : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा कर्मचारियों के 2 दिनों के हड़ताल पर होने से स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं भी प्रभावित हुई है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसका सीधा असर भी देखने को मिला है. उप स्वास्थ्य केंद्र और आयुष्मान आरोग्य केंद्र में कोई भी स्टाफ नहीं था. ऐसे में यह पूरी तरह से बंद और ठप पड़ गई.
मौसमी बीमारियों का बढ़ा प्रकोप : आपको बता दें कि वर्तमान समय में प्रदेश में डायरिया डेंगू मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी से बीजापुर, नारायणपुर, दुर्ग, रायपुर कवर्धा सहित दूसरे जिलों के लोग प्रभावित हैं. ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल के कारण कई अस्पतालों में सेवाएं चरमरा गईं हैं. आपको बता दें कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में 2023 में बजट सत्र के दौरान अनुपूरक बजट में 37 हजार संविदा कर्मचारियों के लिए 27% वेतन वृद्धि की गई थी. जिसके लिए 350 करोड़ रुपए का बजट का आबंटन भी किया गया था. लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है.
क्या है स्वास्थ्यकर्मियों की मांग : संविदा स्वास्थ्यकर्मी 27% वेतन वृद्धि दिए जाने सहित 18 सूत्रीय मांग में नियमितीकरण, ग्रेड पे का निर्धारण, वेतन विसंगति को दूर करना, सीआर व्यवस्था में सुधार करना, अवकाश नियम में बदलाव करना, अनुकंपा नियुक्ति और अनुदान राशि में वृद्धि करना, तबादला व्यवस्था में नियमितता जैसी प्रमुख मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.