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बूढ़ा समझकर हल्के में मत लेना! मान्यताओं को तोड़ 'बूढ़े बरसात' ने मचाया हाहाकार - CONTINUOUS RAIN IN LATEHAR

Rain caused havoc in Latehar. लातेहार समेत पूरे राज्य में बारिश ने जाते-जाते काफी विकराल रूप दिखाया. जनजीवन काफी अस्त-व्यस्त हो गया. बूढ़े बरसात ने मान्यताओं के विपरीत आचरण दिखाया.

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 18, 2024, 1:21 PM IST

लातेहारः झारखंड के लगभग सभी जिलों में बूढ़े बरसात ने पिछले तीन-चार दिनों तक जमकर कहर बरपाया. लातेहार भी उससे अछूता नहीं रहा, यहां बारिश ने खूब तबाही मचाई. ऐसी मान्यता है कि जब बरसात का मौसम अपनी समाप्ति पर हो तो काफी कम बारिश होती है, लेकिन मान्यताओं के विपरीत इस बार बारिश ने खूब तबाही मचाई है.

जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार (ईटीवी भारत)

दरअसल ऐसी मान्यता है कि यदि कास के फूल खिल जाए तो प्रकृति संकेत दे देती है कि अब बरसात बूढ़ा हो गया है. बारिश की संभावना अब काफी कम है. हमारे धार्मिक ग्रंथो में भी इस बात का जिक्र है. महाकवि तुलसीदास के द्वारा रचित महाकाव्य श्री रामचरितमानस के किष्किंधा कांड के एक चौपाई में इस बात का वर्णन किया गया है.

'फूले कास सकल महि छाई।
जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई।'- (किष्किंधा कांड, रामचरितमानस)

तुलसीदास जी ने इस चौपाई के माध्यम से प्रभु श्रीराम और भ्राता लक्ष्मण के बीच हो रहे बातचीत का वर्णन किया है. प्रभु श्रीराम लक्ष्मण से कह रहे हैं कि कास के फूल खिल चुके हैं, अब बरसात का अंत हो गया है.

चारों ओर कास के फूल खिले, पर बूढ़े बारिश ने मचाया कहर

हालांकि इस बार बरसात के मौसम में काफी अच्छी बारिश हुई और भादो मास के अंतिम समय में कास के फूल भी चारों ओर खिल चुके हैं. मान्यताओं के अलावे वैज्ञानिक मानकों के अनुसार भी बरसात के मौसम को काफी कमजोर हो जाना चाहिए था. परंतु सभी मान्यताओं को पीछे छोड़ते हुए इस बार बूढ़े हो चुके बरसात ने जमकर कहर बरसाया. कोई ऐसी जगह नहीं बची, जहां बरसात के कारण बर्बादी नहीं हुई हो. बूढ़े बरसात ने जाते-जाते जहां मक्का के फसल को भारी नुकसान पहुंचाया, वहीं कई सड़क और पुल-पुलिया को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.

बारिश तो रुकी पर नुकसान की भरपाई करना हुआ कठिन

पिछले तीन-चार दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद अब बारिश तो रुक गई है, लेकिन नॉनस्टॉप बारिश के बाद हुए नुकसान की भरपाई कर पाना लोगों के लिए कठिन हो गया है. लोगों का कहना है कि इस वर्ष बरसात के मौसम ने आगमन के समय तो काफी सुस्ती दिखाई थी. परंतु बुढ़ापे में अपना जलवा दिखा दिया.

कैसा होता है कास का फूल

कास एक घास की प्रजाति का पौधा है. इसके फूल सफेद रंग के होते हैं, जो दिखने में काफी सुंदर होते हैं. इसकी लंबाई तीन से सात फीट तक होती है. जल स्रोतों या खाली पड़े बंजर भूमि पर कास के फूल खिलते हैं. कास का फूल एक तरह से क्लाइमेट इंडिकेटर है. इसका फूल लगने के साथ ही यह समझ लेना चाहिए कि अब बारिश काफी कमजोर हो गई है.

ये भी पढ़ें- धनबाद के मैथन और पंचेत डैम से छोड़ा जा रहा पानी, पश्चिम बंगाल को किया गया अलर्ट - Heavy Rain in Jharkhand

गुमला में आफत की बारिश, तालाब का कैनाल टूटने से मची तबाही - Catastrophic Rain

लातेहार में भारी बारिश से टूटा बांध, मोंगर-घुटुआ पथ ध्वस्त, नेतरहाट जाने का रास्ता बंद - HEAVY RAIN IN LATEHAR

लातेहारः झारखंड के लगभग सभी जिलों में बूढ़े बरसात ने पिछले तीन-चार दिनों तक जमकर कहर बरपाया. लातेहार भी उससे अछूता नहीं रहा, यहां बारिश ने खूब तबाही मचाई. ऐसी मान्यता है कि जब बरसात का मौसम अपनी समाप्ति पर हो तो काफी कम बारिश होती है, लेकिन मान्यताओं के विपरीत इस बार बारिश ने खूब तबाही मचाई है.

जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार (ईटीवी भारत)

दरअसल ऐसी मान्यता है कि यदि कास के फूल खिल जाए तो प्रकृति संकेत दे देती है कि अब बरसात बूढ़ा हो गया है. बारिश की संभावना अब काफी कम है. हमारे धार्मिक ग्रंथो में भी इस बात का जिक्र है. महाकवि तुलसीदास के द्वारा रचित महाकाव्य श्री रामचरितमानस के किष्किंधा कांड के एक चौपाई में इस बात का वर्णन किया गया है.

'फूले कास सकल महि छाई।
जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई।'- (किष्किंधा कांड, रामचरितमानस)

तुलसीदास जी ने इस चौपाई के माध्यम से प्रभु श्रीराम और भ्राता लक्ष्मण के बीच हो रहे बातचीत का वर्णन किया है. प्रभु श्रीराम लक्ष्मण से कह रहे हैं कि कास के फूल खिल चुके हैं, अब बरसात का अंत हो गया है.

चारों ओर कास के फूल खिले, पर बूढ़े बारिश ने मचाया कहर

हालांकि इस बार बरसात के मौसम में काफी अच्छी बारिश हुई और भादो मास के अंतिम समय में कास के फूल भी चारों ओर खिल चुके हैं. मान्यताओं के अलावे वैज्ञानिक मानकों के अनुसार भी बरसात के मौसम को काफी कमजोर हो जाना चाहिए था. परंतु सभी मान्यताओं को पीछे छोड़ते हुए इस बार बूढ़े हो चुके बरसात ने जमकर कहर बरसाया. कोई ऐसी जगह नहीं बची, जहां बरसात के कारण बर्बादी नहीं हुई हो. बूढ़े बरसात ने जाते-जाते जहां मक्का के फसल को भारी नुकसान पहुंचाया, वहीं कई सड़क और पुल-पुलिया को भी क्षतिग्रस्त कर दिया.

बारिश तो रुकी पर नुकसान की भरपाई करना हुआ कठिन

पिछले तीन-चार दिनों तक हुई मूसलाधार बारिश के बाद अब बारिश तो रुक गई है, लेकिन नॉनस्टॉप बारिश के बाद हुए नुकसान की भरपाई कर पाना लोगों के लिए कठिन हो गया है. लोगों का कहना है कि इस वर्ष बरसात के मौसम ने आगमन के समय तो काफी सुस्ती दिखाई थी. परंतु बुढ़ापे में अपना जलवा दिखा दिया.

कैसा होता है कास का फूल

कास एक घास की प्रजाति का पौधा है. इसके फूल सफेद रंग के होते हैं, जो दिखने में काफी सुंदर होते हैं. इसकी लंबाई तीन से सात फीट तक होती है. जल स्रोतों या खाली पड़े बंजर भूमि पर कास के फूल खिलते हैं. कास का फूल एक तरह से क्लाइमेट इंडिकेटर है. इसका फूल लगने के साथ ही यह समझ लेना चाहिए कि अब बारिश काफी कमजोर हो गई है.

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